नरसिम्हा स्तुति(Narasimha Stuti) भगवान विष्णु के चौथे अवतार, नरसिम्हा को समर्पित है। यह स्तुति भक्तों द्वारा भय, संकट और नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति पाने और आत्मविश्वास, सुरक्षा तथा शांति का अनुभव करने के लिए गाई जाती है। भगवान नरसिम्हा का स्वरूप आधा सिंह और आधा मानव है। यह रूप भक्त प्रह्लाद की रक्षा और अधर्म के नाश के लिए भगवान विष्णु ने धारण किया था।
नरसिम्हा अवतार की पौराणिक कथा Narasimha Avtar Katha
नरसिम्हा अवतार की कथा श्रीमद्भागवत पुराण में वर्णित है। इसमें बताया गया है कि हिरण्यकश्यप नामक एक असुर ने कठोर तपस्या से ब्रह्माजी से वरदान प्राप्त किया था कि वह न दिन में मरेगा, न रात में; न भीतर, न बाहर; न मनुष्य द्वारा, न जानवर द्वारा; न अस्त्र से, न शस्त्र से। इस वरदान के कारण उसने अत्याचार बढ़ा दिए।
हिरण्यकश्यप का पुत्र प्रह्लाद भगवान विष्णु का परम भक्त था। प्रह्लाद की भक्ति से क्रोधित होकर हिरण्यकश्यप ने उसे मारने के अनेक प्रयास किए, लेकिन भगवान विष्णु ने हर बार उसकी रक्षा की। अंततः हिरण्यकश्यप ने प्रह्लाद से पूछा कि उसका भगवान कहाँ है। प्रह्लाद ने उत्तर दिया कि भगवान सर्वत्र हैं। हिरण्यकश्यप ने खंभे पर प्रहार किया, और उसी क्षण भगवान नरसिम्हा खंभे से प्रकट हुए। उन्होंने सांध्यकाल में (न दिन, न रात), दरवाजे की चौखट पर (न भीतर, न बाहर), अपने नखों से (न अस्त्र, न शस्त्र) हिरण्यकश्यप का वध किया।
नरसिम्हा स्तुति का महत्त्व Importance of Narasimha Stuti
नरसिम्हा स्तुति भगवान की कृपा प्राप्त करने और भयमुक्त जीवन जीने के लिए अत्यधिक प्रभावशाली मानी जाती है। यह स्तुति निम्नलिखित कारणों से महत्वपूर्ण है:
- भय और संकट से मुक्ति: नरसिम्हा स्तुति का पाठ करने से व्यक्ति को अपने जीवन में आने वाले संकटों से मुक्ति मिलती है।
- नकारात्मक शक्तियों का नाश: यह स्तुति नकारात्मक ऊर्जाओं और बुरी आत्माओं को दूर करने में सहायक होती है।
- आत्मबल और साहस: नरसिम्हा की स्तुति से व्यक्ति में आत्मविश्वास और साहस का संचार होता है।
- आध्यात्मिक विकास: यह स्तुति भक्त को भक्ति और अध्यात्म की गहराइयों तक ले जाती है।
प्रमुख नरसिम्हा स्तुतियाँ Main Narasimha Stuti’s
- नरसिम्हा कवच
यह कवच भगवान नरसिम्हा की कृपा से शरीर, मन और आत्मा की सुरक्षा के लिए गाया जाता है। इसमें भगवान से हर अंग की रक्षा की प्रार्थना की जाती है। - लक्ष्मी नरसिम्हा करावलम्ब स्तोत्र
यह स्तोत्र आदि शंकराचार्य द्वारा रचित है। इसमें भक्त भगवान नरसिम्हा से सहायता और रक्षा की प्रार्थना करता है। - नरसिम्हा अष्टकम
यह स्तुति भगवान नरसिम्हा के गुणों और उनकी महिमा का वर्णन करती है।
नरसिम्हा स्तुति का पाठ कैसे करें? How to chant Narasimha Stuti Path
- प्रातःकाल स्नान कर शुद्ध होकर भगवान नरसिम्हा की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएं।
- भगवान को पीले पुष्प, तुलसी दल और मीठे नैवेद्य का भोग अर्पित करें।
- शांत मन से नरसिम्हा स्तुति या कवच का पाठ करें।
- पाठ के बाद भगवान से संकटों से मुक्ति और अपने जीवन में शांति तथा समृद्धि के लिए प्रार्थना करें।
नरसिम्हा स्तुति के लाभ Benifits of Narasimha Stuti
- मानसिक शांति और स्थिरता।
- जीवन में आने वाली बाधाओं का समाधान।
- भक्त को बुरी शक्तियों और दुर्विचारों से बचाव।
- व्यक्ति के साहस और दृढ़ निश्चय में वृद्धि।
नरसिम्हा स्तुति Narasimha Stuti
वृत्तोत्फुल्लविशालाक्षं विपक्षक्षयदीक्षितम्।
निनादत्रस्तविश्वाण्डं विष्णुमुग्रं नमाम्यहम्।
सर्वैरवध्यतां प्राप्तं सकलौघं दितेः सुतम्।
नखाग्रैः शकलीचक्रे यस्तं वीरं नमाम्यहम्।
पादावष्टब्धपातालं मूर्द्धाविष्टत्रिविष्टपम्।
भुजप्रविष्टाष्टदिशं महाविष्णुं नमाम्यहम्।
ज्योतीष्यर्केन्दुनक्षत्र- ज्वलनादीन्यनुक्रमात्।
ज्वलन्ति तेजसा यस्य तं ज्वलन्तं नमाम्यहम्।
सर्वेन्द्रियैरपि विना सर्वं सर्वत्र सर्वदा।
जानाति यो नमाम्याद्यं तमहं सर्वतोमुखम्।
नरवत् सिंहवच्चैव रूपं यस्य महात्मनः।
महासटं महादंष्ट्रं तं नृसिंहं नमाम्यहम्।
यन्नामस्मरणाद्भीता भूतवेतालराक्षसाः।
रोगाद्याश्च प्रणश्यन्ति भीषणं तं नमाम्यहम्।
सर्वोऽपि यं समाश्रित्य सकलं भद्रमश्नुते।
श्रिया च भद्रया जुष्टो यस्तं भद्रं नमाम्यहम्।
साक्षात् स्वकाले सम्प्राप्तं मृत्युं शत्रुगणानपि।
भक्तानां नाशयेद्यस्यु मृत्युमृत्युं नमाम्यहम्।
नमास्कारात्मकं यस्मै विधायात्मनिवेदनम्।
त्यक्तदुःखोऽखिलान् कामानश्नुते तं नमाम्यहम्।
दासभूताः स्वतः सर्वे ह्यात्मानः परमात्मनः।
अतोऽहमपि ते दास इति मत्वा नमाम्यहम्।
शङ्करेणादरात् प्रोक्तं पदानां तत्त्वमुत्तमम्।
त्रिसन्ध्यं यः पठेत् तस्य श्रीर्विद्यायुश्च वर्धते।
नरसिम्हा स्तुति पर पूछे जाने वाले प्रश्न FAQs for Narasimha Stuti
नरसिम्हा स्तुति क्या है?
नरसिम्हा स्तुति भगवान विष्णु के चौथे अवतार, नरसिंह, की प्रशंसा और आराधना करने वाली एक प्रार्थना है। इसमें उनकी दिव्य शक्ति, पराक्रम, और भक्तों के प्रति उनकी करुणा का वर्णन किया गया है। यह स्तुति उनके भक्त प्रह्लाद द्वारा गाए गए स्तुति के रूप में भी प्रसिद्ध है।
नरसिम्हा स्तुति का पाठ क्यों किया जाता है?
नरसिम्हा स्तुति का पाठ भय, नकारात्मक ऊर्जा, और बुरी शक्तियों से बचाव के लिए किया जाता है। यह स्तुति भक्तों को साहस, आत्मविश्वास और मानसिक शांति प्रदान करती है। इसे रोग, शत्रुओं, और बाधाओं से मुक्ति पाने के लिए भी महत्वपूर्ण माना जाता है।
नरसिम्हा स्तुति का पाठ कैसे करें?
नरसिम्हा स्तुति का पाठ प्रातःकाल या संध्या के समय शुद्ध मन और शरीर के साथ किया जाता है। पाठ से पहले भगवान नरसिंह की प्रतिमा या चित्र के सामने दीपक जलाना और कुछ पुष्प अर्पित करना शुभ माना जाता है। पाठ के दौरान उच्चारण की शुद्धता और ध्यान का होना आवश्यक है।
नरसिम्हा स्तुति के लाभ क्या हैं?
नरसिम्हा स्तुति के पाठ से नकारात्मक शक्तियों से रक्षा होती है। यह भक्तों को मानसिक शांति, भौतिक सुख-समृद्धि, और आध्यात्मिक उत्थान प्रदान करता है। साथ ही, यह भक्तों की मनोकामनाओं को पूर्ण करने में सहायक होती है और जीवन में सकारात्मकता लाती है।
क्या नरसिम्हा स्तुति किसी विशेष दिन पर की जानी चाहिए?
नरसिम्हा स्तुति किसी भी दिन की जा सकती है, लेकिन नरसिंह जयंती (वैशाख शुक्ल चतुर्दशी) पर इसका पाठ विशेष रूप से शुभ और फलदायी माना जाता है। इसके अलावा, एकादशी और पूर्णिमा के दिनों पर भी इसका पाठ अधिक लाभकारी होता है।