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बुधवार, नवम्बर 5, 2025

मूढ केहि बलपर तू इतरात – Moodh Kehi Balapar Too Itaraat  

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मूढ केहि बलपर तू इतरात

Moodh Kehi Balapar Too Itaraat Lyrics

मूढ ! केहि बलपर तू इतरात ।

करत न सीधी बात काहुसौं, सदा रहत अठलात ।

जा दिन प्रान देह तजि जैहैं, कोउ न पूछिर्दै बात ।।

जेहि तनुके सुख-साज सँवारन संतत सबहिं सतात ।

सो तनु सहज धूरि मिलि जैदै छार होहिं सब गात ॥

जेहि धन-संचै हेतु भूलि हरि, डोलत सब दिन-रात ।

धरम-करम तजि सदा गीध ज्यों मांस-हेतु ललचात ।।

सबसौं रारि करत, नहिं मानत बंधु-पूज्य, पितु-मात ।

सो धन-सरबस एहि यल रहिहै, संग न दमरी जात ।।

माल-मिलकियत सब रहि जैहैं, सबै टूटिहैं नात ।

सगे-सहोदर, पुत्र-पा हुने, तजिहैं जननी-तात ।।

राम-नामको जाप करत खल, पंचन माँहिं लजात ।

‘रामनाम सत’ सबै बोलिहैं तोहि मसानु लै जात ।।

रात-दिवस भटकत केहि कारन, नहिं कछु भेद लखात ।

भूलि भगतवत्सल भगवानहिं नर-तनु वृथा गँवात ।।

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