26.5 C
Gujarat
मंगलवार, नवम्बर 4, 2025

Meenakshi Stuti

Post Date:

Meenakshi Stuti

मीनाक्षी स्तुति” देवी मीनाक्षी की एक प्रसिद्ध स्तुति है जो श्रद्धा, भक्ति और देवी के दिव्य स्वरूप की प्रशंसा से भरपूर है। यह स्तुति मुख्य रूप से दक्षिण भारत के भक्तों द्वारा देवी मीनाक्षी की आराधना में गाई जाती है। देवी मीनाक्षी को भगवान शिव की अर्धांगिनी पार्वती का अवतार माना जाता है, जो मदुरै (तमिलनाडु) की अधिष्ठात्री देवी हैं। “मीनाक्षी” का अर्थ होता है – “मीन (मछली) जैसी आँखों वाली देवी।”

मीनाक्षी देवी का स्वरूप:

  • मीनाक्षी देवी त्रिपुरसुंदरी का रूप मानी जाती हैं।
  • उनके हाथों में तलवार, कमल, पाश और अंकुश होते हैं।
  • उनका रंग हरा वर्ण होता है और वे पीले वस्त्र पहनती हैं।
  • वे सौंदर्य, वीरता, न्याय और करुणा का प्रतीक हैं।

मीनाक्षी स्तुति की रचना:

  • यह स्तुति कई विद्वानों और संतों द्वारा रचित मानी जाती है, जिनमें विशेष रूप से आदि शंकराचार्य या कवि सुब्रमण्य भारती जैसे भक्तों के नाम प्रमुख हैं।
  • एक लोकप्रिय स्तोत्र “मीनाक्षी पंचरत्न स्तोत्रम्” है, जिसमें देवी के पाँच रत्न (श्लोक) हैं।
  • यह स्तोत्र संस्कृत भाषा में रचित है और भक्ति-संगीत के रूप में भी प्रचलित है।

मीनाक्षी स्तुति

शरशरासन- पाशलसत्करा-
मरुणवर्णतनुं पररूपिणीम्।
विजयदां परमां मनुजाः सदा
भजत मीनसमानसुलोचनाम्।

अभिनवेन्दु- शिरस्कृतभूषणा-
मुदितभास्कर- तुल्यविचित्रिताम्।
जननिमुख्यतरां मनुजाः सदा
भजत मीनसमानसुलोचनाम्।
अगणितां पुरुषेषु परोत्तमां
प्रणतसज्जन- रक्षणतत्पराम्।
गुणवतीमगुणां मनुजाः सदा
भजत मीनसमानसुलोचनाम्।

विमलगान्धित- चारुसरोजगा-
मगतवाङ्मय- मानसगोचराम्।
अमितसूर्यरुचिं मनुजाः सदा
भजत मीनसमानसुलोचनाम्।

परमधामभवां च चतुष्करां
सुरमसुन्दर- शङ्करसंयुताम्।
अतुलितां वरदां मनुजाः सदा
भजत मीनसमानसुलोचनाम्।

मीनाक्षी स्तुति के लाभ

  1. मन की शांति और स्थिरता: देवी का नाम स्मरण करने से चित्त एकाग्र होता है।
  2. कष्टों का निवारण: दैविक, दैहिक और भौतिक कष्टों से मुक्ति मिलती है।
  3. शत्रु बाधा से सुरक्षा: स्तुति पढ़ने से नकारात्मक शक्तियाँ दूर रहती हैं।
  4. सौंदर्य और आकर्षण की प्राप्ति: देवी के वर से सौंदर्य, आत्मविश्वास और तेजस्विता प्राप्त होती है।
  5. वैवाहिक जीवन में सुख: मीनाक्षी देवी पार्वती रूपा हैं, अतः वैवाहिक सुख और संतुलन देती हैं।

पूजा विधि

  • शुक्रवार को विशेष रूप से देवी की पूजा करना लाभकारी होता है।
  • स्तुति का पाठ स्नान के बाद शुद्ध मन से किया जाना चाहिए।
  • दीपक, पुष्प, हल्दी-कुमकुम और नैवेद्य अर्पित करना चाहिए।
  • यदि संभव हो तो मदुरै स्थित मीनाक्षी मंदिर के दर्शन करें, यह अत्यंत पुण्यदायक है।

मीनाक्षी देवी से जुड़ा प्रमुख मंदिर:

  • मदुरै मीनाक्षी अम्मन मंदिर (तमिलनाडु):
    यह मंदिर दक्षिण भारत का एक भव्य और ऐतिहासिक मंदिर है, जो मीनाक्षी देवी और भगवान सुंदरेश्वर (शिव) को समर्पित है। मंदिर की वास्तुकला, गोपुरम (मीनारें), और नवरात्रि उत्सव बहुत प्रसिद्ध हैं।
पिछला लेख
अगला लेख

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

धन्वन्तरिस्तोत्रम् | Dhanvantari Stotram

धन्वन्तरिस्तोत्रम् | Dhanvantari Stotramॐ नमो भगवते धन्वन्तरये अमृतकलशहस्ताय,सर्वामयविनाशनाय, त्रैलोक्यनाथाय...

दृग तुम चपलता तजि देहु – Drg Tum Chapalata Taji Dehu

दृग तुम चपलता तजि देहु - राग हंसधुन -...

हे हरि ब्रजबासिन मुहिं कीजे – He Hari Brajabaasin Muhin Keeje

 हे हरि ब्रजबासिन मुहिं कीजे - राग सारंग -...

नाथ मुहं कीजै ब्रजकी मोर – Naath Muhan Keejai Brajakee Mor

नाथ मुहं कीजै ब्रजकी मोर - राग पूरिया कल्याण...
error: Content is protected !!