32.4 C
Gujarat
गुरूवार, सितम्बर 25, 2025

Meenakshi Manimala Ashtaka Stotram

Post Date:

Meenakshi Manimala Ashtaka Stotram

मीनाक्षी मणिमाला अष्टक स्तोत्रम् एक अत्यंत सुंदर और भक्तिपूर्ण स्तोत्र है जो देवी मीनाक्षी को समर्पित है। यह स्तोत्र आठ श्लोकों का एक ऐसा रत्न है, जिसमें देवी मीनाक्षी के रूप, गुण, शक्ति और अनुग्रह का विस्तृत वर्णन मिलता है। इसे आदि शंकराचार्य या भट्ट माधव द्वारा रचित माना जाता है, हालांकि इसके रचयिता को लेकर निश्चित मतभेद हैं।

यह स्तोत्र तमिलनाडु के मदुरै में स्थित प्रसिद्ध मीनाक्षी अम्मन मंदिर की अधिष्ठात्री देवी मीनाक्षी को समर्पित है, जो देवी पार्वती का एक तेजस्वी रूप मानी जाती हैं। स्तोत्र का पाठ करने से मानसिक शांति, आध्यात्मिक उत्थान और देवी की कृपा प्राप्त होती है।

“अष्टक” का अर्थ

अष्टक शब्द संस्कृत मूल “अष्ट” से बना है, जिसका अर्थ होता है “आठ”। इस प्रकार अष्टक का अर्थ हुआ आठ श्लोकों का समूह। मीनाक्षी मणिमाला अष्टक में आठ ऐसे श्लोक हैं जो एक माला की भांति आपस में जुड़े हुए हैं और देवी मीनाक्षी के सौंदर्य, गुण, शक्ति और दिव्यता की स्तुति करते हैं।

मीनाक्षी मणिमाला अष्टक स्तोत्रम्

मधुरापुरनायिके नमस्ते
मधुरालापिशुकाभिरामहस्ते ।
मलयध्वजपाण्ड्यराजकन्ये
मयि मीनाक्षि कृपां विधेहि धन्ये ।।

कचनिर्जितकालमेघकान्ते
कमलासेवितपादपङ्कजान्ते ।
मधुरापुरवल्लभेष्टकान्ते
मयि मीनाक्षि दयां विधेहि शान्ते ।।
कुचयुग्मविधूतचक्रवाके
कृपया पालितसर्वजीवलोके ।
मलयध्वजसन्ततेः पताके
मयि मीनाक्षि कृपां निधेहि पाके ।।

विधिवाहनजेतृकेलियाने
विमतामोटनपूजितापदाने ।
मधुरेक्षणभावपूतमीने
मयि मीनाक्षि कृपां विधेहि दीने ।।
तपनीयपयोजिनीतटस्थे
तुहिनप्रायमहीधरोदरस्थे ।
मदनारिपरिग्रहे कृतार्थे
मयि मीनाक्षि कृपां निधेहि सार्थे ।।

कलकीरकलोक्तिनाददक्षे
कलितानेकजगन्निवासिरक्षे ।
मदनाशुगहल्लकान्तपाणे
मयि मीनाक्षि कृपां कुरु प्रवीणे ।।
मधुवैरिविरिञ्चिमुख्यसेव्ये
मनसा भावितचन्द्रमौलिसव्ये ।
तरसा परिपूतयज्ञहव्ये
मयि मीनाक्षि कृपां विधेहि भव्ये ।।
जगदम्ब कदम्बमूलवासे
कमलामोदमुखेन्दुमन्दहासे ।
मदमन्दिरचारुदृग्विलासे
मयि मीनाक्षि कृपां निधेहि दासे ।
पठतामनिशं प्रभातकाले
मणिमालाष्टकमष्टभूतिदायि ।
घटिकाशतचातुरीं प्रदद्यात्
करुणापूर्णकटाक्षसन्निवेशम् ।।

मीनाक्षी मणिमाला अष्टक स्तोत्रम् करने के लाभ

  1. मानसिक तनाव और शारीरिक पीड़ा से मुक्ति।
  2. पारिवारिक सुख, धन, सौभाग्य की प्राप्ति।
  3. भय, रोग, शत्रु और कष्टों से रक्षा।
  4. भक्ति, शुद्धता और आत्मिक विकास।
  5. स्त्री-शक्ति की आराधना से वैवाहिक सुख और संतान-सुख की प्राप्ति।

कब और कैसे करें पाठ

  • इस स्तोत्र का पाठ शुक्रवार या नवरात्रि, नवमी, महालया अमावस्या जैसे विशेष अवसरों पर करना शुभ माना जाता है।
  • देवी मीनाक्षी की मूर्ति/चित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर, लाल फूलों और कुंकुम से पूजा कर इस स्तोत्र का पाठ करें।
  • मन को शांत रखकर श्रद्धा और भक्ति से इसका पाठ करें।
पिछला लेख
अगला लेख

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

હો દેવી અન્નપૂર્ણા | Ho Devi Annapurna

હો દેવી અન્નપૂર્ણા | Ho Devi Annapurnaમાં શંખલ તે...

ऋग्वेद हिंदी में

ऋग्वेद हिंदी में | Rigveda in Hindiऋग्वेद (Rigveda in...

गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र – श्री विष्णु (Gajendra Moksham Stotram)

गजेंद्र मोक्ष स्तोत्र - Gajendra Moksham Stotramश्रीमद्धागवतान्तर्गत गजेन्द्रकृत भगवानका...

श्री शनि चालीसा

Shani Chalisaशनि चालीसा हिंदू धर्म में एक लोकप्रिय प्रार्थना...
error: Content is protected !!