Mahalakshmi Suprabhatam In Hindi
महालक्ष्मी सुप्रभातम्(Mahalakshmi Suprabhatam) देवी लक्ष्मी के प्रति समर्पित एक भक्ति स्तोत्र है, जिसे प्रातःकाल में सुनने या गाने से शुभ फल प्राप्त होते हैं। यह स्तोत्र देवी महालक्ष्मी की आराधना के लिए अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है। इसे वैदिक मंत्रों और स्तुतियों से प्रेरित होकर रचा गया है और इसमें देवी लक्ष्मी के विभिन्न रूपों, गुणों और आशीर्वादों का उल्लेख किया गया है।
महालक्ष्मी सुप्रभातम् का महत्व Mahalakshmi Suprabhatam Importance
- आध्यात्मिक शुद्धि: महालक्ष्मी सुप्रभातम् का पाठ करने से मन और आत्मा शुद्ध होती है। यह सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करता है और व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि लाता है।
- धन-धान्य की प्राप्ति: देवी लक्ष्मी धन, वैभव और समृद्धि की देवी हैं। उनके इस स्तोत्र का नियमित पाठ आर्थिक बाधाओं को दूर करता है और घर में धन का प्रवाह बनाए रखता है।
- मानसिक शांति: यह स्तोत्र ध्यान और प्रार्थना का माध्यम है, जो मानसिक तनाव को दूर कर शांति प्रदान करता है।
- घर-परिवार में सौहार्द: महालक्ष्मी सुप्रभातम् का गायन परिवार में प्रेम और सामंजस्य बढ़ाने में सहायक होता है।
महालक्ष्मी सुप्रभातम् का पाठ करने का समय और विधि
- समय: इस स्तोत्र का पाठ ब्रह्ममुहूर्त में, प्रातःकाल सूर्योदय से पहले करना सबसे शुभ माना जाता है। यह समय विशेष रूप से ऊर्जा और सकारात्मकता से भरा होता है।
- स्थान: साफ-सुथरे और शांत स्थान पर बैठकर पाठ करें। पूजा के लिए पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठना शुभ होता है।
महालक्ष्मी सुप्रभातम् विधि
स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहनें।देवी लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र के सामने दीप जलाएं।उनके चरणों में पुष्प, अक्षत, कुमकुम, और मिठाई अर्पित करें।महालक्ष्मी सुप्रभातम् का उच्चारण श्रद्धा और भक्ति के साथ करें।
महालक्ष्मी सुप्रभातम् Mahalakshmi Suprabhatam
ओं श्रीलक्ष्मि श्रीमहालक्ष्मि क्षीरसागरकन्यके
उत्तिष्ठ हरिसम्प्रीते भक्तानां भाग्यदायिनि।
उत्तिष्ठोत्तिष्ठ श्रीलक्ष्मि विष्णुवक्षस्थलालये
उत्तिष्ठ करुणापूर्णे लोकानां शुभदायिनि।
श्रीपद्ममध्यवसिते वरपद्मनेत्रे
श्रीपद्महस्तचिरपूजितपद्मपादे।
श्रीपद्मजातजननि शुभपद्मवक्त्रे
श्रीलक्ष्मि भक्तवरदे तव सुप्रभातम्।
जाम्बूनदाभसमकान्तिविराजमाने
तेजोस्वरूपिणि सुवर्णविभूषिताङ्गि।
सौवर्णवस्त्रपरिवेष्टितदिव्यदेहे
श्रीलक्ष्मि भक्तवरदे तव सुप्रभातम्।
सर्वार्थसिद्धिदे विष्णुमनोऽनुकूले
सम्प्रार्थिताखिलजनावनदिव्यशीले।
दारिद्र्यदुःखभयनाशिनि भक्तपाले
श्रीलक्ष्मि भक्तवरदे तव सुप्रभातम्।
चन्द्रानुजे कमलकोमलगर्भजाते
चन्द्रार्कवह्निनयने शुभचन्द्रवक्त्रे।
हे चन्द्रिकासमसुशीतलमन्दहासे
श्रीलक्ष्मि भक्तवरदे तव सुप्रभातम्।
श्रीआदिलक्ष्मि सकलेप्सितदानदक्षे
श्रीभाग्यलक्ष्मि शरणागत दीनपक्षे।
ऐश्वर्यलक्ष्मि चरणार्चितभक्तरक्षिन्
श्रीलक्ष्मि भक्तवरदे तव सुप्रभातम्।
श्रीधैर्यलक्ष्मि निजभक्तहृदन्तरस्थे
सन्तानलक्ष्मि निजभक्तकुलप्रवृद्धे।
श्रीज्ञानलक्ष्मि सकलागमज्ञानदात्रि
श्रीलक्ष्मि भक्तवरदे तव सुप्रभातम्।
सौभाग्यदात्रि शरणं गजलक्ष्मि पाहि
दारिद्र्यध्वंसिनि नमो वरलक्ष्मि पाहि।
सत्सौख्यदायिनि नमो धनलक्ष्मि पाहि
श्रीलक्ष्मि भक्तवरदे तव सुप्रभातम्।
श्रीराज्यलक्ष्मि नृपवेश्मगते सुहासिन्
श्रीयोगलक्ष्मि मुनिमानसपद्मवासिन्।
श्रीधान्यलक्ष्मि सकलावनिक्षेमदात्रि
श्रीलक्ष्मि भक्तवरदे तव सुप्रभातम्।
श्रीपार्वती त्वमसि श्रीकरि शैवशैले
क्षीरोदधेस्त्वमसि पावनि सिन्धुकन्या।
स्वर्गस्थले त्वमसि कोमले स्वर्गलक्ष्मी
श्रीलक्ष्मि भक्तवरदे तव सुप्रभातम्।
गङ्गा त्वमेव जननी तुलसी त्वमेव
कृष्णप्रिया त्वमसि भाण्डिरदिव्यक्षेत्रे।
राजगृहे त्वमसि सुन्दरि राज्यलक्ष्मी
श्रीलक्ष्मि भक्तवरदे तव सुप्रभातम्।
पद्मावती त्वमसि पद्मवने वरेण्ये
श्रीसुन्दरी त्वमसि श्रीशतशृङ्गक्षेत्रे।
त्वं भूतलेऽसि शुभदायिनि मर्त्यलक्ष्मी
श्रीलक्ष्मि भक्तवरदे तव सुप्रभातम्।
चन्द्रा त्वमेव वरचन्दनकाननेषु
देवि कदम्बविपिनेऽसि कदम्बमाला।
त्वं देवि कुन्दवनवासिनि कुन्ददन्ती
श्रीलक्ष्मि भक्तवरदे तव सुप्रभातम्।
श्रीविष्णुपत्नि वरदायिनि सिद्धलक्ष्मि
सन्मार्गदर्शिनि शुभङ्करि मोक्षलक्ष्मि।
श्रीदेवदेवि करुणागुणसारमूर्ते
श्रीलक्ष्मि भक्तवरदे तव सुप्रभातम्।
अष्टोत्तरार्चनप्रिये सकलेष्टदात्रि
हे विश्वधात्रि सुरसेवितपादपद्मे।
सङ्कष्टनाशिनि सुखङ्करि सुप्रसन्ने
श्रीलक्ष्मि भक्तवरदे तव सुप्रभातम्।
आद्यन्तरहिते वरवर्णिनि सर्वसेव्ये
सूक्ष्मातिसूक्ष्मतररूपिणि स्थूलरूपे।
सौन्दर्यलक्ष्मि मधुसूदनमोहनाङ्गि
श्रीलक्ष्मि भक्तवरदे तव सुप्रभातम्।
सौख्यप्रदे प्रणतमानसशोकहन्त्रि
अम्बे प्रसीद करुणासुधयाऽऽर्द्रदृष्ट्या।
सौवर्णहारमणिनूपुरशोभिताङ्गि
श्रीलक्ष्मि भक्तवरदे तव सुप्रभातम्।
नित्यं पठामि जननि तव नाम स्तोत्रं
नित्यं करोमि तव नामजपं विशुद्धे।
नित्यं शृणोमि भजनं तव लोकमातः
श्रीलक्ष्मि भक्तवरदे तव सुप्रभातम्।
माता त्वमेव जननी जनकस्त्वमेव
देवि त्वमेव मम भाग्यनिधिस्त्वमेव।
सद्भाग्यदायिनि त्वमेव शुभप्रदात्री
श्रीलक्ष्मि भक्तवरदे तव सुप्रभातम्।
वैकुण्ठधामनिलये कलिकल्मषघ्ने
नाकाधिनाथविनुते अभयप्रदात्रि।
सद्भक्तरक्षणपरे हरिचित्तवासिन्
श्रीलक्ष्मि भक्तवरदे तव सुप्रभातम्।
निर्व्याजपूर्णकरुणारससुप्रवाहे
राकेन्दुबिम्बवदने त्रिदशाभिवन्द्ये।
आब्रह्मकीटपरिपोषिणि दानहस्ते
श्रीलक्ष्मि भक्तवरदे तव सुप्रभातम्।
लक्ष्मीति पद्मनिलयेति दयापरेति
भाग्यप्रदेति शरणागतवत्सलेति।
ध्यायामि देवि परिपालय मां प्रसन्ने
श्रीलक्ष्मि भक्तवरदे तव सुप्रभातम्।
श्रीपद्मनेत्ररमणीवरे नीरजाक्षि
श्रीपद्मनाभदयिते सुरसेव्यमाने।
श्रीपद्मयुग्मधृतनीरजहस्तयुग्मे
श्रीलक्ष्मि भक्तवरदे तव सुप्रभातम्।
इत्थं त्वदीयकरुणात्कृतसुप्रभातं
ये मानवाः प्रतिदिनं प्रपठन्ति भक्त्या।
तेषां प्रसन्नहृदये कुरु मङ्गलानि
श्रीलक्ष्मि भक्तवरदे तव सुप्रभातम्।
महालक्ष्मी सुप्रभातम् स्तोत्र का प्रभाव
महालक्ष्मी सुप्रभातम् के शब्द, छंद और ध्वनि का प्रभाव मन-मस्तिष्क पर सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करता है। यह न केवल आर्थिक समस्याओं को दूर करता है, बल्कि व्यक्ति के जीवन में शुभता और सौभाग्य को आकर्षित करता है। इसे नियमित रूप से सुनने या गाने से घर में सकारात्मक माहौल बनता है।
महालक्ष्मी सुप्रभातम् पर पूछे जाने वाले प्रश्न FAQs for Mahalakshmi Suprabhatam
महालक्ष्मी सुप्रभातम् क्या है?
महालक्ष्मी सुप्रभातम् एक प्राचीन संस्कृत स्तोत्र है जो माँ लक्ष्मी को समर्पित है। यह प्रातःकाल गाया जाने वाला पवित्र पाठ है।
महालक्ष्मी सुप्रभातम् का पाठ कब करना चाहिए?
इसका पाठ प्रातःकाल (ब्रह्म मुहूर्त) में करना सबसे उत्तम माना जाता है। यह समय सूर्योदय से पहले का होता है।
महालक्ष्मी सुप्रभातम् के पाठ से क्या लाभ होते हैं?
इसके पाठ से:
धन-संपत्ति में वृद्धि
सौभाग्य की प्राप्ति
जीवन में समृद्धि
माँ लक्ष्मी की कृपा
मानसिक शांतिक्या इस स्तोत्र को किसी विशेष दिन पढ़ना चाहिए?
इसे प्रतिदिन पढ़ा जा सकता है, लेकिन शुक्रवार और दीपावली के दिन इसका पाठ विशेष फलदायी माना जाता है।
पाठ से पहले क्या तैयारी करनी चाहिए?
स्नान करके पवित्र हों
साफ वस्त्र धारण करें
पूजा स्थल को स्वच्छ करें
दीप जलाएं
माँ लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र के सामने बैठेंक्या महालक्ष्मी सुप्रभातम् का पाठ महिलाएं और पुरुष दोनों कर सकते हैं?
हाँ, यह स्तोत्र सभी के लिए है। इसका पाठ कोई भी श्रद्धालु कर सकता है।