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गुरूवार, मई 15, 2025

श्री महाकाली चालीसा

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श्री महाकाली चालीसा

श्री महाकाली चालीसा हिंदू धर्म में माँ महाकाली की भक्ति और उनकी शक्ति का एक प्रेरणादायक स्तोत्र है। यह चालीसा 40 छंदों (दोहों) में लिखा गया है, जो माँ महाकाली के विभिन्न रूपों, उनके गुणों और भक्तों को प्रदान होने वाले आशीर्वादों का वर्णन करता है। महाकाली, जो शक्ति, साहस और समय की देवी के रूप में जानी जाती हैं, अपने भक्तों को नकारात्मक ऊर्जा से मुक्ति, भय से छुटकारा और जीवन में समृद्धि प्रदान करती हैं। इस लेख में हम श्री महाकाली चालीसा के महत्व, इसके छंदों की संरचना, और इसे पढ़ने के लाभों को विस्तार से जानेंगे।

महाकाली

महाकाली हिंदू पौराणिक कथाओं में देवी पार्वती का एक उग्र रूप हैं। इन्हें समय (काल) की देवी और सभी बुराइयों का नाश करने वाली शक्ति के रूप में पूजा जाता है। उनका रंग गहरा नीला या काला होता है, जो अनंतता और रहस्य को दर्शाता है। उनके हाथों में तलवार, मुंडमाला, और अभय मुद्रा है, जो क्रमशः अज्ञानता का नाश, मृत्यु पर विजय, और भक्तों को सुरक्षा का संदेश देती है। महाकाली की पूजा विशेष रूप से नवरात्रि और दीपावली के समय की जाती है, जब भक्त उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए उपवास, जप और चालीसा का पाठ करते हैं।

श्री महाकाली
श्री महाकाली

श्री महाकाली चालीसा

|| दोहा ||

जय जय सीताराम के मध्यवासिनी अम्ब।
देहु दर्श जगदम्ब अब, करो न मातु विलम्ब ॥

जय तारा जय कालिका जय दश विद्या वृन्द ।
काली चालीसा रचत एक सिद्धि कवि हिन्द ॥

प्रातः काल उठ जो पढ़े, दुपहरिया या शाम।
दुःख दारिद्रता दूर हों सिद्धि होय सब काम ॥

॥ चौपाई ॥

जय काली कंकाल मालिनी, जय मंगला महा कपालिनी ।
रक्तबीज बधकारिणि माता, सदा भक्त जननकी सुखदाता ।

शिरो मालिका भूषित अंगे, जय काली जय मद्य मतंगे।
हर हृदयारविन्द सुविलासिनि, जय जगदम्बा सकल दुःख नाशिनि ।

ह्रीं काली श्रीं महाकराली, क्रीं कल्याणी दक्षिणाकाली।
जय कलावती जय विद्यावती, जय तारा सुन्दरी महामति ।

देहु सुबुद्धि हरहु सब संकट, होहु भक्त के आगे परगट ।
जय ॐ कारे जय हुंकारे, महा शक्ति जय अपरम्पारे ।

कमला कलियुग दर्प विनाशिनी, सदा भक्त जन के भयनाशिनी।
अब जगदम्ब न देर लगावहु, दुख दरिद्रता मोर हटावहु ।

जयति कराल कालिका माता, कालानल समान द्युतिगाता ।
जयशंकरी सुरेशि सनातनि, कोटि सिद्धि कवि मातु पुरातनि।

कपर्दिनी कलि कल्प बिमोचनि, जय विकसित नव नलिनबिलोचनि ।
आनन्द करणि आनन्द निधाना, देहुमातु मोहि निर्मल ज्ञाना।

करुणामृत सागर कृपामयी, होहु दुष्ट जनपर अब निर्दयी।
सकल जीव तोहि परम पियारा, सकल विश्व तोरे आधारा।

प्रलय काल में नर्तन कारिणि, जय जननी सब जगकी पालनि।
महोदरी महेश्वरी माया, हिमगिरि सुता विश्व की छाया ।

स्वछन्द रद मारद धुनि माही, गर्जत तुम्ही और कोउ नाही।
स्फुरति मणिगणाकार प्रताने, तारागण तू ब्योंम विताने ।

श्री धारे सन्तन हितकारिणी, अग्नि पाणि अति दुष्ट विदारिणि ।
धूम्र विलोचनि प्राण विमोचनि, शुम्भ निशुम्भ मथनि वरलोचनि।

सहस भुजी सरोरुह मालिनी, चामुण्डे मरघट की वासिनी।
खप्पर मध्य सुशोणित साजी, मारेहु माँ महिषासुर पाजी।

अम्ब अम्बिका चण्ड चण्डिका, सब एके तुम आदि कालिका ।
अजा एकरूपा बहुरूपा, अकथ चरित्र तव शक्ति अनूपा ।

कलकत्ता के दक्षिण द्वारे, मूरति तोर महेशि अपारे।
कादम्बरी पानरत श्यामा, जय मातंगी काम के धामा।

कमलासन वासिनी कमलायनि, जय श्यामा जय जय श्यामायनि ।
मातंगी जय जयति प्रकृति हे, जयति भक्ति उर कुमति सुमति हे।

कोटिब्रह्म शिव विष्णु कामदा, जयति अहिंसा धर्म जन्मदा ।
जल थल नभमण्डल में व्यापिनी, सौदामिनि मध्य अलापिनि ।

झननन तच्छु मरिरिन नादिनि, जय सरस्वती वीणा वादिनी ।
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे, कलित कण्ठ शोभित नरमुण्डा।

जय ब्रह्माण्ड सिद्धि कवि माता, कामाख्या और काली माता।
हिंगलाज विन्ध्याचल वासिनि, अद्रुहासिनी अरु अघन नाशिनी ।

कितनी स्तुति करूँ अखण्डे, तू ब्रह्माण्डे शक्तिजितचण्डे ।
करहु कृपा सबपे जगदम्बा, रहहिं निशंक तोर अवलम्बा ।

चतुर्भुजी काली तुम श्यामा, रूप तुम्हार महा अभिरामा।
खड्ग और खप्पर कर सोहत, सुर नर मुनि सबको मन मोहत।

तुम्हरी कृपा पावे जो कोई, रोग शोक नहिं ताकहँ होई।
जो यह पाठ करे चालीसा, तापर कृपा करहि गौरीशा।

॥ दोहा ॥

जय कपालिनी जय शिवा, जय जय जय जगदम्ब।
सदा भक्तजन केरि दुःख हरहु मातु अवलम्ब ॥



श्री महाकाली चालीसा का महत्व

श्री महाकाली चालीसा का पाठ करना न केवल आध्यात्मिक लाभ प्रदान करता है, बल्कि यह भक्तों को मानसिक शांति और आत्मविश्वास भी देता है। इसकी कुछ मुख्य विशेषताएँ हैं:

  • नकारात्मकता का नाश: माना जाता है कि नियमित पाठ से घर और जीवन से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है।
  • भयमुक्त जीवन: माँ महाकाली के भक्तों को उनके आशीर्वाद से शत्रुओं और भय से मुक्ति मिलती है।
  • सफलता और समृद्धि: चालीसा का जाप करने से व्यवसाय, शिक्षा, और पारिवारिक जीवन में सफलता प्राप्त होती है।
  • आध्यात्मिक उन्नति: यह भक्त को मोक्ष और आत्मज्ञान की ओर ले जाता है।

चालीसा का पाठ विधि

श्री महाकाली चालीसा का पाठ करने के लिए निम्नलिखित नियमों का पालन करना चाहिए:

  1. शुद्धता: पाठ से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. स्थान: एक शांत और पवित्र स्थान पर माँ की मूर्ति या तस्वीर के सामने बैठें।
  3. सामग्री: अगरबत्ती, दीपक, और लाल फूलों का उपयोग करें, क्योंकि लाल रंग माँ को प्रिय है।
  4. संख्या: प्रति दिन 1, 3, 7, या 11 बार चालीसा का पाठ करें। विशेष मनोकामना के लिए 40 दिन तक लगातार जप करना शुभ माना जाता है।
  5. ध्यान: पाठ के दौरान माँ महाकाली के चरणों में ध्यान लगाएँ और उनकी कृपा की प्रार्थना करें।

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