Lakshmi Stuti In Hindi
महालक्ष्मी स्तुति(Lakshmi Stuti) देवी लक्ष्मी को समर्पित एक अत्यंत शक्तिशाली और पवित्र स्तुति है। यह स्तुति हिंदू धर्म में धन, समृद्धि और ऐश्वर्य की देवी महालक्ष्मी की महिमा का गान करती है। महालक्ष्मी स्तुति का पाठ करने से जीवन में सुख-समृद्धि, आर्थिक स्थिरता और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। इसे विशेष रूप से शुक्रवार के दिन, नवरात्रि के समय, दीपावली या अन्य शुभ अवसरों पर पढ़ा जाता है।
महालक्ष्मी स्तुति का महत्व Importance of Lakshmi Stuti
महालक्ष्मी स्तुति का पाठ भक्तों को देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने का माध्यम माना गया है। यह स्तुति न केवल धन की प्राप्ति के लिए की जाती है, बल्कि जीवन में शांति और संतोष लाने के लिए भी प्रभावी है। शास्त्रों में उल्लेख है कि जो भक्त सच्चे मन और श्रद्धा से इस स्तुति का पाठ करते हैं, उनके जीवन में सभी प्रकार की बाधाएं दूर हो जाती हैं।
महालक्ष्मी स्तुति विशेष रूप से उन लोगों के लिए अत्यधिक फलदायी मानी जाती है, जो आर्थिक संकट, कर्ज या धन से संबंधित समस्याओं से जूझ रहे हैं। यह स्तुति मानसिक शांति प्रदान करती है और जीवन को सकारात्मक दिशा में अग्रसर करने में मदद करती है।
महालक्ष्मी स्तुति का पाठ कैसे करें
- सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें और घर के पूजास्थल में दीया जलाएं।
- देवी लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र के सामने आसन पर बैठें।
- सफेद या पीले फूल, चंदन, धूप और प्रसाद अर्पित करें।
- श्री सूक्त, लक्ष्मी अष्टोत्तर शतनामावली या महालक्ष्मी स्तुति का पाठ करें।
महालक्ष्मी स्तुति का पाठ
आदिलक्ष्मि नमस्तेऽस्तु परब्रह्मस्वरूपिणि।
यशो देहि धनं देहि सर्वकामांश्च देहि मे।
सन्तानलक्ष्मि नमस्तेऽस्तु पुत्रपौत्रप्रदायिनि।
पुत्रं देहि धनं देहि सर्वकामांश्च देहि मे।
विद्यालक्ष्मि नमस्तोऽस्तु ब्रह्मविद्यास्वरूपिणि।
विद्यां देहि कलां देहि सर्वकामांश्च देहि मे।
धनलक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वदारिद्र्यनाशिनि।
धनं देहि श्रियं देहि सर्वकामांश्च देहि मे।
धान्यलक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वाभरणभूषिते।
धान्यं देहि धनं देहि सर्वकामांश्च देहि मे।
मेधालक्ष्मि नमस्तेऽस्तु कलिकल्मषनाशिनि।
प्रज्ञां देहि श्रियं देहि सर्वकामांश्च देहि मे।
गजलक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वदेवस्वरूपिणि।
अश्वांश्च गोकुलं देहि सर्वकामांश्च देहि मे।
धैर्यलक्ष्मि नमस्तेऽस्तु पराशक्तिस्वरूपिणि।
धैर्यं देहि बलं देहि सर्वकामांश्च देहि मे।
जयलक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वकार्यजयप्रदे।
जयं देहि शुभं देहि सर्वकामांश्च देहि मे।
भाग्यलक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सौमङ्गल्यविवर्धिनि।
भाग्यं देहि श्रियं देहि सर्वकामांश्च देहि मे।
कीर्तिलक्ष्मि नमस्तेऽस्ति विष्णुवक्षस्थलस्थिते।
कीर्तिं देहि श्रियं देहि सर्वकामांश्च देहि मे।
आरोग्यलक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वरोगनिवारिणि।
आयुर्देहि श्रियं देहि सर्वकामांश्च देहि मे।
सिद्धलक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वसिद्धिप्रदायिनि।
सिद्धिं देहि श्रियं देहि सर्वकामांश्च देहि मे।
सौन्दर्यलक्ष्मि नमस्तेऽस्तु सर्वालङ्कारशोभिते।
रूपं देहि श्रियं देहि सर्वकामांश्च देहि मे।
साम्राज्यलक्ष्मि नमस्तेऽस्तु भुक्तिमुक्तिप्रदायिनि।
मोक्षं देहि श्रियं देहि सर्वकामांश्च देहि मे।
मङ्गले मङ्गलाधारे माङ्गल्ये मङ्गलप्रदे।
मङ्गलार्थं मङ्गलेशि माङ्गल्यं देहि मे सदा।
महालक्ष्मी स्तुति के लाभ Lakshmi Stuti Benifits
- धन-समृद्धि की प्राप्ति: महालक्ष्मी स्तुति का नियमित पाठ करने से घर में धन और ऐश्वर्य का वास होता है।
- सकारात्मक ऊर्जा: यह स्तुति घर और कार्यस्थल से नकारात्मक ऊर्जा को दूर करती है।
- संकटों का निवारण: आर्थिक, पारिवारिक और मानसिक समस्याओं का समाधान मिलता है।
- आध्यात्मिक उन्नति: यह स्तुति भक्त को मानसिक शांति और आध्यात्मिक सुख प्रदान करती है।
महालक्ष्मी स्तुति का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व Importance of Lakshmi Stuti
हिंदू धर्म में देवी लक्ष्मी को विष्णु भगवान की अर्धांगिनी माना गया है। उनकी पूजा समृद्धि, सौभाग्य और धन प्राप्ति के लिए की जाती है। महालक्ष्मी स्तुति का पाठ यह सुनिश्चित करता है कि परिवार में खुशहाली और संतोष बना रहे।
दीपावली के समय महालक्ष्मी पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन भक्तजन घरों को दीपों से सजाते हैं, देवी की पूजा करते हैं और महालक्ष्मी स्तुति का पाठ करके उनसे आशीर्वाद मांगते हैं।
महालक्ष्मी स्तुति Lakshmi Stuti
महालक्ष्मी स्तुति क्या है?
महालक्ष्मी स्तुति देवी लक्ष्मी की प्रार्थना और स्तवन है। यह श्लोक या मंत्रों का एक संग्रह है, जो देवी लक्ष्मी की कृपा, धन, समृद्धि और सुख-शांति की प्राप्ति के लिए गाया या पाठ किया जाता है। इसे विशेष रूप से धनतेरस, दीपावली और शुक्रवार के दिन पढ़ा जाता है।
महालक्ष्मी स्तुति का पाठ कब और कैसे करना चाहिए?
महालक्ष्मी स्तुति का पाठ प्रातःकाल या संध्याकाल में स्नान के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनकर करना चाहिए। पूजा स्थल को साफ करें, देवी लक्ष्मी की प्रतिमा या चित्र के सामने दीपक जलाएं और शुद्ध मन से पाठ करें। शुक्रवार या विशेष त्योहारों पर इसका पाठ अधिक फलदायक माना जाता है।
महालक्ष्मी स्तुति के क्या लाभ हैं?
महालक्ष्मी स्तुति के पाठ से देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। यह धन, समृद्धि, सुख-शांति और वैभव का आशीर्वाद देता है। इसके नियमित पाठ से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और आर्थिक समस्याओं से छुटकारा मिलता है।
महालक्ष्मी स्तुति में कौन-कौन से मंत्र शामिल हैं?
महालक्ष्मी स्तुति में आमतौर पर “श्री महालक्ष्म्यष्टकम्”, “महालक्ष्मी गायत्री मंत्र” और “लक्ष्मी चालीसा” जैसे श्लोक शामिल होते हैं। ये सभी मंत्र देवी लक्ष्मी की महिमा का गुणगान करते हैं और भक्त को उनकी कृपा प्राप्त करने में सहायता करते हैं।
महालक्ष्मी स्तुति का पाठ करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
महालक्ष्मी स्तुति का पाठ करते समय शुद्धता और भक्ति का विशेष ध्यान रखना चाहिए। मन को शांत और ध्यान केंद्रित रखना चाहिए। पाठ के दौरान किसी भी नकारात्मक विचार से बचना चाहिए। इसके साथ ही, देवी लक्ष्मी की प्रसन्नता के लिए दीपक जलाना, फूल अर्पित करना और नैवेद्य चढ़ाना शुभ माना जाता है।