लक्ष्मी नृसिंह शरणागति स्तोत्र(Lakshmi Narasimha Sharanagati Stotram) एक अत्यंत पवित्र और प्रभावशाली स्तोत्र है जो भगवान नृसिंह और माता लक्ष्मी को समर्पित है। यह स्तोत्र विष्णु भक्ति परंपरा में अपनी खास जगह रखता है और भक्तों को भगवान की कृपा प्राप्त करने का साधन प्रदान करता है। यह स्तोत्र मुख्यतः संकटों से मुक्ति, आत्मबल प्राप्त करने और भगवान नृसिंह के शरणागत भक्तों की रक्षा के लिए प्रसिद्ध है।
इस स्तोत्र की रचना श्री वेदांत देशिक द्वारा की गई है। वेदांत देशिक 12वीं-13वीं शताब्दी के महान भक्त और संत थे, जो श्रीवैष्णव परंपरा के प्रमुख आचार्यों में से एक थे। उन्होंने यह स्तोत्र भगवान नृसिंह की अपार करुणा और उनकी रक्षा करने वाली शक्ति को वर्णित करते हुए लिखा।
लक्ष्मी नृसिंह शरणागति स्तोत्र की महिमा
भगवान नृसिंह, भगवान विष्णु का उग्र और तेजस्वी अवतार हैं, जो हिरण्यकशिपु का वध कर अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए प्रकट हुए थे। उनके साथ माता लक्ष्मी का होना उनकी सौम्यता और भक्तों पर कृपा दर्शाता है। लक्ष्मी नृसिंह को संकटमोचन और शरणागत वत्सल (शरण में आए भक्तों की रक्षा करने वाले) कहा जाता है।
लक्ष्मी नृसिंह शरणागति स्तोत्र के पाठ का महत्व Importance of Lakshmi Narasimha Sharanagati Stotram
लक्ष्मी नृसिंह शरणागति स्तोत्र का नियमित पाठ भक्तों को आत्मबल और मानसिक शांति प्रदान करता है। यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए अत्यंत लाभकारी माना गया है जो किसी प्रकार के संकट, शत्रु भय, या मानसिक कष्ट से गुजर रहे हों।
लक्ष्मी नृसिंह शरणागति स्तोत्र पाठ का समय और विधि
- यह स्तोत्र प्रातःकाल, संध्या या रात्रि में किसी भी समय श्रद्धा के साथ पढ़ा जा सकता है।
- पाठ के लिए शांत और स्वच्छ स्थान चुनें।
- भगवान नृसिंह और माता लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक और अगरबत्ती जलाएं।
- पाठ से पहले भगवान का ध्यान करें और अपनी कष्टों के निवारण की प्रार्थना करें।
लक्ष्मी नृसिंह शरणागति स्तोत्र के लाभ Benifits of Lakshmi Narasimha Sharanagati Stotram
- संकट और भय से मुक्ति।
- मानसिक और आत्मिक शांति।
- शत्रुओं से सुरक्षा।
- आध्यात्मिक उन्नति।
- भगवान नृसिंह और माता लक्ष्मी की कृपा प्राप्ति।
लक्ष्मी नृसिंह शरणागति स्तोत्र Lakshmi Narasimha Sharanagati Stotram
लक्ष्मीनृसिंहललनां जगतोस्यनेत्रीं
मातृस्वभावमहितां हरितुल्यशीलाम् ।
लोकस्य मङ्गलकरीं रमणीयरूपां
पद्मालयां भगवतीं शरणं प्रपद्ये ॥
श्रीयादनामकमुनीन्द्रतपोविशेषात्
श्रीयादशैलशिखरे सततं प्रकाशौ ।
भक्तानुरागभरितौ भवरोगवैद्यौ
लक्ष्मीनृसिंहचरणौ शरणं प्रपद्ये ॥
देवस्वरूपविकृतावपिनैजरूपौ
सर्वोत्तरौ सुजनचारुनिषेव्यमानौ ।
सर्वस्य जीवनकरौ सदृशस्वरूपौ
लक्ष्मीनृसिंहचरणौ शरणं प्रपद्ये ॥
लक्ष्मीश ते प्रपदने सहकारभूतौ
त्वत्तोप्यति प्रियतमौ शरणागतानाम् ।
रक्षाविचक्षणपटू करुणालयौ श्री-
लक्ष्मीनृसिंह चरणौ शरणम् प्रपद्ये ॥
प्रह्लादपौत्रबलिदानवभूमिदान-
कालप्रकाशितनिजान्यजघन्यभावौ ।
लोकप्रमाणकरणौ शुभदौ सुरानां
लक्ष्मीनृसिंहचरणौ शरणं प्रपद्ये ॥
कायादवीयशुभमानसराजहंसौ
वेदान्तकल्पतरुपल्लवटल्लिजौतौ ।
सद्भक्तमूलधनमित्युदितप्रभावौ
लक्ष्मीनृसिंह चरणौ शरणं प्रपद्ये ॥
लक्ष्मी नृसिंह शरणागति स्तोत्र से संबंधित कुछ सामान्य प्रश्न और उत्तर
लक्ष्मी नृसिंह शरणागति स्तोत्र क्या है?
लक्ष्मी नृसिंह शरणागति स्तोत्र भगवान लक्ष्मी नृसिंह जी की महिमा का गुणगान करने वाला एक स्तोत्र है, जिसे संकटों से मुक्ति और समृद्धि के लिए पढ़ा जाता है। यह स्तोत्र श्रीमच्छङ्कराचार्य द्वारा रचा गया है
इस स्तोत्र के पाठ का क्या महत्व है?
इस स्तोत्र का पाठ करने से भक्त को लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है और उसके जीवन में धन-समृद्धि की वृद्धि होती है। यह धन, वैभव और दरिद्रता से मुक्ति के लिए विशेष रूप से लाभकारी माना गया है
क्या लक्ष्मी नृसिंह शरणागति स्तोत्र का पाठ कोई भी कर सकता है?
हां, लक्ष्मी नृसिंह शरणागति स्तोत्र का पाठ कोई भी व्यक्ति कर सकता है। इसके लिए किसी विशेष योग्यता की आवश्यकता नहीं होती है
लक्ष्मी नृसिंह शरणागति स्तोत्र का पाठ करने का सही समय क्या है?
आदर्श रूप से, इस स्तोत्र का पाठ सुबह या शाम के समय करना शुभ माना जाता है, विशेषकर नित्य समय पर इसको पढ़ने से अधिक लाभ होता है