Ganesha Ashtakam In Hindi
गणेश अष्टकम्(Ganesha Ashtakam) भगवान गणेश की स्तुति में रचित आठ श्लोकों का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है। इसे संस्कृत साहित्य में भक्ति और प्रार्थना के क्षेत्र में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। अष्टकम् का अर्थ है “आठ पदों का संग्रह,” और इस ग्रंथ में भगवान गणेश के अद्वितीय स्वरूप, गुणों और लीलाओं का वर्णन किया गया है। यह अष्टकम् भक्तों को आध्यात्मिक शांति और सिद्धि प्रदान करने का माध्यम है।
गणेश अष्टकम् का महत्व Ganesha Ashtakam Importance
गणेश अष्टकम् का पाठ करते समय भगवान गणेश की महिमा का बखान किया जाता है। गणपति को “विघ्नहर्ता” और “सिद्धि प्रदाता” माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि गणेश अष्टकम् का नियमित पाठ करने से मनुष्य के जीवन से सभी प्रकार की बाधाएँ समाप्त हो जाती हैं। यह अष्टकम् न केवल शारीरिक और मानसिक शांति प्रदान करता है, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग भी प्रशस्त करता है।
गणेश अष्टकम् की रचना और शैली
गणेश अष्टकम् सरल और मधुर श्लोकों में रचा गया है, जिसमें भगवान गणेश की विभिन्न उपाधियों, उनके स्वरूप और उनकी शक्ति का वर्णन मिलता है। हर श्लोक भगवान गणेश के किसी विशेष गुण या लीलाओं का वर्णन करता है। इसके प्रत्येक शब्द में भक्ति, श्रद्धा और दिव्यता का अनुभव होता है।
गणेश अष्टकम् Ganesha Ashtakam Lyrics
सर्वे उचुः ।
यतोऽनन्तशक्तेरनन्ताश्च जीवा
यतो निर्गुणादप्रमेया गुणास्ते ।
यतो भाति सर्वं त्रिधा भेदभिन्नं
सदा तं गणेशं नमामो भजामः ॥ १ ॥
यतश्चाविरासीज्जगत्सर्वमेत-
-त्तथाब्जासनो विश्वगो विश्वगोप्ता ।
तथेन्द्रादयो देवसङ्घा मनुष्याः
सदा तं गणेशं नमामो भजामः ॥ २ ॥
यतो वह्निभानू भवो भूर्जलं च
यतः सागराश्चन्द्रमा व्योम वायुः ।
यतः स्थावरा जङ्गमा वृक्षसङ्घाः
सदा तं गणेशं नमामो भजामः ॥ ३ ॥
यतो दानवाः किन्नरा यक्षसङ्घा
यतश्चारणा वारणाः श्वापदाश्च ।
यतः पक्षिकीटा यतो वीरुधश्च
सदा तं गणेशं नमामो भजामः ॥ ४ ॥
यतो बुद्धिरज्ञाननाशो मुमुक्षो-
-र्यतः सम्पदो भक्तसन्तोषदाः स्युः ।
यतो विघ्ननाशो यतः कार्यसिद्धिः
सदा तं गणेशं नमामो भजामः ॥ ५ ॥
यतः पुत्रसम्पद्यतो वाञ्छितार्थो
यतोऽभक्तविघ्नास्तथाऽनेकरूपाः ।
यतः शोकमोहौ यतः काम एव
सदा तं गणेशं नमामो भजामः ॥ ६ ॥
यतोऽनन्तशक्तिः स शेषो बभूव
धराधारणेऽनेकरूपे च शक्तः ।
यतोऽनेकधा स्वर्गलोका हि नाना
सदा तं गणेशं नमामो भजामः ॥ ७ ॥
यतो वेदवाचो विकुण्ठा मनोभिः
सदा नेति नेतीति यत्ता गृणन्ति ।
परब्रह्मरूपं चिदानन्दभूतं
सदा तं गणेशं नमामो भजामः ॥ ८ ॥
श्रीगणेश उवाच ।
पुनरूचे गणाधीशः स्तोत्रमेतत्पठेन्नरः ।
त्रिसन्ध्यं त्रिदिनं तस्य सर्वकार्यं भविष्यति ॥ ९ ॥
यो जपेदष्टदिवसं श्लोकाष्टकमिदं शुभम् ।
अष्टवारं चतुर्थ्यां तु सोऽष्टसिद्धीरवाप्नुयात् ॥ १० ॥
यः पठेन्मासमात्रं तु दशवारं दिने दिने ।
स मोचयेद्बन्धगतं राजवध्यं न संशयः ॥ ११ ॥
विद्याकामो लभेद्विद्यां पुत्रार्थी पुत्रमाप्नुयात् ।
वाञ्छिताँल्लभते सर्वानेकविंशतिवारतः ॥ १२ ॥
यो जपेत्परया भक्त्या गजाननपरो नरः ।
एवमुक्त्वा ततो देवश्चान्तर्धानं गतः प्रभुः ॥ १३ ॥
इति श्रीगणेशपुराणे उपासनाखण्डे श्रीगणेशाष्टकम् ।
गणेश अष्टकम् पाठ के लाभ Ganesha Ashtakam Benifits
- विघ्नों का नाश: गणेश अष्टकम् का पाठ करने से जीवन की कठिनाइयाँ और विघ्न दूर होते हैं।
- मनोकामना पूर्ति: जो भी व्यक्ति सच्चे मन से इसका पाठ करता है, उसकी इच्छाएँ पूरी होती हैं।
- शांति और प्रसन्नता: यह पाठ मन को शांति और आंतरिक खुशी प्रदान करता है।
- आध्यात्मिक उन्नति: गणेश अष्टकम् का पाठ व्यक्ति के आध्यात्मिक विकास में सहायक होता है।
गणेश अष्टकम् पर आधारित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न और उनके उत्तर FAQs for Ganesha Ashtakam
गणेश अष्टकम् क्या है?
गणेश अष्टकम् एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान गणेश की स्तुति और आराधना के लिए रचा गया है। इसमें आठ श्लोक होते हैं।
गणेश अष्टकम् का पाठ करने का मुख्य उद्देश्य क्या है?
गणेश अष्टकम् का पाठ भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने, विघ्नों को दूर करने और जीवन में सफलता के लिए किया जाता है।
गणेश अष्टकम् का पाठ कब करना चाहिए?
गणेश अष्टकम् का पाठ सुबह स्नान के बाद, विशेषकर बुधवार या चतुर्थी के दिन, करना शुभ माना जाता है।
गणेश अष्टकम् में भगवान गणेश के किन स्वरूपों की स्तुति की गई है?
गणेश अष्टकम् में भगवान गणेश के विघ्नहर्ता, बुद्धि प्रदान करने वाले और मंगलकारी स्वरूपों की स्तुति की गई है।
गणेश अष्टकम् का पाठ किस प्रकार की मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए किया जाता है?
गणेश अष्टकम् का पाठ विघ्न-बाधाओं को दूर करने, विद्या, बुद्धि और समृद्धि की प्राप्ति के लिए किया जाता है।
गणेश अष्टकम् न केवल एक धार्मिक पाठ है, बल्कि यह आत्मा को शुद्ध करने और भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने का माध्यम भी है। इसका नियमित पाठ करने से भक्त के जीवन में सुख, समृद्धि और सफलता आती है। यह अष्टकम् संस्कृत भाषा की साहित्यिक और आध्यात्मिक विरासत का एक अनमोल रत्न है, जिसे हर भक्त को अपनाना चाहिए।