दुर्गा कवचम(Durga Kavacham) सनातन धर्म में देवी दुर्गा की महिमा का वर्णन करने वाला एक दिव्य स्तोत्र है। यह मार्कण्डेय पुराण के “दुर्गा सप्तशती” या “चण्डी पाठ” का एक महत्वपूर्ण भाग है। इसमें देवी दुर्गा की विभिन्न शक्तियों और उनके संरक्षण को प्रभावी रूप से वर्णित किया गया है। यह स्तोत्र श्रद्धालुओं को आत्मिक शक्ति प्रदान करता है और नकारात्मक ऊर्जा से बचाने का कवच माना जाता है।
दुर्गा कवचम का महत्व Durga Kavacham Importance
दुर्गा कवचम का पाठ व्यक्ति को भय, नकारात्मकता, बुरे सपने, और जीवन की कठिनाइयों से बचाने में सहायक होता है। यह माना जाता है कि इसका पाठ करने से देवी दुर्गा अपने भक्तों को हर प्रकार की हानि, रोग और शत्रुओं से सुरक्षा प्रदान करती हैं।
दुर्गा कवचम के पाठ का फल Durga Kavacham Benefits
- सुरक्षा कवच: यह शरीर, मन और आत्मा के लिए सुरक्षा कवच का कार्य करता है।
- शत्रुनाशक: शत्रुओं के भय और दुष्प्रभाव को समाप्त करता है।
- सकारात्मक ऊर्जा: जीवन में सकारात्मकता और सुख-समृद्धि लाने में सहायक है।
- आध्यात्मिक विकास: भक्त को आत्मज्ञान और देवी की कृपा प्राप्त होती है।
पाठ करने की विधि Durga Kavacham Pdf
- प्रातःकाल या संध्याकाल में स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा स्थल को गंगाजल या शुद्ध जल से पवित्र करें।
- दीप जलाएं और देवी दुर्गा की प्रतिमा के समक्ष बैठें।
- ध्यान करके दुर्गा कवचम का पाठ करें।
Durga Kavach in Hindi दुर्गा कवचम
श्रीनारद उवाच।
भगवन् सर्वधर्मज्ञ सर्वज्ञानविशारद।
ब्रह्माण्डमोहनं नाम प्रकृते कवचं वद।
श्रीनारायण उवाच।
शृणु वक्ष्यामि हे वत्स कवचं च सुदुर्लभम्।
श्रीकृष्णेनैव कथितं कृपया ब्रह्मणे पुरा।
ब्रह्मणा कथितं पूर्वं धर्माय जाह्नवीतटे।
धर्मेण दत्तं मह्यं च कृपया पुष्करे पुरा।
त्रिपुरारिश्च यद्धृत्वा जघान त्रिपुरं पुरा।
मुमोच ब्रह्मा यद्धृत्वा मधुकैटभयोर्भयात्।
सञ्जहार रक्तबीजं यद्धृत्वा भद्रकालिका।
यद्धृत्वा हि महेन्द्रश्च सम्प्राप कमलालयाम्।
यद्धृत्वा च महायोद्धा बाणः शत्रुभयङ्करः।
यद्धृत्वा शिवतुल्यश्च दुर्वासा ज्ञानिनां वरः।
ॐ दुर्गेति चतुर्थ्यन्तः स्वाहान्तो मे शिरोऽवतु।
मन्त्रः षडक्षरोऽयं च भक्तानां कल्पपादपः।
विचारो नास्ति वेदे च ग्रहणेऽस्य मनोर्मुने।
मन्त्रग्रहणमात्रेण विष्णुतुल्यो भवेन्नरः।
मम वक्त्रं सदा पातु ॐ दुर्गायै नमोऽन्तकः।
ॐ दुर्गे इति कण्ठं तु मन्त्रः पातु सदा मम।
ॐ ह्रीं श्रीमिति मन्त्रोऽयं स्कन्धं पातु निरन्तरम्।
ह्रीं श्रीं क्लीमिति पृष्ठं च पातु मे सर्वतः सदा।
ह्रीं मे वक्षस्थले पातु हं सं श्रीमिति सन्ततम्।
ऐं श्रीं ह्रीं पातु सर्वाङ्गं स्वप्ने जागरणे सदा।
प्राच्यां मां पातु प्रकृतिः पातु वह्नौ च चण्डिका।
दक्षिणे भद्रकाली च नैर्ऋत्यां च महेश्वरी।
वारुण्यां पातु वाराही वायव्यां सर्वमङ्गला ।
उत्तरे वैष्णवी पातु तथैशान्यां शिवप्रिया।
जले स्थले चान्तरिक्षे पातु मां जगदम्बिका।
इति ते कथितं वत्स कवचं च सुदुर्लभम्।
यस्मै कस्मै न दातव्यं प्रवक्तव्यं न कस्यचित्।
गुरुमभ्यर्च्य विधिवद् वस्त्रालङ्कारचन्दनैः।
कवचं धारयेद्यस्तु सोऽपि विष्णुर्न संशयः।
स्नाने च सर्वतीर्थानां पृथिव्याश्च प्रदक्षिणे।
यत्फलं लभते लोकस्तदेतद्धारणे मुने।
पञ्चलक्षजपेनैव सिद्धमेतद्भवेद्ध्रुवम्।
लोके च सिद्धकवचो नावसीदति सङ्कटे।
न तस्य मृत्युर्भवति जले वह्नौ विषे ज्वरे।
जीवन्मुक्तो भवेत्सोऽपि सर्वसिद्धीश्वरीश्वरि।
यदि स्यात्सिद्धकवचो विष्णुतुल्यो भवेद्ध्रुवम्।
दुर्गा कवचम से संबंधित प्रश्न और उनके उत्तर हिंदी में(FAQs)
दुर्गा कवचम क्या है?
उत्तर: दुर्गा कवचम एक धार्मिक स्तोत्र है जिसे माँ दुर्गा की रक्षा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए माना जाता है। यह भारतीय संस्कृतियों में बहुत महत्वपूर्ण है और इससे भक्तों को शक्ति और सुरक्षा प्रदान करने का विश्वास होता है।
दुर्गा कवचम का पाठ कैसे करें?
उत्तर: दुर्गा कवचम का पाठ स्वच्छ स्थान पर, शांत मन से बैठकर करना चाहिए। पहले ध्यान और प्रार्थना करें, फिर पूरे श्रद्धा के साथ कवच का पाठ करें।
दुर्गा कवचम पाठ के लाभ क्या हैं?
उत्तर: दुर्गा कवचम का पाठ करने से मन की शांति, मानसिक मजबूती, स्वास्थ्य सुधार, और संकट से मुक्ति के लाभ होते हैं। यह भक्तों को कठिनाइयों से पार पाने में भी मदद करता है।
क्या दुर्गा कवचम का पाठ केवल नवरात्रि के समय करना चाहिए?
उत्तर: नहीं, दुर्गा कवचम का पाठ किसी भी समय किया जा सकता है। विशेष रूप से नवरात्रि में इसका पाठ अधिक फलदायक माना जाता है, लेकिन अन्य दिनों में भी इसे नियमित रूप से किया जा सकता है।
क्या किसी विशेष मंत्र का उच्चारण करना आवश्यक है?
उत्तर: दुर्गा कवचम का पाठ करते समय “ॐ दुर्गायै नमः” या “ॐ दुरगायै नमः” जैसे मंत्रों का उच्चारण करना महत्वपूर्ण है, ताकि श्रद्धा और भक्ति बनी रहे।
क्या दुर्गा कवचम के पाठ से दुर्गा माता का विशेष आशीर्वाद मिलता है?
हाँ, दुर्गा कवचम का नियमित पाठ करने से भक्त को दुर्गा माता का आशीर्वाद प्राप्त होता है और उनके जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।
क्या दुर्गा कवचम का पाठ किसी विशेष तिथि या दिनांक पर विशेष महत्व रखता है?
हां, विशेषतः नवरात्रि, विजयदशमी, और अन्य धार्मिक अवसरों पर दुर्गा कवचम का पाठ करना अधिक फलदायक माना जाता है।