बनहिं बन स्याम चरावत गैया लीरिक्स
Banahin Ban Syaam Charavat Gaiya
बनहिं बन स्याम चरावत गैया ।
सुभग अंग सुखमाको सागर, कर बिच लकुट धरैया ।
पीत बसन दमकत दामिनि सम, मुरली अधर बजेया ।।
धावत इत उत दाऊके सँग, खेल करत लरिकैयाँ ।
गैयनके पाछे नित भाजत, नंदरायको छैया ॥
धन्य-धन्य वे ब्रजकी धूमरि धौरी कारी गैया ।
जिनहिं पियावत जल जमुना-तट ठाढ़ो आपु कन्हैया ।।