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बुधवार, नवम्बर 5, 2025

बनहिं बन स्याम चरावत गैया | Banahin Ban Syaam Charavat Gaiya

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बनहिं बन स्याम चरावत गैया लीरिक्स

Banahin Ban Syaam Charavat Gaiya

बनहिं बन स्याम चरावत गैया ।

सुभग अंग सुखमाको सागर, कर बिच लकुट धरैया ।

पीत बसन दमकत दामिनि सम, मुरली अधर बजेया ।।

धावत इत उत दाऊके सँग, खेल करत लरिकैयाँ ।

गैयनके पाछे नित भाजत, नंदरायको छैया ॥

धन्य-धन्य वे ब्रजकी धूमरि धौरी कारी गैया ।

जिनहिं पियावत जल जमुना-तट ठाढ़ो आपु कन्हैया ।।

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