29.4 C
Gujarat
शुक्रवार, जून 20, 2025

अष्टलक्ष्मी स्तुति

Post Date:

अष्टलक्ष्मी स्तुति

अष्टलक्ष्मी स्तुति एक अत्यंत प्रभावशाली और लोकप्रिय स्तोत्र है जो देवी लक्ष्मी जी के आठ स्वरूपों (अष्टलक्ष्मी) की स्तुति के लिए रचित है। यह स्तुति न केवल भौतिक समृद्धि, बल्कि आध्यात्मिक, मानसिक, सामाजिक और पारिवारिक सुख-समृद्धि के लिए अत्यंत लाभकारी मानी जाती है।

अष्टलक्ष्मी स्तुति क्या है?

अष्टलक्ष्मी स्तुति देवी लक्ष्मी के आठ प्रमुख रूपों की भक्ति और स्तुति के लिए रचित एक संस्कृत प्रार्थना है। यह स्तुति विशेष रूप से दक्षिण भारत में अत्यधिक प्रचलित है, परंतु अब पूरे भारतवर्ष में इसकी लोकप्रियता बढ़ती जा रही है।

अष्टलक्ष्मी कौन-कौन हैं?

देवी लक्ष्मी के आठ स्वरूपों को सामूहिक रूप से अष्टलक्ष्मी कहा जाता है। ये सभी स्वरूप जीवन के विभिन्न पहलुओं में धन, शक्ति, सफलता, विद्या और सौभाग्य प्रदान करने वाली मानी जाती हैं।

क्रमलक्ष्मी स्वरूपअर्थ/आशीर्वाद
1आदि लक्ष्मीआध्यात्मिक समृद्धि व मुक्ति
2धन लक्ष्मीधन, संपत्ति, सोना-चाँदी
3धैर्य लक्ष्मीधैर्य, शक्ति और साहस
4गज लक्ष्मीऐश्वर्य और सामाजिक प्रतिष्ठा
5संतान लक्ष्मीसंतान सुख और वंश वृद्धि
6विद्या लक्ष्मीज्ञान, बुद्धि और शिक्षा
7विजय लक्ष्मीसफलता, विजय और यश
8धान्य लक्ष्मीअन्न, कृषि और पोषण

अष्टलक्ष्मी स्तुति की रचना

इस स्तुति की रचना संस्कृत में की गई है और यह श्लोकों के रूप में देवी लक्ष्मी के आठों स्वरूपों की प्रशंसा करती है। कुछ लोकप्रिय रचनाएँ श्री उत्तानपदाचार्य या शंकराचार्य से भी संबंधित मानी जाती हैं। सबसे प्रसिद्ध पाठ “अष्टलक्ष्मी स्तोत्रम्” है जो दक्षिण भारत के वैष्णव परंपरा से जुड़ा है।

Ashtalakshmi Stuti1

Ashtalakshmi Stuti

विष्णोः पत्नीं कोमलां कां मनोज्ञां
पद्माक्षीं तां मुक्तिदानप्रधानाम्।
शान्त्याभूषां पङ्कजस्थां सुरम्यां
सृष्ट्याद्यन्तामादिलक्ष्मीं नमामि।

शान्त्या युक्तां पद्मसंस्थां सुरेज्यां
दिव्यां तारां भुक्तिमुक्तिप्रदात्रीम्।
देवैरर्च्यां क्षीरसिन्ध्वात्मजां तां
धान्याधानां धान्यलक्ष्मीं नमामि।

मन्त्रावासां मन्त्रसाध्यामनन्तां
स्थानीयांशां साधुचित्तारविन्दे।
पद्मासीनां नित्यमाङ्गल्यरूपां
धीरैर्वन्द्यां धैर्यलक्ष्मीं नमामि।

नानाभूषारत्नयुक्तप्रमाल्यां
नेदिष्ठां तामायुरानन्ददानाम्।
श्रद्धादृश्यां सर्वकाव्यादिपूज्यां
मैत्रेयीं मातङ्गलक्ष्मीं नमामि।

मायायुक्तां माधवीं मोहमुक्तां
भूमेर्मूलां क्षीरसामुद्रकन्याम्।
सत्सन्तानप्राप्तिकर्त्रीं सदा मां
सत्त्वां तां सन्तानलक्ष्मीं नमामि।

निस्त्रैगुण्यां श्वेतपद्मावसीनां
विश्वादीशां व्योम्नि राराज्यमानाम्।
युद्धे वन्द्यव्यूहजित्यप्रदात्रीं
शत्रूद्वेगां जित्यलक्ष्मीं नमामि।

विष्णोर्हृत्स्थां सर्वभाग्यप्रदात्रीं
सौन्दर्याणां सुन्दरीं साधुरक्षाम्।
सङ्गीतज्ञां काव्यमालाभरण्यां
विद्यालक्ष्मीं वेदगीतां नमामि।

सम्पद्दात्रीं भार्गवीं सत्सरोजां
शान्तां शीतां श्रीजगन्मातरं ताम्।
कर्मेशानीं कीर्तिदां तां सुसाध्यां
देवैर्गीतां वित्तलक्ष्मीं नमामि।

स्तोत्रं लोको यः पठेद् भक्तिपूर्णं
सम्यङ्नित्यं चाष्ष्टलक्ष्मीः प्रणम्य।
पुण्यं सर्वं देहजं सर्वसौख्यं
भक्त्या युक्तो मोक्षमेत्यन्तकाले।

अष्टलक्ष्मी स्तुति का महत्व

  1. धन-संपत्ति की वृद्धि: विशेष रूप से धन लक्ष्मी, गज लक्ष्मी, और धान्य लक्ष्मी की स्तुति आर्थिक समृद्धि लाती है।
  2. विद्या और ज्ञान की प्राप्ति: विद्यार्थी और विद्वान विद्या लक्ष्मी की कृपा से बुद्धि और स्मरण शक्ति पाते हैं।
  3. संतान सुख और वैवाहिक जीवन: संतान लक्ष्मी और विजय लक्ष्मी दांपत्य जीवन और परिवार में सुखद वातावरण बनाए रखती हैं।
  4. कठिनाईयों में धैर्य और विजय: धैर्य लक्ष्मी और विजय लक्ष्मी कठिन समय में संयम और सफलता प्रदान करती हैं।
  5. आध्यात्मिक उन्नति: आदि लक्ष्मी की स्तुति से आत्मा को शांति और मोक्ष का मार्ग मिलता है।

कब करें अष्टलक्ष्मी स्तुति का पाठ?

  • शुक्रवार: लक्ष्मी पूजा के लिए सबसे श्रेष्ठ दिन।
  • पूर्णिमा: पूर्ण चंद्रमा की रात को लक्ष्मी कृपा अधिक होती है।
  • दीपावली: विशेष रूप से धनतेरस से लेकर लक्ष्मी पूजन तक।
  • नवरात्रि: विशेष रूप से अष्टमी और नवमी को।

पाठ विधि और नियम

  1. सुबह स्नान करके शुद्ध होकर, पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके बैठें।
  2. दीपक, पुष्प, तिलक, चंदन आदि से पूजन करें।
  3. शांत मन से प्रत्येक लक्ष्मी स्वरूप की ध्यानपूर्वक स्तुति करें।
  4. अंत में लक्ष्मी माता से संपूर्ण जीवन में सुख-समृद्धि की कामना करें।

अष्टलक्ष्मी स्तुति के लाभ

  • आर्थिक संकटों से मुक्ति
  • संतान प्राप्ति और पारिवारिक सुख
  • व्यापार और करियर में उन्नति
  • मानसिक शांति और साहस की प्राप्ति
  • समाज में प्रतिष्ठा और मान-सम्मान

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

ऋग्वेद हिंदी में

ऋग्वेद (Rig veda in Hindi PDF) अर्थात "ऋचाओं का...

Pradosh Stotram

प्रदोष स्तोत्रम् - Pradosh Stotramप्रदोष स्तोत्रम् एक महत्वपूर्ण और...

Sapta Nadi Punyapadma Stotram

Sapta Nadi Punyapadma Stotramसप्तनदी पुण्यपद्म स्तोत्रम् (Sapta Nadi Punyapadma...

Sapta Nadi Papanashana Stotram

Sapta Nadi Papanashana Stotramसप्तनदी पापनाशन स्तोत्रम् (Sapta Nadi Papanashana...
error: Content is protected !!