22.4 C
Gujarat
बुधवार, दिसम्बर 24, 2025

अरे मन नू कछु सोच बिचार Are Man Noo Kachhu Soch Bichaar 

Post Date:

अरे मन नू कछु सोच बिचार

Are Man Noo Kachhu Soch Bichaar

अरे मन, नू कछु सोच-बिचार । झूठो जग साँचों करि मान्यो, भूल्यो फिरत गँवार ।।

मृग जिमि भूल्यो देखि असत जल, मरु धरनी बिस्तार । सुन्याकास तिरवरा दीखत, मिथ्या नेत्र विकार ||

रसरी देखि सरप जिमि मान्यो, भयबस रह्यो पुकार । सीप माहिं ज्यों भयो रौप्य-भ्रम, तिमि मिथ्या संसार ।।

स्वप्न-दृश्य साँचे करि मानत, नहिं कछु तिनमहँ सार । तिमि यह जग मिथ्या ही भासत, प्रकृति-जनित खिलवार ।।

जो यातें उद्धार चहै तो, हरिमय जगत निहार । मायापतिकी सरन गहे तें, होवे तब निस्तार ।।

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

गोकुल अष्टकं

गोकुल अष्टकं - Shri Gokul Ashtakamश्रीमद्गोकुलसर्वस्वं श्रीमद्गोकुलमंडनम् ।श्रीमद्गोकुलदृक्तारा श्रीमद्गोकुलजीवनम्...

अष्टादश शक्तिपीठ स्तोत्रम्

अष्टादश शक्तिपीठ स्तोत्रम्अष्टादश शक्तिपीठ स्तोत्रम् एक अत्यंत पवित्र...

लक्ष्मी शरणागति स्तोत्रम्

लक्ष्मी शरणागति स्तोत्रम्लक्ष्मी शरणागति स्तोत्रम् (Lakshmi Sharanagati Stotram) एक...

विष्णु पादादि केशांत वर्णन स्तोत्रं

विष्णु पादादि केशांत वर्णन स्तोत्रंलक्ष्मीभर्तुर्भुजाग्रे कृतवसति सितं यस्य रूपं...
error: Content is protected !!