अंगारक ग्रह स्तोत्रम्(Angaraka Graha Stotram) का उल्लेख हिंदू धर्म में मंगल ग्रह से जुड़ी बाधाओं और समस्याओं को शांत करने के लिए किया जाता है। यह स्तोत्र विशेष रूप से उन लोगों के लिए प्रभावी माना जाता है, जिनकी कुंडली में मंगल ग्रह अशुभ प्रभाव डाल रहा होता है। मंगल को कुज, भूमिपुत्र, और अंगारक जैसे नामों से भी जाना जाता है। यह ग्रह शक्ति, ऊर्जा, साहस, और भूमि से संबंधित है।
स्त्रोत में उल्लेखित श्लोक इस प्रकार है: Angaraka Graha Stotram
“भूमिपुत्रो महातेजा जगतां भयकृत् सदा।
वृष्टिकृद्धृष्टिहर्ता च पीडां हरतु मे कुजः।”
bhoomiputro mahaatejaa jagataam bhayakri’t sadaa.
vri’sht’ikri’ddhri’sht’ihartaa cha peed’aam haratu me kujah’.
इस श्लोक का अर्थ इस प्रकार है:
भूमिपुत्र (मंगल ग्रह) अत्यंत तेजस्वी हैं। वे सृष्टि के लिए भय उत्पन्न करने वाले भी हो सकते हैं और वृष्टि (वर्षा) को रोकने वाले भी। उनकी दृष्टि कभी-कभी कष्टदायक होती है, लेकिन वे पीड़ा का निवारण भी कर सकते हैं।
अंगारक ग्रह स्तोत्रम् का महत्व Importance of Angaraka Graha Stotram
- मंगल दोष की शांति: यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल दोष है, तो यह स्तोत्र पाठ करने से मंगल के दुष्प्रभाव कम हो सकते हैं।
- शक्तिशाली ऊर्जा का संचय: मंगल ग्रह ऊर्जा, साहस और शक्ति का प्रतीक है। इस स्तोत्र के माध्यम से इन गुणों को प्रबल किया जा सकता है।
- भय और बाधाओं से मुक्ति: यह स्तोत्र व्यक्ति को भय, संकट और बाधाओं से बचाने में सहायक होता है।
- शादी से जुड़ी समस्याओं का समाधान: विशेष रूप से विवाह में देरी और वैवाहिक जीवन की समस्याओं के लिए भी यह स्तोत्र उपयोगी माना गया है।
अंगारक ग्रह स्तोत्रम् का पाठ कैसे करें?
- समय: मंगलवार के दिन सुबह के समय इस स्तोत्र का पाठ करना सबसे शुभ माना गया है।
- स्थान: किसी शांत और पवित्र स्थान पर बैठकर पूजा करें।
- सामग्री: पूजा के लिए लाल वस्त्र, लाल फूल, और लाल चंदन का उपयोग करें।
- मंत्र जप: स्तोत्र का पाठ कम से कम 11 बार करें।
मंगल ग्रह से जुड़े अन्य उपाय:
- लाल मूंगा रत्न धारण करना।
- हनुमान जी की आराधना करना।
- मंगलवार का उपवास रखना।
- रक्तदान करना या लाल वस्त्रों का दान करना।
अंगारक ग्रह स्तोत्रम् का पाठ करने से मानसिक शांति, साहस, और आत्मबल प्राप्त होता है। यह मंगल ग्रह से जुड़ी सभी बाधाओं को दूर करने में सहायक है और शुभ फलों की प्राप्ति सुनिश्चित करता है।
अंगारक ग्रह स्तोत्रम् पर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs) FAQs for Angaraka Graha Stotram
अंगारक ग्रह स्तोत्रम् क्या है?
अंगारक ग्रह स्तोत्रम् एक पवित्र और शक्तिशाली वैदिक स्तोत्र है जो मंगल ग्रह (अंगारक) के अशुभ प्रभावों को शांत करने और शुभ फल प्राप्त करने के लिए पढ़ा जाता है। इसे विशेष रूप से उन लोगों के लिए अनुशंसित किया जाता है जो कुंडली में मंगल दोष, मांगलिक दोष, या अन्य ग्रह दोषों से प्रभावित होते हैं।
अंगारक ग्रह स्तोत्रम् का पाठ कब और कैसे करना चाहिए?
इस स्तोत्र का पाठ मंगलवार के दिन शुभ माना जाता है। इसे सुबह स्नान आदि करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण कर पवित्र मन से करना चाहिए। पाठ के दौरान एक लाल आसन पर बैठना और लाल फूल या सिंदूर अर्पित करना मंगल ग्रह को प्रसन्न करने के लिए उपयुक्त होता है।
अंगारक ग्रह स्तोत्रम् पढ़ने के लाभ क्या हैं?
1.मंगल दोष और मांगलिक दोष के प्रभाव को कम करता है।
2.साहस, आत्मविश्वास और ऊर्जा में वृद्धि होती है।
3.रोजगार, करियर, और आर्थिक प्रगति में बाधाओं को दूर करता है।
4.विवाह में आने वाली अड़चनों को समाप्त करता है।
5.पारिवारिक जीवन में शांति और सौहार्द स्थापित करता है।क्या अंगारक ग्रह स्तोत्रम् का पाठ सभी कर सकते हैं?
हां, अंगारक ग्रह स्तोत्रम् का पाठ हर कोई कर सकता है। इसे पढ़ने के लिए किसी विशेष विधि या अनुष्ठान की आवश्यकता नहीं होती। हालांकि, इसे पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ करना चाहिए। यदि संभव हो, तो इसे गुरु या विद्वान ब्राह्मण के मार्गदर्शन में करना लाभकारी होता है।
क्या अंगारक ग्रह स्तोत्रम् के पाठ के दौरान किसी विशेष नियम का पालन करना चाहिए?
हां, पाठ के दौरान निम्नलिखित नियमों का पालन करना चाहिए:
*मन को शांत और एकाग्र रखना चाहिए।
*सात्विक भोजन और आचार-विचार का पालन करना चाहिए।
*पाठ के समय लाल रंग का प्रयोग (जैसे वस्त्र या पुष्प) करना शुभ माना जाता है।
*पाठ के अंत में मंगल ग्रह के मंत्र “ॐ अंगारकाय नमः” का जाप करना लाभदायक होता है।