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बुधवार, फ़रवरी 5, 2025

आदित्य अष्टकम्

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आदित्य अष्टकम्(Aditya Ashtakam) सूर्य देवता की स्तुति के रूप में रचित एक प्रसिद्ध स्तोत्र है। यह स्तोत्र भगवान सूर्य को समर्पित है, जिन्हें हिंदू धर्म में ऊर्जा और प्रकाश के स्रोत के रूप में पूजा जाता है। आदित्य अष्टकम् के पाठ से भगवान सूर्य की कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन में शक्ति, समृद्धि, स्वास्थ्य, और विजय की प्राप्ति होती है। यह स्तोत्र भगवान सूर्य को प्रसन्न करने और उनके आशीर्वाद से जीवन के कष्टों और दुखों से मुक्ति पाने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।

आदित्य अष्टकम् का महत्व:

भगवान सूर्य को नवग्रहों में प्रमुख स्थान प्राप्त है और उन्हें स्वास्थ्य, शक्ति, और ऊर्जा का अधिष्ठाता माना जाता है। आदित्य अष्टकम् का नियमित रूप से पाठ करने से व्यक्ति को मानसिक और शारीरिक बल प्राप्त होता है। विशेष रूप से जिन लोगों की कुंडली में सूर्य कमजोर होता है, उन्हें यह स्तोत्र प्रतिदिन पढ़ने की सलाह दी जाती है। यह स्तोत्र सूर्य की उपासना के साथ जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और सफलता लाने के लिए उत्तम साधन है।

आदित्य अष्टकम् का पाठ:

इस स्तोत्र के आठ श्लोक हैं, जिनमें भगवान सूर्य की महिमा और उनके गुणों का वर्णन किया गया है। ये श्लोक संस्कृत में रचे गए हैं और इन्हें सरलता से याद किया जा सकता है। यह स्तोत्र सूर्य को नमन करते हुए उनकी कृपा से जीवन के विभिन्न कष्टों का निवारण करने का मार्ग प्रस्तुत करता है।

आदित्य अष्टकम् के लाभ:

  1. स्वास्थ्य लाभ: सूर्य को जीवन शक्ति का स्रोत माना जाता है, इसलिए आदित्य अष्टकम् का पाठ करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है।
  2. जीवन में सफलता: यह स्तोत्र आत्मबल को बढ़ाता है और जीवन में विजय तथा समृद्धि लाने में सहायक होता है।
  3. नकारात्मक ऊर्जा का नाश: आदित्य अष्टकम् का पाठ व्यक्ति के जीवन से नकारात्मकता को दूर करता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
  4. सूर्य दोष निवारण: जिन व्यक्तियों की कुंडली में सूर्य कमजोर होता है या जिनकी जन्मपत्रिका में सूर्य की स्थिति ठीक नहीं होती, उन्हें यह स्तोत्र अवश्य करना चाहिए। इससे सूर्य के अशुभ प्रभाव कम होते हैं।

आदित्य अष्टकम् के श्लोक:

वैष्णवानां हरिस्त्वं शिवस्त्वं स्वयं
शक्तिरूपस्त्वमेवानयस्त्वं नतेः ।
त्वं गणाधिकृतस्त्वं सुरेशाधिप-
स्त्वं मरुत्वान्रविस्त्वं सदा स्तोचताम् ॥

त्वं सदा लोककल्याणकृन्मण्डलः
तप्यमानो जगद्भूतिसिद्ध्यै नभे ।
राति रात्र्यै निविष्टाभमग्निं तथा
द्वादशात्मन् सदाऽऽनन्दमग्नो भव ॥

जान्ममात्रेण चासक्तिग्रस्तो वयं
शाम्बरीबन्धने विस्मृताश्चार्थिनः ।
भक्तिभावेन हीनाय जोषालयोऽ-
र्कादितेयोष्णरश्मे प्रसन्नो मयि ॥

अकृतार्थाय ब्रह्माण्डसाद्धस्तथा
तायको विष्णुरूपेण कल्पान्तरे ।
यो महाऽन्ते शिवश्चण्डनीलो नटो
दक्षजाऽङ्गप्रभस्त्वं सदा रोचताम् ॥

ब्राह्मणो बाहुजोऽन्याश्च वर्णाश्रमा
ब्रह्मचर्याद्यतित्वो हृषीके ध्रुवः ।
धर्मकामादिरूपेण चावस्थितः
प्राणतत्वो महेन्द्रः प्रसन्नोऽवतु ॥

अस्मदाचार्यप्रोक्तं प्रमाणं परं
याचकाः पादपद्मानुकम्प्यास्तव ।
स्वस्य जन्मान्तराच्चक्रमुक्तास्तदाऽ-
नर्हजीवस्तु ऋच्छामि धामं कथम् ॥

शौचमाचारमस्मत् प्रमुक्ताः कृताः
स्वात्मधर्माद्विमुक्तास्तु पापे रताः ।
केवलं कुक्षिपूर्तेर्वयं याजका
हेऽधमोद्धारणस्तृप्यतात्तापनः ॥

पूजितो दस्रतातान्ववायैस्तथा
ऋग्यजुर्वेदसामं चतुर्थों यथा ।
आगमाः पञ्चकालैर्क्रमे वेदक-
स्त्वं विहङ्गः सदाऽऽनन्दितोऽस्मासु हि ॥

सप्तलोकार्णवाश्चान्तरीपाः स्वरा
योगिनो रश्मयः सप्तधाऽऽरोपितः ।
औषधेश्छन्दभावेऽन्नगोमारुतैः
पालकादित्यसंज्ञापते रोचताम् ॥


FAQs of Aditya Ashtakam

1.आदित्य अष्टकम् क्या है?

आदित्य अष्टकम् एक संस्कृत स्तोत्र है जो भगवान सूर्य को समर्पित है। इसे आठ श्लोकों में विभाजित किया गया है, जहां प्रत्येक श्लोक में भगवान सूर्य की महिमा और उनके आशीर्वाद का वर्णन किया गया है। इसका पाठ व्यक्ति की शारीरिक और मानसिक शक्ति को बढ़ाने, आरोग्यता और समृद्धि की प्राप्ति के लिए किया जाता है।

2.आदित्य अष्टकम् का पाठ करने के लाभ क्या हैं?

आदित्य अष्टकम् का नियमित पाठ करने से कई लाभ होते हैं, जैसे:
->मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है।
->स्वास्थ्य में सुधार होता है और बीमारियों से बचाव होता है।
->आत्मविश्वास और साहस में वृद्धि होती है।
->भगवान सूर्य की कृपा से समृद्धि और सौभाग्य प्राप्त होता है।

3. आदित्य अष्टकम् का पाठ कब और कैसे करना चाहिए?

आदित्य अष्टकम् का पाठ प्रातः काल सूर्योदय के समय करना अत्यधिक शुभ माना जाता है। इसे करते समय, स्वच्छ स्थान पर बैठकर ध्यानपूर्वक भगवान सूर्य की आराधना करनी चाहिए। यदि संभव हो, तो इसे नित्य रूप से स्नान के बाद सूर्य को जल अर्पित करते हुए करना चाहिए।

4. आदित्य अष्टकम् किसने रचा है?

आदित्य अष्टकम् की रचना महर्षि वेदव्यास ने की है। उन्होंने इस स्तोत्र के माध्यम से भगवान सूर्य की महिमा का गान किया और इसे उनके भक्तों के लिए उपहार के रूप में प्रस्तुत किया।

5. आदित्य अष्टकम् का महत्व क्या है?

आदित्य अष्टकम् का महत्व शास्त्रों में अत्यधिक बताया गया है। यह सूर्योपासना का एक महत्वपूर्ण स्तोत्र है, जो भगवान सूर्य की कृपा प्राप्त करने और जीवन में प्रकाश और ऊर्जा लाने का साधन है। इसे स्वास्थ्य, धन, और मानसिक शांति के लिए अत्यधिक प्रभावशाली माना जाता है।

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