Maha Saraswati Stotram In Hindi
महासरस्वती स्तोत्रम्(Maha Saraswati Stotram) एक महत्वपूर्ण हिंदू स्तोत्र है, जो देवी सरस्वती की पूजा में गाया जाता है। देवी सरस्वती ज्ञान, विद्या, कला, संगीत, और बुद्धि की देवी मानी जाती हैं, और उनका यह स्तोत्र उनकी पूजा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। महासरस्वती स्तोत्रम् विशेष रूप से उन व्यक्तियों द्वारा पाठ किया जाता है जो अपने ज्ञान और बुद्धि में वृद्धि की कामना करते हैं। इस स्तोत्र में देवी सरस्वती के गुणों और उनके महत्त्व का बखान किया जाता है।
महासरस्वती स्तोत्रम् का महत्व Maha Saraswati Stotram Importance
महासरस्वती स्तोत्रम् में देवी सरस्वती के रूपों का वर्णन किया गया है और उनका आह्वान किया गया है, ताकि भक्त उनकी कृपा प्राप्त कर सकें। यह स्तोत्र विशेष रूप से उन लोगों के लिए उपयुक्त है जो अध्ययन, शिक्षा, संगीत, या अन्य कला के क्षेत्र में सफलता प्राप्त करना चाहते हैं। इसके नियमित पाठ से व्यक्ति के ज्ञान में वृद्धि होती है, मानसिक शांति मिलती है और सभी प्रकार की मानसिक विघ्न-बाधाओं से मुक्ति मिलती है।
महासरस्वती स्तोत्रम् की रचनाकाल
महासरस्वती स्तोत्रम्(Maha Saraswati Stotram) की रचना संस्कृत में की गई थी। इसे प्राचीन ग्रंथों में से एक माना जाता है, जो विशेष रूप से वेदों और उपनिषदों के साथ संबंध रखता है। यह स्तोत्र प्रायः महान संतों और ऋषियों द्वारा रचित बताया जाता है। इसका पाठ जीवन में समृद्धि, ज्ञान और आंतरिक शांति प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
महासरस्वती स्तोत्रम् के श्लोक Maha Saraswati Stotram Sloka
अश्वतर उवाच –
जगद्धात्रीमहं देवीमारिराधयिषुः शुभाम् ।
स्तोष्ये प्रणम्य शिरसा ब्रह्मयोनिं सरस्वतीम् ॥
सदसद्देवि सत्किञ्चिन्मोक्षवच्चार्थवत्पदम् ।
तत्सर्वं त्वय्यसंयोगं योगवद्देवि संस्थितम् ॥
त्वमक्षरं परं देवि यत्र सर्वं प्रतिष्ठितम् ।
अक्षरं परमं देवि संस्थितं परमाणुवत् ॥
अक्षरं परमं ब्रह्म विश्वञ्चैतत्क्षरात्मकम् ।
दारुण्यवस्थितो वह्निर्भौमाश्च परमाणवः ॥
तथा त्वयि स्थितं ब्रह्म जगच्चेदमशेषतः ।
ओङ्काराक्षरसंस्थानं यत्तु देवि स्थिरास्थिरम् ॥
तत्र मात्रात्रयं सर्वमस्ति यद्देवि नास्ति च ।
त्रयो लोकास्त्रयो वेदास्त्रैविद्यं पावकत्रयम् ॥
त्रीणि ज्योतींषि वर्णाश्च त्रयो धर्मागमास्तथा ।
त्रयो गुणास्त्रयः शब्दस्त्रयो वेदास्तथाश्रमाः ॥
त्रयः कालास्तथावस्थाः पितरोऽहर्निशादयः ।
एतन्मात्रात्रयं देवि तव रूपं सरस्वति ॥
विभिन्नदर्शिनामाद्या ब्रह्मणो हि सनातनाः ।
सोमसंस्था हविः संस्थाः पाकसंस्थाश्च सप्त याः ॥
तास्त्वदुच्चारणाद्देवि क्रियन्ते ब्रह्मवादिभिः ।
अनिर्देश्यं तथा चान्यदर्धमात्रान्वितं परम् ॥
अविकार्यक्षयं दिव्यं परिणामविवर्जितम् ।
तवैतत्परमं रूपं यन्न शक्यं मयोदितुम् ॥
न चास्ये न च तज्जिह्वा ताम्रोष्ठादिभिरुच्यते ।
इन्द्रोऽपि वसवो ब्रह्मा चन्द्रार्कौ ज्योतिरेव च ॥
विश्वावासं विश्वरूपं विश्वेशं परमेश्वरम् ।
साङ्ख्यवेदान्तवादोक्तं बहुशाखास्थिरीकृतम् ॥
अनादिमध्यनिधनं सदसन्न सदेव यत् ।
एकन्त्वनेकं नाप्येकं भवभेदसमाश्रैतम् ॥
अनाख्यं षड्गुणाख्यञ्च वर्गाख्यं त्रिगुणाश्रयम् ।
नानाशक्तिमतामेकं शक्तिवैभविकं परम् ॥
सुखासुखं महासौख्यरूपं त्वयि विभाव्यते ।
एवं देवि त्वया व्याप्तं सकलं निष्कलञ्च यत् ।
अद्वैतावस्थितं ब्रह्म यच्च द्वैते व्यवस्थितम् ॥
येऽर्था नित्या ये विनश्यन्ति चान्ये
ये वा स्थूला ये च सूक्ष्मातिसूक्ष्माः ।
ये वा भूमौ येऽन्तरीक्षेऽन्यतो वा
तेषां तेषां त्वत्त एवोपलब्धिः ॥
यच्चामूर्तं यच्च मूर्तं समस्तं
यद्वा भूतेष्वेकमेकञ्च किञ्चित् ।
यद्दिव्यस्ति क्ष्मातले खेऽन्यतो वा
त्वत्सम्बद्धं त्वत्स्वरैर्व्यञ्जनैश्च ॥
महासरस्वती स्तोत्रम् का पाठ कैसे करें
महासरस्वती स्तोत्रम् का पाठ करना एक सरल और प्रभावशाली उपाय है देवी सरस्वती की कृपा प्राप्त करने के लिए। इसे किसी भी शुभ समय में, विशेष रूप से बसंत पंचमी के दिन, अधिक प्रभावशाली माना जाता है। पाठ करते समय ध्यान रखें कि मन में शुद्धता हो और किसी भी प्रकार के विघ्न से बचने के लिए चुपचाप और एकाग्रता से इसे करें।
महासरस्वती स्तोत्रम् के लाभ Maha Saraswati Stotram Benifits
- ज्ञान में वृद्धि: इस स्तोत्र का नियमित पाठ करने से विद्यार्थियों को ज्ञान में वृद्धि होती है।
- बुद्धि में सुधार: जिनका मानसिक विकास रुक गया हो या उन्हें किसी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा हो, उनके लिए यह स्तोत्र बहुत लाभकारी है।
- सफलता और समृद्धि: यह स्तोत्र जीवन में सफलता और समृद्धि की प्राप्ति के लिए भी माना जाता है।
- मानसिक शांति: मानसिक तनाव और चिंता को कम करने के लिए भी यह स्तोत्र उपयोगी है।
महासरस्वती स्तोत्रम् का पाठ न केवल शारीरिक और मानसिक शांति प्रदान करता है, बल्कि यह समग्र जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने का कारण भी बन सकता है।