होम भजन राम भजन यह विनती रघुबीर गुसाईं

यह विनती रघुबीर गुसाईं

0

यह विनती रघुबीर गुसाईं Yeh Vinti Raghuveer Gosai (राग धनाश्री, विनय-पत्रिका पद)

यह विनती रघुबीर गुसाईं । और आस बिस्वास भरोसो, हरौ जीव जड़ताई ॥। १ ।

और आस बिस्वास भरोसो, चौं न सुगति, सुमति, संपति कछु, रिधि सिधि विपुल बड़ाई ।

हेतु-रहित अनुराग रामपद, बदु अनुदिन अधिकाई ॥ २ ॥

कुटिल करम लै जाइ मोहि, जहँ जहँ अपनी बरियाई ।

तहँ तहँ जनि छिन छोह छाँड़िये, कमठ- अण्डकी नाई ॥ ३ ॥

यहि जगमें जलगि या तनुकी, प्रीति प्रतीति सगाई ।

ते सब तुलसिदास प्रभु ही सों,होहिं सिमिटि इक ठाई ॥ ४ ॥

 

 

कोई टिप्पणी नहीं है

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

error: Content is protected !!
Exit mobile version