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मंगलवार, फ़रवरी 4, 2025

श्री विन्ध्येश्वरी आरती

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श्री विन्ध्येश्वरी आरती(Vindheshwari Aarti) हिंदू धर्म में देवी विन्ध्येश्वरी को समर्पित एक प्रसिद्ध स्तुति और प्रार्थना है। विन्ध्येश्वरी देवी को शक्ति का रूप माना जाता है और उन्हें प्रमुख रूप से उत्तर भारत के विन्ध्य पर्वत क्षेत्र में पूजा जाता है। देवी विन्ध्येश्वरी को माँ दुर्गा का एक रूप माना जाता है, जो भक्तों के संकटों को दूर करने वाली और उन्हें शक्ति प्रदान करने वाली हैं।

श्री विन्ध्येश्वरी आरती का महत्त्व:

विन्ध्येश्वरी देवी की आरती करने से भक्तों को मानसिक शांति, शक्ति, और भौतिक समृद्धि की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि जो भी भक्त सच्चे मन से माँ विन्ध्येश्वरी की आराधना और आरती करता है, उसके सभी दुख और कष्ट समाप्त हो जाते हैं। आरती में देवी की महिमा का वर्णन किया जाता है और उनकी कृपा के लिए प्रार्थना की जाती है।

श्री विन्ध्येश्वरी आरती का पाठ:

जय विन्ध्यवासिनी माता, मैया जय विन्ध्यवासिनी माता।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवजी माता॥

जय विन्ध्यवासिनी माता, मैया जय विन्ध्यवासिनी माता।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवजी माता॥

महिमा अमित तुम्हारी, मैं क्या कहूं बिधि ज्ञाता॥
जो कोई तुम्हरी शरणा गहै, वाही तरि जाता॥

तुम हो जग की माता, तुम ही हो जग दाता॥
ज्ञान बुद्धि विवेक प्रदायिनी, भगतजनन की त्राता॥

भारी भक्त वत्सल माँ, तू ही पालन हारी॥
आप हाथ से फेरा करती, सब नर-नारी॥

श्री दुर्गा विन्ध्यवासिनी, सबके दुःख हारिणि॥
तुमको कोई क्या जानै, तुम सबकी रक्षक हो॥

जय विन्ध्यवासिनी माता, मैया जय विन्ध्यवासिनी माता।
तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिवजी माता॥

श्री विन्ध्येश्वरी आरती की विशेषताएँ:

  1. शक्ति की देवी: माँ विन्ध्येश्वरी को शक्तिशाली देवी माना जाता है, जो विन्ध्य पर्वत पर वास करती हैं। उन्हें दुर्गा के महाकाली, महालक्ष्मी, और महासरस्वती स्वरूपों का सम्मिलित रूप माना जाता है।
  2. कठिनाइयों से मुक्ति: इस आरती को करने से व्यक्ति के जीवन की सभी कठिनाइयाँ और बाधाएँ समाप्त हो जाती हैं। यह भक्तों को नकारात्मक ऊर्जाओं से बचाती है और उन्हें साहस, धैर्य, और आत्मविश्वास प्रदान करती है।
  3. समृद्धि और सफलता: विन्ध्येश्वरी की आरती करने से व्यक्ति के जीवन में समृद्धि और सफलता का आगमन होता है। माँ की कृपा से भक्त अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव अनुभव करते हैं।
  4. पवित्र अवसरों पर गायी जाती है: विन्ध्येश्वरी आरती विशेष रूप से नवरात्रि और विन्ध्याचल मेले जैसे पर्वों पर गायी जाती है, जब हजारों श्रद्धालु माँ के दर्शन के लिए आते हैं।

श्री विन्ध्येश्वरी मंदिर:

विन्ध्याचल, उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जिले में स्थित प्रसिद्ध विन्ध्येश्वरी देवी मंदिर है, जो माँ विन्ध्येश्वरी को समर्पित है। यहाँ हर साल लाखों भक्त देवी के दर्शन और आरती करने आते हैं। इस स्थान का धार्मिक महत्त्व भी बहुत बड़ा है, और इसे ‘शक्ति पीठ’ के रूप में जाना जाता है।

पूजा और आरती विधि:

  • प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  • विन्ध्येश्वरी देवी के चित्र या मूर्ति के सामने दीपक जलाएं।
  • माँ को लाल पुष्प, नारियल, और मिठाई अर्पित करें।
  • धूप और दीप दिखाकर आरती का पाठ करें।
  • आरती के बाद प्रसाद वितरण करें और माँ का आशीर्वाद प्राप्त करें।

माँ विन्ध्येश्वरी की आरती से भक्तों के मन में श्रद्धा और विश्वास उत्पन्न होता है। उनके आशीर्वाद से जीवन में सकारात्मकता आती है और मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं।

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