सूर्य ग्रह स्तोत्रम्(Surya Graha Stotram)सूर्य ग्रह की महिमा और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए रचित है। सूर्य, जिन्हें ‘आदित्य’ के नाम से भी जाना जाता है, को नवग्रहों का आदिदेव और सृष्टि के संरक्षणकर्ता माना गया है। इस स्तोत्र के माध्यम से भक्त सूर्यदेव से अपनी सभी प्रकार की समस्याओं और पीड़ाओं को हरने की प्रार्थना करता है।
ग्रहाणामादिरादित्यो लोकरक्षणकारकः।
विषणस्थानसंभूतां पीडां हरतु मे रविः।
grahaanaamaadiraadityo lokarakshanakaarakah’.
vishanasthaanasambhootaam peed’aam haratu me ravih’.
सूर्य ग्रह स्तोत्रम् श्लोक का अर्थ: Meaning of Surya Graha Stotram
1.ग्रहाणामादिरादित्यो:
इसका अर्थ है कि सूर्य सभी ग्रहों के आदिदेव और प्रमुख हैं। उनका स्थान ग्रहों के बीच सर्वोपरि है।
2.लोकरक्षणकारकः:
सूर्य को इस सृष्टि के रक्षक के रूप में वर्णित किया गया है। वे जीवनदायी ऊर्जा प्रदान करते हैं और संपूर्ण सृष्टि का पोषण करते हैं।
3.विषणस्थानसंभूतां पीडां हरतु मे रविः:
इस पंक्ति में व्यक्ति सूर्यदेव से प्रार्थना करता है कि वे उनके जीवन की सभी कठिनाइयों और पीड़ाओं को हर लें, जो दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियों के कारण उत्पन्न हुई हैं।
सूर्य ग्रह स्तोत्रम् का महत्व Importance of Surya Graha Stotram
1.आरोग्य का वरदान:
सूर्यदेव को स्वास्थ्य और ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। इस श्लोक का नित्य जाप करने से शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार होता है।
2.आध्यात्मिक उन्नति:
सूर्य ग्रह का ध्यान व्यक्ति को आत्मिक उन्नति प्रदान करता है। यह आत्मविश्वास, साहस और नेतृत्व क्षमता को बढ़ाता है।
3.कुंडली के दोषों का निवारण:
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य ग्रह कमजोर या अशुभ स्थिति में है, तो इस स्तोत्र का जाप लाभकारी होता है। यह जातक के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और शुभ प्रभाव लाता है।
4.प्राकृतिक शक्ति का स्तुति:
सूर्यदेव को प्राकृतिक ऊर्जा का स्रोत माना जाता है। उनका ध्यान व्यक्ति के जीवन में सकारात्मकता, स्थिरता और समृद्धि लाता है।
सूर्य स्तोत्र का पाठ करने की विधि
- प्रातःकाल स्नानादि के बाद, पूर्व दिशा की ओर मुख करके स्वच्छ आसन पर बैठें।
- शांत मन से सूर्यदेव का ध्यान करें।
- इस श्लोक का कम से कम 11 बार जाप करें।
- जाप के बाद सूर्यदेव को अर्घ्य (जल) अर्पित करें।
सूर्य ग्रह स्तोत्रम् पर पूछे जाने वाले प्रश्न FAQs of Surya Graha Stotram
सूर्य ग्रह स्तोत्रम् क्या है?
सूर्य ग्रह स्तोत्रम् एक प्राचीन वैदिक स्तुति है जो सूर्य देवता की आराधना के लिए रची गई है। यह स्तोत्र सूर्य की ऊर्जा, प्रकाश और जीवनदायिनी शक्ति का गुणगान करता है। इसे नियमित रूप से पाठ करने से जीवन में सकारात्मकता, स्वास्थ्य और सफलता प्राप्त होती है।
सूर्य ग्रह स्तोत्रम् का पाठ क्यों किया जाता है?
सूर्य ग्रह स्तोत्रम् का पाठ सूर्य देवता की कृपा प्राप्त करने और उनके आशीर्वाद से जीवन की समस्याओं को दूर करने के लिए किया जाता है। यह विशेष रूप से स्वास्थ्य सुधार, आत्मविश्वास बढ़ाने और कुंडली में सूर्य ग्रह की अशुभ स्थिति को शांत करने के लिए प्रभावी माना जाता है।
सूर्य ग्रह स्तोत्रम् का पाठ करने का सही समय और विधि क्या है?
सूर्य ग्रह स्तोत्रम् का पाठ सुबह के समय, विशेषकर सूर्योदय के दौरान, सबसे उपयुक्त माना जाता है। पाठ करते समय स्वच्छ वस्त्र धारण करें, पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें और सूर्य देव को जल अर्पित करें। शांत चित्त और भक्ति भाव से इसका पाठ करें।
सूर्य ग्रह स्तोत्रम् का पाठ करने के लाभ क्या हैं?
सूर्य ग्रह स्तोत्रम् का पाठ करने के अनेक लाभ हैं:
1.शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार।
2.आत्मविश्वास और साहस में वृद्धि।
3.ग्रह दोषों से मुक्ति।
4.जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और सफलता का आगमन।
5.समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति।सूर्य ग्रह स्तोत्रम् को कौन पढ़ सकता है?
सूर्य ग्रह स्तोत्रम् को कोई भी व्यक्ति पढ़ सकता है, चाहे वह स्त्री हो या पुरुष। यह किसी भी आयु वर्ग के लोगों के लिए उपयुक्त है। पाठ करते समय शुद्धता और श्रद्धा का होना आवश्यक है। यदि पाठ के श्लोक ठीक से उच्चारित न हों, तो किसी ज्ञानी व्यक्ति या गुरु की सहायता लेनी चाहिए।