Sri Hanumatkavacham
श्री हनुमत्कवचम्(Sri Hanumatkavacham) एक अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र है जो भक्तों को भगवान हनुमान की कृपा प्राप्त करने के लिए पढ़ा जाता है। यह कवच विशेष रूप से नकारात्मक ऊर्जा, भूत-प्रेत बाधाओं, शत्रु भय, रोग, और अन्य संकटों से रक्षा करने के लिए अत्यधिक प्रभावशाली माना जाता है। हनुमानजी को बल, बुद्धि, और भक्ति के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है, और उनका कवच धारण करने से व्यक्ति को अदम्य शक्ति और आत्मविश्वास प्राप्त होता है।
श्री हनुमत्कवचम् का महत्त्व
- सुरक्षा कवच: यह स्तोत्र व्यक्ति को सभी प्रकार की बुरी शक्तियों और नकारात्मक ऊर्जाओं से बचाता है।
- भय से मुक्ति: जो लोग किसी भी प्रकार के भय, जैसे शत्रु भय, असुरक्षा, या मानसिक अशांति से ग्रस्त हैं, उनके लिए यह कवच अत्यंत लाभदायक है।
- स्वास्थ्य लाभ: यह रोगों को दूर करने और शारीरिक शक्ति को बनाए रखने में सहायक होता है।
- कार्य सिद्धि: जो लोग किसी कार्य में बाधाओं का सामना कर रहे हैं, उनके लिए श्री हनुमत्कवचम् का पाठ सफलता दिलाने में सहायक होता है।
- संकट मोचन: किसी भी जीवन संकट में यह कवच एक रक्षक के रूप में कार्य करता है।
श्री हनुमत्कवचम्
अस्य श्री हनुमत् कवचस्तोत्रमहामंत्रस्य वसिष्ठ ऋषिः अनुष्टुप् छंदः श्री हनुमान् देवता मारुतात्मज इति बीजं अंजनासूनुरिति शक्तिः वायुपुत्र इति कीलकं हनुमत्प्रसाद सिद्ध्यर्थे जपे विनियोगः ॥
उल्लंघ्य सिंधोस्सलिलं सलीलं
यश्शोकवह्निं जनकात्मजायाः ।
आदाय तेनैव ददाह लंकां
नमामि तं प्रांजलिरांजनेयम् ॥ 1
मनोजवं मारुततुल्यवेगं
जितेंद्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम् ।
वातात्मजं वानरयूथमुख्यं
श्रीरामदूतं शिरसा नमामि ॥ 2
उद्यदादित्यसंकाशं उदारभुजविक्रमम् ।
कंदर्पकोटिलावण्यं सर्वविद्याविशारदम् ॥ 3
श्रीरामहृदयानंदं भक्तकल्पमहीरुहम् ।
अभयं वरदं दोर्भ्यां कलये मारुतात्मजम् ॥ 4
श्रीराम राम रामेति रमे रामे मनोरमे ।
सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ॥ 5
पादौ वायुसुतः पातु रामदूतस्तदंगुलीः ।
गुल्फौ हरीश्वरः पातु जंघे चार्णवलंघनः ॥ 6
जानुनी मारुतिः पातु ऊरू पात्वसुरांतकः ।
गुह्यं वज्रतनुः पातु जघनं तु जगद्धितः ॥ 7
आंजनेयः कटिं पातु नाभिं सौमित्रिजीवनः ।
उदरं पातु हृद्गेही हृदयं च महाबलः ॥ 8
वक्षो वालायुधः पातु स्तनौ चाऽमितविक्रमः ।
पार्श्वौ जितेंद्रियः पातु बाहू सुग्रीवमंत्रकृत् ॥ 9
करावक्ष जयी पातु हनुमांश्च तदंगुलीः ।
पृष्ठं भविष्यद्र्बह्मा च स्कंधौ मति मतां वरः ॥ 10
कंठं पातु कपिश्रेष्ठो मुखं रावणदर्पहा ।
वक्त्रं च वक्तृप्रवणो नेत्रे देवगणस्तुतः ॥ 11
ब्रह्मास्त्रसन्मानकरो भ्रुवौ मे पातु सर्वदा ।
कामरूपः कपोले मे फालं वज्रनखोऽवतु ॥ 12
शिरो मे पातु सततं जानकीशोकनाशनः ।
श्रीरामभक्तप्रवरः पातु सर्वकलेबरम् ॥ 13
मामह्नि पातु सर्वज्ञः पातु रात्रौ महायशाः ।
विवस्वदंतेवासी च संध्ययोः पातु सर्वदा ॥ 14
ब्रह्मादिदेवतादत्तवरः पातु निरंतरम् ।
य इदं कवचं नित्यं पठेच्च शृणुयान्नरः ॥ 15
दीर्घमायुरवाप्नोति बलं दृष्टिं च विंदति ।
पादाक्रांता भविष्यंति पठतस्तस्य शत्रवः ।
स्थिरां सुकीर्तिमारोग्यं लभते शाश्वतं सुखम् ॥ 16
इति निगदितवाक्यवृत्त तुभ्यं
सकलमपि स्वयमांजनेय वृत्तम् ।
अपि निजजनरक्षणैकदीक्षो
वशग तदीय महामनुप्रभावः ॥ 17
इति श्री हनुमत् कवचम् ॥
हनुमत्कवचम् के लाभ
- शत्रु विजय: इसका नियमित पाठ करने से शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है।
- संकटों से रक्षा: जीवन में आने वाले सभी संकटों से यह कवच सुरक्षा प्रदान करता है।
- परिवार की सुरक्षा: परिवार में सुख-शांति बनी रहती है और किसी भी प्रकार की अनहोनी नहीं होती।
- दुष्ट शक्तियों से बचाव: यह भूत-प्रेत बाधाओं और तंत्र-मंत्र से रक्षा करता है।
- सकारात्मक ऊर्जा: यह मन को सकारात्मक बनाकर जीवन में आत्मविश्वास और ऊर्जा बढ़ाता है।
पाठ विधि
- मंगलवार और शनिवार को प्रातःकाल स्नान करके शुद्ध वस्त्र धारण कर पाठ करें।
- हनुमानजी के चित्र या मूर्ति के सामने घी का दीपक जलाएं।
- 11, 21 या 108 बार पाठ करने से अधिक प्रभावी फल प्राप्त होता है।
- पाठ के बाद बजरंग बाण या हनुमान चालीसा का पाठ करना भी शुभ माना जाता है।
श्री हनुमत्कवचम् एक अत्यंत प्रभावशाली स्तोत्र है, जो न केवल संकटों से रक्षा करता है, बल्कि जीवन में सफलता, सुख-समृद्धि और आत्मबल को भी बढ़ाता है। जो भी भक्त सच्चे मन से इसका पाठ करता है, उसे भगवान हनुमान की कृपा अवश्य प्राप्त होती है।