30.1 C
Gujarat
मंगलवार, जून 3, 2025

श्री गंगा चालीसा

Post Date:

Shri Ganga Chalisa

भारत की पवित्र नदियों में माँ गंगा का स्थान सर्वोच्च है। यह न केवल एक जलधारा है, बल्कि भारतीय संस्कृति, धर्म और आस्था का प्रतीक भी है। माँ गंगा को मोक्षदायिनी कहा जाता है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि उनके जल में स्नान करने से पाप धुल जाते हैं और आत्मा को शांति मिलती है। इसी माँ गंगा की महिमा को काव्य के माध्यम से व्यक्त करने के लिए रचित है श्री गंगा चालीसा। यह एक भक्ति काव्य है, जिसमें 40 छंदों (चालीसा) के माध्यम से गंगा माता की स्तुति की गई है। आइए, इस चालीसा के बारे में विस्तार से जानें।

श्री गंगा चालीसा

॥ दोहा ॥

जय जय जय जग पावनी जयति देवसरि गंग ।
जय शिव जटा निवासिनी अनुपम तुंग तरंग ॥

॥ चौपाई ॥

जय जग जननि हरण अघ खानी, आनन्द करनि गंग महारानी।
जय भागीरथि सुरसरि माता, कलिमल मूल दलनि विख्याता।

जय जय जय हनु सुता अघ हननी, भीषम की माता जग जननी।
धवल कमल दल मम तनु साजे, लखि शत शरद चन्द्र छवि लाजे।

वाहन मकर विमल शुचि सोहै, अमिय कलश कर लखि मन मोहै।
जड़ित रत्न कंचन आभूषण, हिय मणि हार, हरणितम दूषण।

जग पावनि त्रय ताप नसावनि, तरल तरंग तंग मन भावनि ।
जो गणपति अति पूज्य प्रधाना, तिहुँ ते प्रथम गंग अस्नाना।

ब्रह्म कमण्डल वासिनि देवी, श्री प्रभु पद पंकज सुख सेवी।
साठि सहत्र सगर सुत तारयो, गंगा सागर तीरथ धारयो।

अगम तरंग उठ्यो मन भावन, लखि तीरथ हरिद्वार सुहावन ।
तीरथ राज प्रयाग अक्षैवट, धरयौ मातु पुनि काशी करवट ।

धनि धनि सुरसरि स्वर्ग की सीढ़ी, तारणि अमित पितृ पद पीढ़ी।
भागीरथ तप कियो अपारा, दियो ब्रह्म तब सुरसरि धारा।

जब जग जननी चल्यो हहराई, शंभु जटा महँ रह्यो समाई।
वर्ष पर्यन्त गंग महारानी, रहीं शंभु के जटा भुलानी।

मुनि भागीरथ शंभुहिं ध्यायो, तब इक बून्द जटा से पायो ।
ताते मातु भई त्रय धारा, मृत्यु लोक, नभ अरु पातारा ।

गई पाताल प्रभावति नामा, मन्दाकिनी गई गगन ललामा ।
मृत्यु लोक जाह्नवी सुहावनि, कलिमल हरणि अगम जग पावनि।

धनि मइया तव महिमा भारी, धर्म धुरि कलि कलुष कुठारी।
मातु प्रभावति धनि मन्दाकिनी, धनि सुरसरित सकल भयनासिनी ।

पान करत निर्मल गंगा जल, पावत मन इच्छित अनन्त फल।
पूरब जन्म पुण्य जब जागत, तबहिं ध्यान गंगा महं लागत।

जई पगु सुरसरि हेतु उठावहि, तइ जगि अश्वमेध फल पावहि।
महा पतित जिन काहु न तारे, तिन तारे इक नाम तिहारे ।

शत योजनहू से जो ध्यावहिं, निश्चय विष्णु लोक पद पावहिं ।
नाम भजत अगणित अघ नाशै, विमल ज्ञान बल बुद्धि प्रकाशै।

जिमि धन मूल धर्म अरु दाना, धर्म मूल गंगाजल पाना।
तव गुण गुणन करत दुख भाजत, गृह गृह सम्पति सुमति विराजत ।

गंगहि नेम सहित नित ध्यावत, दुर्जनहूँ सज्जन पद पावत।
बुद्धिहीन विद्या बल पावै, रोगी रोग मुक्त है जावे।

गंगा गंगा जो नर कहहीं, भूखे नंगे कबहुँ न रहहीं।
निकसत ही मुख गंगा माई, श्रवण दाबि यम चलहिं पराई।

महाँ अधिन अधमन कहँ तारें, भए नर्क के बन्द किवारे।
जो नर जपै गंग शत नामा, सकल सिद्ध पूरण है कामा।

सब सुख भोग परम पद पावहिं, आवागमन रहित है जावहिं।
धनि मइया सुरसरि सुखदैनी, धनि धनि तीरथ राज त्रिवेणी।

ककरा ग्राम ऋषि दुर्वासा,सुन्दरदास गंगा कर दासा ।
जो यह पढ़े गंगा चालीसा, मिलै भक्ति अविरल वागीसा।

॥ दोहा ॥

नित नव सुख सम्पति लहैं, धरें, गंग का ध्यान।
अन्त समय सुरपुर बसै, सादर बैठि विमान ॥
सम्वत् भुज नभ दिशि, राम जन्म दिन चैत्र ।
पूरण चालीसा कियो, हरि भक्तन हित नैत्र ।

श्री गंगा चालीसा का महत्व

श्री गंगा चालीसा का पाठ भक्तों के लिए अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है। यह न केवल गंगा माता की महिमा का गुणगान करता है, बल्कि भक्तों को उनके प्रति श्रद्धा और समर्पण का भाव भी जागृत करता है। इस चालीसा के पाठ से मानसिक शांति, पापों से मुक्ति और जीवन में सकारात्मकता का संचार होता है। विशेष रूप से गंगा दशहरा, कार्तिक पूर्णिमा और अन्य पवित्र अवसरों पर इसका पाठ किया जाता है। यह भक्तों को यह भी याद दिलाता है कि गंगा केवल एक नदी नहीं, बल्कि एक दैवीय शक्ति हैं, जो मानव जीवन को पवित्रता और ऊर्जा प्रदान करती हैं।

पाठ करने की विधि

श्री गंगा चालीसा का पाठ करने के लिए कुछ सरल नियमों का पालन करना चाहिए:

  1. शुद्धता: पाठ से पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  2. स्थान: गंगा तट पर या घर में माँ गंगा की मूर्ति/चित्र के समक्ष पाठ करें।
  3. समय: प्रातःकाल या संध्या समय इसके लिए उत्तम है।
  4. श्रद्धा: पूर्ण भक्ति और विश्वास के साथ पाठ करें।
  5. प्रसाद: पाठ के बाद गंगा जल और तुलसी पत्र का प्रसाद ग्रहण करें।

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

लक्ष्मी द्वादश नाम स्तोत्रम्

लक्ष्मी द्वादश नाम स्तोत्रम्लक्ष्मी द्वादश नाम स्तोत्रम् एक अत्यंत...

अष्टलक्ष्मी स्तुति

अष्टलक्ष्मी स्तुतिअष्टलक्ष्मी स्तुति एक अत्यंत प्रभावशाली और लोकप्रिय स्तोत्र...

लक्ष्मी विभक्ति वैभव स्तोत्रम्

लक्ष्मी विभक्ति वैभव स्तोत्रम्लक्ष्मी विभक्ति वैभव स्तोत्रम् एक अत्यंत...

दुर्गा प्रणति पंचक स्तोत्रम

Durga Pranati Panchaka Stotramदुर्गा प्रणति पंचक स्तोत्रम एक अत्यंत...
error: Content is protected !!