Shri Banke Bihari Chalisa In Hindi
श्री बाँकेबिहारी चालीसा(Shri Banke Bihari Chalisa) भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित एक पवित्र स्तोत्र है, जिसमें उनके “बाँके बिहारी” स्वरूप की महिमा का वर्णन किया गया है। यह चालीसा विशेष रूप से वृंदावन स्थित श्री बाँकेबिहारी मंदिर के भक्तों के बीच लोकप्रिय है। “बाँके बिहारी” का अर्थ है, “टेढ़े-मेढ़े लेकिन आकर्षक रूप वाले बिहारी,” जो भगवान श्रीकृष्ण के दिव्य और मोहक स्वरूप को व्यक्त करता है।
चालीसा की संरचना
- प्रारंभिक स्तुति:
चालीसा की शुरुआत भगवान श्रीकृष्ण की वंदना और उनके चरणों में समर्पण से होती है। यह भक्तों के मन में श्रद्धा और प्रेम उत्पन्न करती है। - 40 छंद:
इसमें 40 पंक्तियाँ या छंद होते हैं, जो भगवान के गुण, उनकी बाल-लीलाएँ, रासलीला, गोवर्धन पर्वत उठाने और गोकुल में की गई बाल-क्रीड़ाओं का वर्णन करती हैं। - श्री राधा रानी का उल्लेख:
श्रीकृष्ण के साथ-साथ उनकी प्रिय राधा रानी की महिमा का भी वर्णन किया गया है। इसमें यह बताया गया है कि श्रीकृष्ण और राधा एक-दूसरे के पूरक हैं। - समापन:
चालीसा का अंत भगवान से आशीर्वाद और उनके चरणों में शरण मांगने के भाव के साथ होता है। यह भक्ति का चरम रूप है।
श्री बाँकेबिहारी चालीसा का पाठ करने के लाभ Benifits of Banke Bihari Chalisa
- मन की शांति:
चालीसा का नियमित पाठ करने से मानसिक शांति और संतोष प्राप्त होता है। यह नकारात्मकता को दूर करता है। - भक्ति और प्रेम का विकास:
यह भगवान श्रीकृष्ण के प्रति प्रेम और भक्ति की भावना को बढ़ावा देता है। - आध्यात्मिक उन्नति:
इसे पढ़ने से व्यक्ति के आध्यात्मिक जीवन में प्रगति होती है और भगवान की कृपा प्राप्त होती है। - कठिनाइयों का समाधान:
भक्तों का मानना है कि इस चालीसा का पाठ करने से जीवन की कठिनाइयों और समस्याओं का समाधान होता है।
श्री बाँकेबिहारी चालीसा
दोहा
बांकी चितवन कटि लचक, बांके चरन रसाल ।
स्वामी श्री हरिदास के बांके बिहारी लाल ।।
।। चौपाई ।।
जै जै जै श्री बाँकेबिहारी ।
हम आये हैं शरण तिहारी ।।
स्वामी श्री हरिदास के प्यारे ।
भक्तजनन के नित रखवारे ।।
श्याम स्वरूप मधुर मुसिकाते ।
बड़े-बड़े नैन नेह बरसाते ।।
पटका पाग पीताम्बर शोभा ।
सिर सिरपेच देख मन लोभा ।।
तिरछी पाग मोती लर बाँकी ।
सीस टिपारे सुन्दर झाँकी ।।
मोर पाँख की लटक निराली ।
कानन कुण्डल लट घुँघराली ।।
नथ बुलाक पै तन-मन वारी ।
मंद हसन लागै अति प्यारी ।।
तिरछी ग्रीव कण्ठ मनि माला ।
उर पै गुंजा हार रसाला ।।
काँधे साजे सुन्दर पटका ।
गोटा किरन मोतिन के लटका ।।
भुज में पहिर अँगरखा झीनौ ।
कटि काछनी अंग ढक लीनौ ।।
कमर-बांध की लटकन न्यारी ।
चरन छुपाये श्री बाँकेबिहारी ।।
इकलाई पीछे ते आई ।
दूनी शोभा दई बढाई ।।
गद्दी सेवा पास बिराजै ।
श्री हरिदास छवी अतिराजै ।।
घंटी बाजे बजत न आगै ।
झाँकी परदा पुनि-पुनि लागै ।।
सोने-चाँदी के सिंहासन ।
छत्र लगी मोती की लटकन ।।
बांके तिरछे सुधर पुजारी ।
तिनकी हू छवि लागे प्यारी ।।
अतर फुलेल लगाय सिहावैं ।
गुलाब जल केशर बरसावै ।।
दूध-भात नित भोग लगावैं ।
छप्पन-भोग भोग में आवैं ।।
मगसिर सुदी पंचमी आई ।
सो बिहार पंचमी कहाई ।।
आई बिहार पंचमी जबते ।
आनन्द उत्सव होवैं तबते ।।
बसन्त पाँचे साज बसन्ती ।
लगै गुलाल पोशाक बसन्ती ।।
होली उत्सव रंग बरसावै ।
उड़त गुलाल कुमकुमा लावैं ।।
फूल डोल बैठे पिय प्यारी ।
कुंज विहारिन कुंज बिहारी ।।
जुगल सरूप एक मूरत में ।
लखौ बिहारी जी मूरत में ।।
श्याम सरूप हैं बाँकेबिहारी ।
अंग चमक श्री राधा प्यारी ।।
डोल-एकादशी डोल सजावैं ।
फूल फल छवी चमकावैं ।।
अखैतीज पै चरन दिखावैं ।
दूर-दूर के प्रेमी आवैं ।।
गर्मिन भर फूलन के बँगला ।
पटका हार फुलन के झँगला ।।
शीतल भोग , फुहारें चलते ।
गोटा के पंखा नित झूलते ।।
हरियाली तीजन का झूला ।
बड़ी भीड़ प्रेमी मन फूला ।।
जन्माष्टमी मंगला आरती ।
सखी मुदित निज तन-मन वारति ।।
नन्द महोत्सव भीड़ अटूट ।
सवा प्रहार कंचन की लूट ।।
ललिता छठ उत्सव सुखकारी ।
राधा अष्टमी की चाव सवारी ।।
शरद चाँदनी मुकट धरावैं ।
मुरलीधर के दर्शन पावैं ।।
दीप दीवारी हटरी दर्शन ।
निरखत सुख पावै प्रेमी मन ।।
मन्दिर होते उत्सव नित-नित ।
जीवन सफल करें प्रेमी चित ।।
जो कोई तुम्हें प्रेम ते ध्यावें।
सोई सुख वांछित फल पावैं ।।
तुम हो दिनबन्धु ब्रज-नायक ।
मैं हूँ दीन सुनो सुखदायक ।।
मैं आया तेरे द्वार भिखारी ।
कृपा करो श्री बाँकेबिहारी ।।
दिन दुःखी संकट हरते ।
भक्तन पै अनुकम्पा करते ।।
मैं हूँ सेवक नाथ तुम्हारो ।
बालक के अपराध बिसारो ।।
मोकूँ जग संकट ने घेरौ ।
तुम बिन कौन हरै दुख मेरौ ।।
विपदा ते प्रभु आप बचाऔ ।
कृपा करो मोकूँ अपनाऔ ।।
श्री अज्ञान मंद-मति भारि ।
दया करो श्रीबाँकेबिहारी ।।
बाँकेबिहारी विनय पचासा ।
नित्य पढ़ै पावे निज आसा ।।
पढ़ै भाव ते नित प्रति गावैं ।
दुख दरिद्रता निकट नही आवैं ।।
धन परिवार बढैं व्यापारा ।
सहज होय भव सागर पारा ।।
कलयुग के ठाकुर रंग राते ।
दूर-दूर के प्रेमी आते ।।
दर्शन कर निज हृदय सिहाते ।
अष्ट-सिध्दि नव निधि सुख पाते ।।
मेरे सब दुख हरो दयाला ।
दूर करो माया जंजाल ।।
दया करो मोकूँ अपनाऔ ।
कृपा बिन्दु मन में बरसाऔ ।।
दोहा
ऐसी मन कर देउ मैं ,
निरखूँ श्याम-श्याम ।
प्रेम बिन्दु दृग ते झरें,
वृन्दावन विश्राम ।।
जय श्री बाँकेबिहारी जी महाराज की
जय श्रीराधिका रानी महारानी की जय
जय श्री हरिदास जी महाराज की जय
Shri Banke Bihari Chalisa In English
baankee chitavana kat i lachaka baanke charana rasaala.
svaamee shree haridaasa ke baanke bihaaree laala.
jai jai jai shree baanke bihaaree.
hama aaye haim’ sharana tihaaree.
svaamee shree haridaasa ke pyaare.
bhaktajana ke nita rakhavaare.
shyaama svaroopa madhura musikaate .
bare-bare naina neha barasaate ..
pat’akaa paaga peetaambara shobhaa .
sira sirapecha dekha mana lobhaa ..
tirachhee paaga motee lara baankee .
seesa t’ipaare sundara jhaankee ..
mora paankha kee lat’aka niraalee .
kaanana kund’ala lat’a ghungharaalee ..
natha bulaaka pai tana-mana vaaree .
manda hasana laagai ati pyaaree ..
tirachhee greeva kant’ha mani maalaa .
ura pai gunjaa haara rasaalaa ..
kaandhe saaje sundara pat’akaa .
got’aa kirana motina ke lat’akaa ..
bhuja mem’ pahira angarakhaa jheenau .
kat’i kaachhanee anga d’haka leenau ..
kamara-baandha kee lat’akana nyaaree .
charana chhupaaye shree baankebihaaree ..
ikalaaee peechhe te aaee .
doonee shobhaa daee bad’haaee ..
gaddee sevaa paasa biraajai .
shree haridaasa chhavee atiraajai ..
ghant’ee baaje bajata na aagai .
jhaankee paradaa puni-puni laagai ..
sone-chaandee ke sim’haasana .
chhatra lagee motee kee lat’akana ..
baanke tirachhe sudhara pujaaree .
tinakee hoo chhavi laage pyaaree ..
atara phulela lagaaya sihaavaim’ .
gulaaba jala keshara barasaavai ..
doodha-bhaata nita bhoga lagaavaim’ .
chhappana-bhoga bhoga mem’ aavaim’ ..
magasira sudee panchamee aaee .
so bihaara panchamee kahaaee ..
aaee bihaara panchamee jabate .
aananda utsava hovaim’ tabate ..
basanta paanche saaja basantee .
lagai gulaala poshaaka basantee ..
holee utsava ranga barasaavai .
urata gulaala kumakumaa laavaim’ ..
phoola d’ola bait’he piya pyaaree .
kunja vihaarina kunja bihaaree ..
jugala saroopa eka moorata mem’ .
lakhau bihaaree jee moorata mem’ ..
shyaama saroopa haim’ baanke bihaaree .
anga chamaka shree raadhaa pyaaree ..
d’ola-ekaadashee d’ola sajaavaim’ .
phoola phala chhavee chamakaavaim’ ..
akhaiteeja pai charana dikhaavaim’ .
doora-doora ke premee aavaim’ ..
garmina bhara phoolana ke bangalaa .
pat’akaa haara phulana ke jhangalaa ..
sheetala bhoga phuhaarem’ chalate .
got’aa ke pankhaa nita jhoolate ..
hariyaalee teejana kaa jhoolaa .
baree bheera premee mana phoolaa ..
janmaasht’amee mangalaa aaratee .
sakhee mudita nija tana-mana vaarati ..
nanda mahotsava bheera at’oot’a .
savaa prahaara kanchana kee loot’a ..
lalitaa chhat’ha utsava sukhakaaree .
raadhaa asht’amee kee chaava savaaree ..
sharada chaandanee mukat’a dharaavaim’ .
muraleedhara ke darshana paavaim’ ..
deepa deevaaree hat’aree darshana .
nirakhata sukha paavai premee mana ..
mandira hote utsava nita-nita .
jeevana saphala karem’ premee chita ..
jo koee tumhem’ prema te dhyaavem’.
soee sukha vaanchhita phala paavaim’ .
tuma ho dinabandhu braja-naayaka .
maim’ hoom’ deena suno sukhadaayaka ..
maim’ aayaa tere dvaara bhikhaaree .
kri’paa karo shree baankebihaaree ..
dina duh’khee sankat’a harate .
bhaktana pai anukampaa karate ..
maim’ hoom’ sevaka naatha tumhaaro .
baalaka ke aparaadha bisaaro ..
mokoom’ jaga sankat’a ne gherau .
tuma bina kauna harai dukha merau ..
vipadaa te prabhu aapa bachaaau .
kri’paa karo mokoom’ apanaaau ..
shree ajnyaana manda-mati bhaari .
dayaa karo shreebaankebihaaree ..
baankebihaaree vinaya pachaasaa .
nitya parhai paave nija aasaa ..
parhai bhaava te nita prati gaavaim’ .
dukha daridrataa nikat’a nahee aavaim’ ..
dhana parivaara bad’haim’ vyaapaaraa .
sahaja hoya bhava saagara paaraa ..
kalayuga ke t’haakura ranga raate .
doora-doora ke premee aate ..
darshana kara nija hri’daya sihaate .
asht’asidhdi nava nidhi sukha paate ..
mere saba dukha haro dayaalaa .
doora karo maayaa janjaala ..
dayaa karo mokoom’ apanaaau .
kri’paa bindu mana mem’ barasaaau ..
aisee mana kara deu maim’ nirakhoom’ shyaama-shyaama.
prema bindu dri’ga te jharem’ vri’ndaavana vishraama..
इस चालीसा में कई श्लोक भगवान के बाल रूप, उनकी रासलीला, और गोकुल में की गई उनकी लीलाओं का वर्णन करते हैं। इनमें श्रीकृष्ण की मोहक छवि और उनकी अनंत कृपा का बखान है, जो भक्तों के हृदय को पवित्र और आनंदित करती है।
यदि आप भक्तिभाव से इस चालीसा का नियमित पाठ करेंगे, तो आपको भगवान बाँके बिहारी की कृपा और अनुग्रह प्राप्त होगा।
श्री बाँकेबिहारी और श्री बाँकेबिहारी चालीसा पर पूछे जाने वाले प्रश्न FAQs for Banke Bihari Chalisa
1. श्री बाँकेबिहारी चालीसा क्या है?
श्री बाँकेबिहारी चालीसा भगवान श्रीकृष्ण के बाँकेबिहारी स्वरूप की महिमा का गुणगान करती है। यह चालीसा 40 दोहों और चौपाइयों का संग्रह है, जिसमें भगवान की लीला, स्वरूप, और उनकी कृपा का वर्णन किया गया है। इसे भक्तगण विशेष रूप से श्रद्धा और भक्ति के साथ पाठ करते हैं।
श्री बाँकेबिहारी चालीसा का पाठ कब और कैसे करना चाहिए?
इस चालीसा का पाठ सुबह के समय, स्नान आदि के बाद, शुद्ध मन से करना सबसे शुभ माना जाता है। पूजा स्थान पर दीप जलाकर और भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या चित्र के सामने बैठकर इसे पढ़ें। इसे सोमवार, शुक्रवार, या किसी विशेष धार्मिक अवसर पर करना अत्यधिक फलदायी होता है।
क्या श्री बाँकेबिहारी चालीसा का पाठ करने से इच्छाएं पूरी होती हैं?
हां, ऐसा माना जाता है कि श्री बाँकेबिहारी चालीसा का नियमित पाठ करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। भगवान श्रीकृष्ण अपने भक्तों पर कृपा करते हैं और उनके जीवन में सुख-शांति और समृद्धि लाते हैं।
क्या श्री बाँकेबिहारी चालीसा का पाठ किसी विशेष स्थान पर करना अधिक लाभकारी है?
यदि संभव हो, तो वृंदावन स्थित बाँकेबिहारी मंदिर में इस चालीसा का पाठ करना अत्यधिक शुभ और लाभकारी माना जाता है। हालाँकि, इसे घर पर श्रद्धा और भक्तिभाव से पाठ करने पर भी भगवान कृपा प्रदान करते हैं।
श्री बाँकेबिहारी चालीसा के पाठ के क्या लाभ हैं?
इस चालीसा का पाठ करने से मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति, और भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। यह भक्त के जीवन से नकारात्मक ऊर्जा को हटाता है और उसे भगवान की कृपा से भरा जीवन जीने में मदद करता है।
श्री बाँकेबिहारी जी कौन हैं?
श्री बाँकेबिहारी जी वृंदावन के प्रमुख देवता हैं, जिन्हें भगवान श्रीकृष्ण का एक विशेष रूप माना जाता है। ‘बाँके’ का अर्थ है झुके हुए और ‘बिहारी’ का अर्थ है खेलने वाले। यह नाम भगवान कृष्ण की मनमोहक मुद्रा को दर्शाता है, जिसमें वे त्रिभंग (तीन स्थानों से झुकी हुई) स्थिति में बांसुरी बजाते हुए खड़े रहते हैं।
श्री बाँकेबिहारी मंदिर कहाँ स्थित है?
श्री बाँकेबिहारी मंदिर भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के मथुरा जिले के वृंदावन में स्थित है। यह मंदिर भगवान कृष्ण के अनन्य भक्त स्वामी हरिदास जी द्वारा स्थापित किया गया था और यह वृंदावन के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है।
श्री बाँकेबिहारी मंदिर के दर्शन का समय क्या है?
मंदिर में दर्शन का समय मौसम के अनुसार बदलता रहता है।
गर्मी के मौसम में: सुबह 7:45 बजे से दोपहर 12:00 बजे तक और शाम 5:30 बजे से रात 9:30 बजे तक।
सर्दी के मौसम में: सुबह 8:45 बजे से दोपहर 1:00 बजे तक और शाम 4:30 बजे से रात 8:30 बजे तक।
त्योहारों और विशेष अवसरों पर समय में बदलाव हो सकता है।श्री बाँकेबिहारी मंदिर में कोई विशेष उत्सव मनाए जाते हैं?
जी हाँ, श्री बाँकेबिहारी मंदिर में कई विशेष उत्सव बड़ी धूमधाम से मनाए जाते हैं। इनमें होली, जन्माष्टमी, राधाष्टमी, और झूला उत्सव प्रमुख हैं। होली के दौरान, भगवान को गुलाल और फूलों से सजाया जाता है, और भक्तों को ‘फूलों की होली’ खेलने का अवसर मिलता है।
क्या श्री बाँकेबिहारी जी के दर्शन के लिए कोई विशेष नियम हैं?
जी हाँ, मंदिर में दर्शन के दौरान कुछ नियमों का पालन करना आवश्यक है:
भक्तों को पंक्तिबद्ध होकर दर्शन करना होता है।
मंदिर के अंदर फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी की अनुमति नहीं है।
श्रद्धालुओं को शांति और अनुशासन बनाए रखना चाहिए।
दर्शन के समय भगवान की झलक केवल कुछ ही पलों के लिए दिखाई जाती है, ताकि उनकी दिव्यता का प्रभाव अधिक गहरा हो सके।