शारदा माता की आरती Sharda Mata Ki Aarti
शारदा माता की आरती देवी सरस्वती की स्तुति के रूप में की जाती है, जो ज्ञान, विद्या, संगीत, और कला की देवी मानी जाती हैं। हिन्दू धर्म में उन्हें “वाणी” और “वाग्देवी” के नाम से भी जाना जाता है। शारदा माता की आरती का गान करते समय भक्त उनकी कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए प्रार्थना करते हैं, ताकि उनके जीवन में ज्ञान, विवेक, और सफलता प्राप्त हो सके।
शारदा माता की आरती का महत्त्व:
शारदा माता की आरती विशेष रूप से विद्यार्थियों, शिक्षकों, संगीतकारों, और कलाकारों के बीच लोकप्रिय है। माना जाता है कि माता सरस्वती की पूजा और आरती से बुद्धि, ज्ञान और कला में कुशलता प्राप्त होती है। वसंत पंचमी के अवसर पर उनकी विशेष पूजा होती है, जिसे सरस्वती पूजा भी कहा जाता है। इस दिन विशेष रूप से विद्या की देवी का आह्वान किया जाता है ताकि वे जीवन में सफलता प्रदान करें।
आरती के समय भक्तजन शुद्ध मन और श्रद्धा के साथ दीप जलाते हैं और आरती गाते हैं। इस आरती के दौरान माता सरस्वती के चरणों में फूल चढ़ाए जाते हैं, और उनके सम्मान में संगीत या भजन-कीर्तन का आयोजन भी किया जाता है। आरती के माध्यम से भक्त देवी से यह प्रार्थना करते हैं कि उनके जीवन में ज्ञान की रोशनी बनी रहे और वे अज्ञानता से दूर रहें।
शारदा माता की आरती Sharda Mata Ki Aarti
भुवन विराजी शारदा, महिमा अपरम्पार।
भक्तों के कल्याण को धरो मात अवतार ।।
मैया शारदा तोरे दरबार आरती नित गाऊँ
मैया शारदा तोरे दरबार आरती नित गाऊँ-२ नित गाऊँ मैया नित गाऊँ-२
मैया शारदा तोरे दरबार आरती नित गाऊँ-२
श्रद्धा को दीया प्रीत की बाती असुअन तेल चढ़ाऊँ श्रद्धा को दियां प्रीत की बाती असुअन तेल चढ़ाऊँ।
दर्श तोरे पाऊँ मैया शारदा तोरे दरबार आरती नित गाऊँ-३
मन की माला आँख के मोती भाव के फूल चढ़ाऊँ मन की माला आँख के मोती भाव के फूल चढ़ाऊँ। दर्श तोरे पाऊँ
मैया शारदा तोरे दरबार आरती नित गाऊँ-३
बल को भोग स्वांस दिन राती कंधे से विनय सुनाऊँबल को भोग दर्श तोरे पाऊँ
मैया शारदा तोरे दरबार आरती नित गाऊँ-३
तप को हार कर्ण को टीका ध्यान की ध्वजा चढ़ाऊँ तप को हार कर्ण को टीका ध्यान की ध्वजा चढ़ाऊँ।
दर्श तोरे पाऊँ मैया शारदा तोरे दरबार आरती नित गाऊँ-३
माँ के भजन साधु सन्तन को आरती रोज सुनाऊँ माँ के भजन साधु सन्तन को आरती रोज सुनाऊ।
दर्श तोरे पाऊँ मैया शारदा तोरे दरबार आरती नित गाऊँ-३
सुमर-सुमर माँ के जस गावें चरनन शीश नवाऊँसुमर-सुमर माँ के जस गावे चरनन शीश नवाऊँ। दर्श तोरे पाऊँ
मैया शारदा तोरे दरबार आरती नित गाऊँ मैया शारदा तोरे दरबार आरती नित गाऊँ मैया शारदा तोरे दरबार आरती नित गाऊँ-३
आरती का अनुष्ठान:
आरती की प्रक्रिया में पहले देवी की मूर्ति या चित्र को फूलों से सजाया जाता है। फिर दीप, अगरबत्ती, और कपूर जलाकर आरती की जाती है। साथ ही शंख या घंटा बजाकर माता का ध्यान किया जाता है। आरती समाप्त होने के बाद प्रसाद का वितरण किया जाता है, जिसे भक्त प्रेमपूर्वक ग्रहण करते हैं।
शारदा माता की पूजा का महत्व:
शारदा माता की आरती और पूजा के माध्यम से भक्त ज्ञान, सत्य, और आत्मविवेक की ओर अग्रसर होते हैं। शिक्षा और बुद्धि के क्षेत्र में यह माना जाता है कि जो भी विद्यार्थी श्रद्धापूर्वक माता सरस्वती की आरती करता है, उसे विद्या और ज्ञान में सफलता अवश्य मिलती है। कलाकारों और संगीतकारों के लिए भी सरस्वती माता की कृपा बहुत महत्वपूर्ण होती है।
आरती का शुभ समय:
शारदा माता की आरती का कोई विशेष समय निर्धारित नहीं है, परन्तु इसे प्रातःकाल और संध्या समय करना शुभ माना जाता है। विशेष अवसरों जैसे वसंत पंचमी, नवरात्रि, और दीपावली के समय भी माता सरस्वती की आरती का विशेष महत्व होता है।
शारदा माता की आरती न केवल धार्मिक अनुष्ठान है, बल्कि यह भक्ति, ज्ञान और समर्पण का प्रतीक भी है।