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रविवार, जून 1, 2025

शनैश्चर स्तोत्रम्

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शनैश्चर स्तोत्रम्(Shanaishchara Stotram) हिंदू धर्म में शनिदेव की कृपा प्राप्त करने के लिए एक विशेष प्रार्थना है। शनिदेव को न्याय के देवता माना जाता है, जो मनुष्यों को उनके कर्मों के आधार पर फल प्रदान करते हैं। यह स्तोत्र विशेष रूप से उन लोगों द्वारा पढ़ा जाता है जो शनि की दशा, शनि साढ़े साती, या शनि महादशा के प्रभाव से राहत पाना चाहते हैं।

शनिदेव का महत्व

शनिदेव सूर्यदेव और छाया (संध्या) के पुत्र हैं। नवग्रहों में इनका विशेष स्थान है। इन्हें न्यायप्रिय और कर्मों का फल देने वाला देवता माना जाता है। शनिदेव का मुख्य उद्देश्य व्यक्ति को उसके कर्मों का उचित फल देना है, चाहे वह शुभ हो या अशुभ।

शनिदेव का प्रकोप तब होता है जब व्यक्ति अनुचित कर्म करता है। शनैश्चर स्तोत्रम् का पाठ शनिदेव की कृपा पाने, उनके प्रकोप से बचने, और जीवन में शांति एवं समृद्धि लाने के लिए अत्यंत लाभकारी माना जाता है।

शनैश्चर स्तोत्रम् का उद्देश्य

  • कष्टों का निवारण: यह स्तोत्र शनिदेव के अशुभ प्रभाव को कम करने में सहायक है।
  • कर्म सुधार: शनिदेव अच्छे कर्म करने के लिए प्रेरित करते हैं।
  • धैर्य और सहनशीलता: शनिदेव व्यक्ति को कठिन परिस्थितियों का सामना करने की शक्ति देते हैं।
  • धन और समृद्धि: शनि के शुभ प्रभाव से व्यक्ति को धन, स्वास्थ्य और परिवार में सुख-शांति प्राप्त होती है।

शनैश्चर स्तोत्रम् का पाठ कब और कैसे करें?

  1. सर्वोत्तम दिन: शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनिवार का दिन सबसे उपयुक्त होता है।
  2. समय: सुबह या सूर्यास्त के समय शांत मन से पाठ करें।
  3. स्नान और पूजा: पाठ से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
  4. शनिदेव की मूर्ति या चित्र: शनिदेव के सामने दीपक जलाकर उनकी पूजा करें।
  5. पवित्रता: मन और शरीर की पवित्रता बनाए रखें।

शनैश्चर स्तोत्रम् का पाठ

अथ दशरथकृतं शनैश्चरस्तोत्रम्।
नमः कृष्णाय नीलाय शितिकण्ठनिभाय च।
नमः कालाग्निरूपाय कृतान्ताय च वै नमः।
नमो निर्मांसदेहाय दीर्घश्मश्रुजटाय च।
नमो विशालनेत्राय शुष्कोदर भयाकृते।
नमः पुष्कलगात्राय स्थूलरोम्णेऽथ वै नमः।
नमो दीर्घाय शुष्काय कालदंष्ट्र नमोऽस्तु ते।
नमस्ते कोटराक्षाय दुर्निरीक्ष्याय वै नमः।
नमो घोराय रौद्राय भीषणाय कपालिने।
नमस्ते सर्वभक्षाय वलीमुख नमोऽस्तु ते।
सूर्यपुत्र नमस्तेऽस्तु भास्करे भयदाय च।
अधोदृष्टे नमस्तेऽस्तु संवर्तक नमोऽस्तु ते।
नमो मन्दगते तुभ्यं निस्त्रिंशाय नमोऽस्तु ते।
तपसा दग्धदेहाय नित्यं योगरताय च।
नमो नित्यं क्षुधार्ताय ह्यतृप्ताय च वै नमः।
ज्ञानचक्षुर्नमस्तेऽस्तु कश्यपात्मजसूनवे।
तुष्टो ददासि वै राज्यं रुष्टो हरसि तत्क्षणात्।
देवासुरमनुष्याश्च सिद्धविद्याधरोरगाः।
त्वया विलोकिताः सर्वे नाशं यान्ति समूलतः।
प्रसादं कुरु मे देव वरार्होऽहमुपागतः।

शनैश्चर स्तोत्रम् के लाभ

  1. कष्टों का अंत: जीवन में आने वाले हर प्रकार के कष्ट, शनि दोष, और अशुभ ग्रहों के प्रभाव को कम करता है।
  2. आर्थिक उन्नति: धन और समृद्धि को बढ़ाने में सहायक है।
  3. स्वास्थ्य लाभ: मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारने में मदद करता है।
  4. शांति: जीवन में शांति और संतुलन बनाए रखने में सहायक है।
  5. शनि दोष निवारण: शनि की महादशा, साढ़े साती, और अन्य दोषों के प्रभाव को कम करता है।

विशेष ध्यान देने योग्य बातें

  1. शनैश्चर स्तोत्रम् को श्रद्धा और भक्ति के साथ पढ़ें।
  2. अपने कर्मों को सुधारें और दया, करुणा, और सत्य के मार्ग पर चलें।
  3. शनिवार को काले तिल, काला कपड़ा, और लोहे का दान करने से शनिदेव की कृपा मिलती है।
  4. जरूरतमंदों की सहायता करें और शनि के दिन ब्रह्मचर्य का पालन करें।

शनैश्चर स्तोत्रम् पर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

  1. शनैश्चर स्तोत्रम् क्या है?

    शनैश्चर स्तोत्रम् एक पवित्र ग्रंथ है जिसे शनिदेव की कृपा प्राप्त करने के लिए पाठ किया जाता है। यह स्तोत्र उनके शत्रुओं और कष्टों से मुक्ति दिलाने, शांति और समृद्धि लाने में सहायक माना जाता है। इसमें शनिदेव के गुणों, कृपा और उनके प्रभावों का वर्णन किया गया है।

  2. शनैश्चर स्तोत्रम् का पाठ कब और कैसे करना चाहिए?

    शनैश्चर स्तोत्रम् का पाठ शनिवार को विशेष रूप से शुभ माना जाता है। इसे सूर्योदय के समय या सूर्यास्त के समय शांत और स्वच्छ स्थान पर बैठकर करना चाहिए। पाठ करते समय श्रद्धा और भक्ति का होना आवश्यक है। इसे सात बार या अधिक बार पढ़ने से अधिक लाभ मिलता है।

  3. शनैश्चर स्तोत्रम् के पाठ से क्या लाभ होते हैं?

    शनैश्चर स्तोत्रम् के पाठ से जीवन में आने वाले कष्ट, रोग, आर्थिक समस्याएं, और अन्य बाधाएं दूर होती हैं। यह स्तोत्र शनिदेव की कृपा पाने में मदद करता है, जो शुभ फल प्रदान करता है। इसे पढ़ने से मन की शांति, आत्मबल और आध्यात्मिक उन्नति होती है।

  4. शनैश्चर स्तोत्रम् का रचनाकर्ता कौन है?

    शनैश्चर स्तोत्रम् का रचनाकर्ता ऋषि महर्षि दशरथ माने जाते हैं। जब उनके राज्य में शनिदेव के प्रभाव से समस्याएं बढ़ गईं, तब उन्होंने शनिदेव की स्तुति करते हुए यह स्तोत्र रचा। इस स्तोत्र की शक्ति से उन्होंने शनिदेव की कृपा प्राप्त की।

  5. क्या शनैश्चर स्तोत्रम् को किसी विशेष मंत्र या नियमों के साथ पढ़ना चाहिए?

    हाँ, शनैश्चर स्तोत्रम् को पढ़ने से पहले शनिदेव के मंत्र “ॐ शं शनैश्चराय नमः” का जाप करना शुभ होता है। इसे करते समय स्वच्छ वस्त्र पहनें और पूजा की सभी आवश्यक सामग्रियों को रखें। अगर किसी विशेष समस्या के लिए स्तोत्र का पाठ किया जा रहा है, तो उसे पूरी श्रद्धा और ध्यान से करें।

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