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बुधवार, दिसम्बर 3, 2025

सर्व शिरोमणि विश्व सभा के आत्मोपम विश्वंभर के – Sarv Shiromani Vishv Sabhaake

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सर्व शिरोमणि विश्व सभा के आत्मोपम विश्वंभर के

सर्व-शिरोमणि विश्व-सभाके, आत्मोपम विश्वंभर के ।

विजयी नायक जगनायकके, सच्चे सुहृद चराचरके ।।

सुखद सुधानिधि साधु-कुमुदके, भास्कर भक्त-कमल-वनके ।

आश्रय दीनोंके, प्रकाश पथिक्रोंके, अवलम्बन जनके ॥ १ ॥

लोभी जग-हितके, त्यागी सच जगके, भोगी भूमाके ।

मोही निर्मोहीके, प्यारे जीवन बोधमयी माके ॥

तत्पर परम हरण पर-दुखके, तत्परता-विहीन तनके ।

चतुर खिलाड़ी जग-नाटकके, चिंतामणि साधक जनके ॥ २ ॥

सफल मार्ग दर्शक पथभ्रष्टों के, आधार अभागोंके ।

विमल विधायक प्रेम-भक्तिके, उच्च भावके, त्यागोंके ।।

परम प्रचारक प्रभुवाणीके, ज्ञाता गहरे भावोंके ।

वक्ता, व्याख्याता, विशुद्ध, उच्छेदक सर्व कुभावोंके ॥ ३ ॥

पथदर्शक निष्कामकर्मके, चालक अचल सांख्यपथके ।

पालक सत्य-अहिंसा-व्रतके, घालक नित अपूत पथके ।।

नाशक त्रिविध तापके, पोषक तपके, तारक भक्तोंके ।

हारक पापोंके, संजीवन- भेषज विषयासक्तोंके || ४ ||

पावनकर्ता पतितोंके पृथ्वीके, प्रेत, पितृ-गणके ।

भूषण भूमंडलके, दूषण राग-द्वेष रणांगण के ||

रक्षक अतिदृद सत्य-धर्मके, भक्षक भव-जंजालोंके ।

तक्षक भोग-रोग, धन-मदके, व्यापारी सत-लालोंके ॥ ५ ॥

दक्ष दुभाषी ‘जन, जन-धन’ के, मुखिया राम-दलालोंके ।

छिपे हुए अज्ञात लोक-निधि मालिक असली मालोंके ||

चूड़ामणि दैवीगुण-गणके परमादर्श महानोंके ।

महिमा वर्णनमें अशक्त तव विद्या-बल विद्वानोंके ।। ६ ।।

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