30.9 C
Gujarat
मंगलवार, नवम्बर 4, 2025

राहु ग्रह स्तोत्रम्

Post Date:

राहु ग्रह स्तोत्रम्(Rahu Graha Stotram) एक ऐसा धार्मिक पाठ है, जो राहु ग्रह से संबंधित समस्याओं को कम करने और उनके अशुभ प्रभावों को दूर करने के लिए पढ़ा जाता है। वैदिक ज्योतिष में राहु को एक छाया ग्रह माना जाता है, जिसका व्यक्ति के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। यह ग्रह मुख्य रूप से भ्रम, मानसिक तनाव, अप्रत्याशित घटनाओं और कठिन परिस्थितियों का कारण बन सकता है। राहु ग्रह स्तोत्रम् का नियमित पाठ इन प्रभावों को कम करने और राहु के शुभ फलों को प्राप्त करने में सहायक होता है।

राहु ग्रह का ज्योतिषीय महत्व Importance of Rahu Graha Stotram

राहु को राहु केतु ग्रहण के कारण सूर्य और चंद्रमा पर ग्रहण लाने वाला ग्रह माना गया है। कुंडली में राहु जिस भाव में स्थित होता है, उस भाव से संबंधित क्षेत्र में प्रभाव डालता है। यदि राहु शुभ स्थिति में होता है, तो यह व्यक्ति को सफलता, धन, और प्रसिद्धि प्रदान कर सकता है। लेकिन अशुभ स्थिति में राहु भ्रम, मानसिक अशांति, और समस्याएं उत्पन्न कर सकता है।

राहु ग्रह स्तोत्रम् का पाठ क्यों करें?

  1. राहु दोष निवारण: यदि किसी की कुंडली में राहु दोष है, तो इस स्तोत्र का पाठ शुभ फलदायक होता है।
  2. ग्रहण काल में शांति: सूर्य और चंद्र ग्रहण के समय राहु ग्रह स्तोत्र का पाठ मानसिक शांति और आध्यात्मिक बल प्रदान करता है।
  3. कर्म बाधा निवारण: यह स्तोत्र कर्म क्षेत्र में आ रही बाधाओं को दूर करता है।
  4. भय और भ्रम का नाश: राहु के कारण उत्पन्न भय और भ्रम को कम करने में सहायक होता है।

राहु ग्रह स्तोत्रम् का पाठ Rahu Graha Stotram

महाशिरा महावक्त्रो दीर्घदंष्ट्रो महाबलः।
अतनुश्चोर्ध्वकेशश्च पीडां हरतु मे तमः।

mahaashiraa mahaavaktro deerghadamsht’ro mahaabalah’.
atanushchordhvakeshashcha peed’aam haratu me tamah’.

इस स्तोत्र का नियमित पाठ व्यक्ति को राहु के अशुभ प्रभावों से बचाने में सहायक होता है और उसकी जीवन की कठिनाइयों को कम करता है।

पाठ का समय और विधि

  1. सर्वोत्तम समय: राहु ग्रह स्तोत्रम् का पाठ बुधवार और शनिवार के दिन, राहु काल के दौरान करना अधिक प्रभावी माना जाता है।
  2. पाठ से पहले: साफ-सफाई और पवित्रता का ध्यान रखें। धूप-दीप जलाकर भगवान शिव और राहु ग्रह का ध्यान करें।
  3. मन का एकाग्रता: पाठ के दौरान मन को एकाग्र और शांत रखें।
  4. संख्या: इस स्तोत्र का पाठ कम से कम 11 बार करें।

अन्य उपाय

  • राहु के शुभ प्रभाव के लिए भगवान शिव की उपासना करें।
  • राहु दोष के निवारण के लिए काले तिल, सरसों का तेल और नीले वस्त्र का दान करें।
  • राहु मंत्र “ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः” का जाप भी लाभकारी है।

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

धन्वन्तरिस्तोत्रम् | Dhanvantari Stotram

धन्वन्तरिस्तोत्रम् | Dhanvantari Stotramॐ नमो भगवते धन्वन्तरये अमृतकलशहस्ताय,सर्वामयविनाशनाय, त्रैलोक्यनाथाय...

दृग तुम चपलता तजि देहु – Drg Tum Chapalata Taji Dehu

दृग तुम चपलता तजि देहु - राग हंसधुन -...

हे हरि ब्रजबासिन मुहिं कीजे – He Hari Brajabaasin Muhin Keeje

 हे हरि ब्रजबासिन मुहिं कीजे - राग सारंग -...

नाथ मुहं कीजै ब्रजकी मोर – Naath Muhan Keejai Brajakee Mor

नाथ मुहं कीजै ब्रजकी मोर - राग पूरिया कल्याण...
error: Content is protected !!