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मंगलवार, नवम्बर 4, 2025

पितृ सूक्तम्

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Pitru Suktam In Hindi

पितृ सूक्तम्(Pitru Suktam) हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण मंत्र है, जिसे विशेष रूप से पितरों की पूजा, तर्पण और श्राद्ध के समय पाठ किया जाता है। यह सूक्त ऋग्वेद (Rigveda) के 10वें मंडल के 15वें अध्याय में है और इसमें पितरों के प्रति श्रद्धा, सम्मान और आभार व्यक्त किया गया है। पितृ सूक्तम् का उद्देश्य पितरों से आशीर्वाद प्राप्त करना और उनकी आत्माओं की शांति के लिए प्रार्थना करना है।

पितृ सूक्तम् का महत्व Pitru Suktam Importance

पितृ सूक्तम् का पाठ करने से पितरों को शांति मिलती है और परिवार में सुख-शांति का वास होता है। यह विशेष रूप से उन दिनों में पढ़ा जाता है, जब श्राद्ध या तर्पण कर्म किए जाते हैं, जैसे कि पितृ पक्ष में। माना जाता है कि पितृ सूक्तम् का पाठ करने से पूर्वजों की आत्माएं प्रसन्न होती हैं और वे अपने संतान को आशीर्वाद देते हैं।

पितृ सूक्तम् Pitru Suktam

(ऋ.१.१०.१५.१)

उदी॑रता॒मव॑र॒ उत्परा॑स॒ उन्म॑ध्य॒माः पि॒तरः॑ सो॒म्यासः॑ ।
असुं॒-यँ ई॒युर॑वृ॒का ऋ॑त॒ज्ञास्ते नो॑-ऽवन्तु पि॒तरो॒ हवे॑षु ॥ १

इ॒द-म्पि॒तृभ्यो॒ नमो॑ अस्त्व॒द्य ये पूर्वा॑सो॒ य उप॑रास ई॒युः ।
ये पार्थि॑वे॒ रज॒स्या निष॑त्ता॒ ये वा॑ नू॒नं सु॑वृ॒जना॑सु वि॒क्षु ॥ २

आह-म्पि॒तॄन्सु॑वि॒दत्रां॑ अवित्सि॒ नपा॑त-ञ्च वि॒क्रम॑ण-ञ्च॒ विष्णोः॑ ।
ब॒र्​हि॒षदो॒ ये स्व॒धया॑ सु॒तस्य॒ भज॑न्त पि॒त्वस्त इ॒हाग॑मिष्ठाः ॥ ३

बर्​हि॑षदः पितर ऊ॒त्य(1॒॑ )र्वागि॒मा वो॑ ह॒व्या च॑कृमा जु॒षध्व॑म् ।
त आ ग॒ताव॑सा॒ शन्त॑मे॒नाथा॑ न॒-श्शं-योँर॑र॒पो द॑धात ॥ ४

उप॑हूताः पि॒तरः॑ सो॒म्यासो॑ बर्​हि॒ष्ये॑षु नि॒धिषु॑ प्रि॒येषु॑ ।
त आ ग॑मन्तु॒ त इ॒ह श्रु॑व॒न्त्वधि॑ ब्रुवन्तु॒ ते॑-ऽवन्त्व॒स्मान् ॥ ५

आच्या॒ जानु॑ दक्षिण॒तो नि॒षद्ये॒मं-यँ॒ज्ञम॒भि गृ॑णीत॒ विश्वे॑ ।
मा हिं॑सिष्ट पितरः॒ केन॑ चिन्नो॒ यद्व॒ आगः॑ पुरु॒षता॒ करा॑म ॥ ६

आसी॑नासो अरु॒णीना॑मु॒पस्थे॑ र॒यि-न्ध॑त्त दा॒शुषे॒ मर्त्या॑य ।
पु॒त्रेभ्यः॑ पितर॒स्तस्य॒ वस्वः॒ प्र य॑च्छत॒ त इ॒होर्ज॑-न्दधात ॥ ७

ये नः॒ पूर्वे॑ पि॒तरः॑ सो॒म्यासो॑-ऽनूहि॒रे सो॑मपी॒थं-वँसि॑ष्ठाः ।
तेभि॑र्य॒म-स्सं॑ररा॒णो ह॒वीं‍ष्यु॒शन्नु॒शद्भिः॑ प्रतिका॒मम॑त्तु ॥ ८

ये ता॑तृ॒षुर्दे॑व॒त्रा जेह॑माना होत्रा॒विद॒-स्स्तोम॑तष्टासो अ॒र्कैः ।
आग्ने॑ याहि सुवि॒दत्रे॑भिर॒र्वाङ्‍ स॒त्यैः क॒व्यैः पि॒तृभि॑र्घर्म॒सद्भिः॑ ॥ ९

ये स॒त्यासो॑ हवि॒रदो॑ हवि॒ष्पा इन्द्रे॑ण दे॒वै-स्स॒रथ॒-न्दधा॑नाः ।
आग्ने॑ याहि स॒हस्र॑-न्देवव॒न्दैः परैः॒ पूर्वैः॑ पि॒तृभि॑र्घर्म॒सद्भिः॑ ॥ १०

अग्नि॑ष्वात्ताः पितर॒ एह ग॑च्छत॒ सदः॑सद-स्सदत सुप्रणीतयः ।
अ॒त्ता ह॒वींषि॒ प्रय॑तानि ब॒र्​हिष्यथा॑ र॒यिं सर्व॑वीर-न्दधातन ॥ ११

त्वम॑ग्न ईलि॒तो जा॑तवे॒दो-ऽवा॑ड्ढ॒व्यानि॑ सुर॒भीणि॑ कृ॒त्वी ।
प्रादाः॑ पि॒तृभ्यः॑ स्व॒धया॒ ते अ॑क्षन्न॒द्धि त्व-न्दे॑व॒ प्रय॑ता ह॒वींषि॑ ॥ १२

ये चे॒ह पि॒तरो॒ ये च॒ नेह यां‍श्च॑ वि॒द्म याँ उ॑ च॒ न प्र॑वि॒द्म ।
त्वं-वेँ॑त्थ॒ यति॒ ते जा॑तवेद-स्स्व॒धाभि॑र्य॒ज्ञं सुकृ॑त-ञ्जुषस्व ॥ १३

ये अ॑ग्निद॒ग्धा ये अन॑ग्निदग्धा॒ मध्ये॑ दि॒व-स्स्व॒धया॑ मा॒दय॑न्ते ।
तेभिः॑ स्व॒रालसु॑नीतिमे॒तां-यँ॑थाव॒श-न्त॒न्व॑-ङ्कल्पयस्व ॥ १४

ॐ शान्ति॒-श्शान्ति॒-श्शान्तिः॑ ।

पितृ सूक्तम् के लाभ Pitru Suktam Benifits

  1. पितरों की शांति: यह सूक्त पितरों की आत्मा की शांति के लिए पाठ किया जाता है, जिससे घर में शांति का वातावरण बनता है।
  2. आशीर्वाद प्राप्ति: इस सूक्त का जाप करने से परिवार को पितरों से आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो जीवन में समृद्धि और खुशहाली लाता है।
  3. कुल धर्म का पालन: पितृ सूक्तम् के पाठ से व्यक्ति अपने कुल और पितरों के प्रति अपना धर्म निभाता है, जिससे कुल का गौरव बढ़ता है।
  4. पितृ ऋण की मुक्ति: यह सूक्त व्यक्ति को पितृ ऋण से मुक्त करने में मदद करता है। इस प्रकार, यह सूक्त पितृ कर्तव्यों का पालन करने का एक माध्यम है।

पितृ सूक्तम् एक अत्यंत महत्वपूर्ण और पवित्र मंत्र है, जिसे पितरों की पूजा, तर्पण और श्राद्ध के दौरान उच्चारित किया जाता है। यह पितरों से आशीर्वाद प्राप्त करने और उनके प्रति श्रद्धा का प्रतीक है। इसके नियमित जाप से परिवार में समृद्धि, सुख, और शांति का संचार होता है।

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