Panduranga Ashtakam In Hindi
श्री पाण्डुरङ्ग अष्टकम्(Panduranga Ashtakam) एक प्रसिद्ध स्तोत्र है, जो भगवान पाण्डुरङ्ग या विठोबा के प्रति भक्तिभाव से भरा हुआ है। यह स्तोत्र संत अद्वैताचार्य द्वारा रचित माना जाता है, जो भक्तिकाल के महान संतों में से एक थे। भगवान पाण्डुरङ्ग को महाराष्ट्र और कर्नाटक में अत्यधिक पूजा जाता है। ये भगवान विष्णु के एक रूप माने जाते हैं, जो अपने भक्तों के कल्याण के लिए पंढरपुर में स्थित हैं।
पाण्डुरङ्ग का अर्थ Meaning of Panduranga
“पाण्डुरङ्ग” का अर्थ है “श्वेत प्रकाश से आच्छादित”। यह नाम भगवान की सौम्य और करुणामयी छवि को दर्शाता है। पंढरपुर में भगवान विठोबा का जो विग्रह स्थापित है, उसमें भगवान को अपने दोनों हाथों को कमर पर टिकाए हुए दिखाया गया है। यह स्वरूप भक्तों को उनकी सादगी और प्रेम से जोड़ता है।
अष्टकम् का अर्थ Meaning of Ashtakam
“अष्टकम्” का अर्थ होता है आठ छंदों से युक्त स्तोत्र। श्री पाण्डुरङ्ग अष्टकम् में आठ श्लोक हैं, जो भगवान की महिमा, उनके स्वरूप और उनकी कृपा का वर्णन करते हैं। इन श्लोकों का पाठ करने से भक्त को भगवान की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है।
श्री पाण्डुरङ्ग अष्टकम् का महत्व Panduranga Ashtakam Importance
- भक्तिभाव जागृत करता है: यह स्तोत्र भगवान के प्रति गहरी श्रद्धा और प्रेम को जागृत करता है।
- मानसिक शांति: इसे पाठ करने से मन को शांति और संतोष की अनुभूति होती है।
- कर्मों का शुद्धिकरण: ऐसा माना जाता है कि यह स्तोत्र पापों को नष्ट करता है और व्यक्ति को आध्यात्मिक उन्नति प्रदान करता है।
- मोक्ष प्राप्ति: भगवान पाण्डुरङ्ग का स्मरण करने और उनके गुणों का गायन करने से जीवात्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है।
श्री पाण्डुरङ्ग अष्टकम् के श्लोक Panduranga Ashtakam
महायोगपीठे तटे भीमरथ्या
वरं पुण्डरीकाय दातुं मुनीन्द्रैः ।
समागत्य तिष्ठन्तमानन्दकन्दं
परब्रह्मलिङ्गं भजे पाण्डुरङ्गम् ॥ १ ॥
तटिद्वाससं नीलमेघावभासं
रमामन्दिरं सुन्दरं चित्प्रकाशम् ।
वरं त्विष्टकायां समन्यस्तपादं
परब्रह्मलिङ्गं भजे पाण्डुरङ्गम् ॥ २ ॥
प्रमाणं भवाब्धेरिदं मामकानां
नितम्बः कराभ्यां धृतो येन तस्मात् ।
विधातुर्वसत्यै धृतो नाभिकोशः
परब्रह्मलिङ्गं भजे पाण्डुरङ्गम् ॥ ३ ॥
स्फुरत्कौस्तुभालङ्कृतं कण्ठदेशे
श्रिया जुष्टकेयूरकं श्रीनिवासम् ।
शिवं शान्तमीड्यं वरं लोकपालं
परब्रह्मलिङ्गं भजे पाण्डुरङ्गम् ॥ ४ ॥
शरच्चन्द्रबिम्बाननं चारुहासं
लसत्कुण्डलाक्रान्तगण्डस्थलान्तम् ।
जपारागबिम्बाधरं कञ्जनेत्रं
परब्रह्मलिङ्गं भजे पाण्डुरङ्गम् ॥ ५ ॥
किरीटोज्ज्वलत्सर्वदिक्प्रान्तभागं
सुरैरर्चितं दिव्यरत्नैरनर्घैः ।
त्रिभङ्गाकृतिं बर्हमाल्यावतंसं
परब्रह्मलिङ्गं भजे पाण्डुरङ्गम् ॥ ६ ॥
विभुं वेणुनादं चरन्तं दुरन्तं
स्वयं लीलया गोपवेषं दधानम् ।
गवां बृन्दकानन्ददं चारुहासं
परब्रह्मलिङ्गं भजे पाण्डुरङ्गम् ॥ ७ ॥
अजं रुक्मिणीप्राणसञ्जीवनं तं
परं धाम कैवल्यमेकं तुरीयम् ।
प्रसन्नं प्रपन्नार्तिहं देवदेवं
परब्रह्मलिङ्गं भजे पाण्डुरङ्गम् ॥ ८ ॥
स्तवं पाण्डुरङ्गस्य वै पुण्यदं ये
पठन्त्येकचित्तेन भक्त्या च नित्यम् ।
भवाम्भोनिधिं तेऽपि तीर्त्वान्तकाले
हरेरालयं शाश्वतं प्राप्नुवन्ति ॥ ९ ॥
इति श्रीमत्परमहंस परिव्राजकाचार्य श्रीमच्छङ्करभगवत्पादाचार्य विरचितं श्री पाण्डुरङ्गाष्टकम् ।
श्री पाण्डुरङ्ग अष्टकम् पाठ का समय और विधि
- प्रातःकाल: इसे प्रातःकाल शांत मन से पढ़ना अत्यधिक शुभ माना जाता है।
- विशेष पर्व: एकादशी और कार्तिक मास में इस स्तोत्र का पाठ विशेष फलदायक होता है।
- शुद्धता: पाठ के समय तन और मन की शुद्धता का ध्यान रखना चाहिए।
- दीपक और धूप जलाएं: भगवान पाण्डुरङ्ग की मूर्ति या तस्वीर के सामने दीपक और धूप जलाकर पाठ करें।
पंढरपुर तीर्थ और पाण्डुरङ्ग Pandharpur Tirth
पंढरपुर महाराष्ट्र का एक प्रमुख तीर्थस्थल है, जहाँ भगवान पाण्डुरङ्ग का मुख्य मंदिर स्थित है। इस मंदिर में हर वर्ष लाखों भक्त एकादशी पर भगवान के दर्शन के लिए आते हैं। यह स्थान संत ज्ञानेश्वर, संत तुकाराम और अन्य संतों की तपस्थली भी है।
श्री पाण्डुरङ्ग अष्टकम् पर पूछे जाने वाले प्रश्न
श्री पाण्डुरंग अष्टकम् क्या है?
श्री पाण्डुरंग अष्टकम् एक भक्तिपूर्ण स्तोत्र है, जिसमें भगवान पाण्डुरंग (विठ्ठल) की महिमा का वर्णन आठ श्लोकों में किया गया है।
श्री पाण्डुरंग अष्टकम् की रचना किसने की है?
श्री पाण्डुरंग अष्टकम् की रचना आदि शंकराचार्य ने भगवान पाण्डुरंग की स्तुति हेतु की है।
श्री पाण्डुरंग अष्टकम् का पाठ कब करना चाहिए?
भक्तगण श्री पाण्डुरंग अष्टकम् का पाठ प्रातःकाल, संध्याकाल, या किसी विशेष पूजा-अर्चना के दौरान कर सकते हैं।
श्री पाण्डुरंग अष्टकम् में भगवान की किस रूप में स्तुति की गई है?
इस स्तोत्र में भगवान पाण्डुरंग को दयालु, करुणामय और भक्तों की सभी इच्छाओं को पूर्ण करने वाले स्वरूप में वर्णित किया गया है।
श्री पाण्डुरंग अष्टकम् के पाठ का क्या लाभ है?
इस स्तोत्र के पाठ से मन को शांति मिलती है, भक्ति भाव बढ़ता है, और भगवान पाण्डुरंग की कृपा प्राप्त होती है।
श्री पाण्डुरङ्ग अष्टकम् भगवान पाण्डुरङ्ग की महिमा का अद्भुत स्तोत्र है, जो भक्तों को उनके साथ आध्यात्मिक संबंध स्थापित करने में सहायता करता है। यह केवल एक स्तोत्र नहीं, बल्कि भक्तों के लिए मोक्ष का मार्ग है। इसे भक्ति और श्रद्धा के साथ नियमित रूप से पढ़ने से जीवन में अद्भुत सकारात्मक बदलाव आता है।