नवग्रह स्तुति(Navagraha Stuti) हिंदू धर्म में नौ प्रमुख ग्रहों की स्तुति और आराधना के लिए की जाती है। इन नवग्रहों का उल्लेख वेदों, पुराणों और ज्योतिष शास्त्र में प्रमुखता से किया गया है। यह मान्यता है कि नवग्रहों का हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। नवग्रह स्तुति का उद्देश्य इन ग्रहों की कृपा प्राप्त करना, उनकी अशुभता को शांत करना और जीवन में सुख-समृद्धि लाना है।
नवग्रह कौन-कौन से हैं?
नवग्रहों में निम्नलिखित ग्रह सम्मिलित हैं:
- सूर्य (Sun): आत्मा और शक्ति का प्रतीक।
- चंद्र (Moon): मन और भावना का प्रतीक।
- मंगल (Mars): ऊर्जा, साहस और शक्ति का ग्रह।
- बुध (Mercury): बुद्धि और संचार का कारक।
- गुरु (बृहस्पति) (Jupiter): ज्ञान, शिक्षा और धर्म का ग्रह।
- शुक्र (Venus): प्रेम, कला और सौंदर्य का प्रतीक।
- शनि (Saturn): कर्म, अनुशासन और न्याय का कारक।
- राहु: छाया ग्रह, भ्रम और कुटिलता का कारक।
- केतु: छाया ग्रह, मोक्ष और आध्यात्मिकता का प्रतीक।
नवग्रह स्तुति का महत्व Importance of Navagraha Stuti
नवग्रह स्तुति करने से व्यक्ति अपने जीवन में आने वाली परेशानियों को कम कर सकता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, अगर कुंडली में किसी ग्रह की स्थिति कमजोर हो, या किसी ग्रह की महादशा अशुभ हो, तो नवग्रह स्तुति से उन दोषों का निवारण किया जा सकता है।
नवग्रह स्तुति मंत्र Mantra of Navagraha Stuti
प्रत्येक ग्रह की स्तुति के लिए अलग-अलग मंत्र होते हैं। लेकिन सामान्य रूप से नवग्रह स्तुति के लिए निम्नलिखित मंत्र का उपयोग किया जाता है:
भास्वान् मे भासयेत् तत्त्वं चन्द्रश्चाह्लादकृद्भवेत्।
मङ्गलो मङ्गलं दद्याद् बुधश्च बुधतां दिशेत्।
गुरुर्मे गुरुतां दद्यात् कविश्च कवितां दिशेत्।
शनिश्च शं प्रापयतु केतुः केतुं जयेऽर्पयेत्।
राहुर्मे राहयेद्रोगं ग्रहाः सन्तु करग्रहाः।
नवं नवं ममैश्वर्यं दिशन्त्वेते नवग्रहाः।
शने दिनमणेः सूनो स्वनेकगुणसन्मणे।
अरिष्टं हर मेऽभीष्टं कुरु मा कुरु सङ्कटम्।
हरेरनुग्रहार्थाय शत्रूणां निग्रहाय च।
वादिराजयतिप्रोक्तं ग्रहस्तोत्रं सदा पठेत्।
bhaasvaan me bhaasayet tattvam chandrashchaahlaadakri’dbhavet.
mangalo mangalam dadyaad budhashcha budhataam dishet.
gururme gurutaam dadyaat kavishcha kavitaam dishet.
shanishcha sham praapayatu ketuh’ ketum jaye’rpayet.
raahurme raahayedrogam grahaah’ santu karagrahaah’.
navam navam mamaishvaryam dishantvete navagrahaah’.
shane dinamaneh’ soono svanekagunasanmane.
arisht’am hara me’bheesht’am kuru maa kuru sankat’am.
hareranugrahaarthaaya shatroonaam nigrahaaya cha.
vaadiraajayatiproktam grahastotram sadaa pat’het.
Meaning :
Sanskrit Verse:
भास्वान् मे भासयेत् तत्त्वं चन्द्रश्चाह्लादकृद्भवेत्।
Word-by-Word Meaning:
भास्वान् (Bhāsvān) – The Sun,
मे (me) – for me,
भासयेत् (bhāsayet) – illuminate,
तत्त्वं (tattvam) – the truth,
चन्द्रः (candraḥ) – the Moon,
च (ca) – and,
आह्लादकृत् (āhlādakṛt) – bringer of joy,
भवेत् (bhavet) – be.
Joint Meaning:
May the Sun illuminate the truth for me, and may the Moon bring joy and delight.
Sanskrit Verse:
मङ्गलो मङ्गलं दद्याद् बुधश्च बुधतां दिशेत्।
Word-by-Word Meaning:
मङ्गलः (Maṅgalaḥ) – Mars,
मङ्गलं (maṅgalaṃ) – auspiciousness,
दद्यात् (dadyāt) – bestow,
बुधः (Budhaḥ) – Mercury,
च (ca) – and,
बुधतां (budhatāṃ) – wisdom,
दिशेत् (diśet) – grant.
Joint Meaning in English:
May Mars bestow auspiciousness, and may Mercury grant wisdom and intelligence.
Sanskrit Verse:
गुरुर्मे गुरुतां दद्यात् कविश्च कवितां दिशेत्।
Word-by-Word Meaning:
गुरुः (Guruḥ) – Jupiter,
मे (me) – for me,
गुरुतां (gurutāṃ) – greatness,
दद्यात् (dadyāt) – grant,
कविः (Kaviḥ) – Venus,
च (ca) – and,
कवितां (kavitāṃ) – poetic abilities,
दिशेत् (diśet) – bestow.
JointMeaning in English:
May Jupiter grant me greatness, and may Venus bestow poetic abilities.
Sanskrit Verse:
शनिश्च शं प्रापयतु केतुः केतुं जयेऽर्पयेत्।
Word-by-Word Meaning:
शनिः (Śaniḥ) – Saturn,
च (ca) – and,
शं (śam) – peace,
प्रापयतु (prāpayatu) – bring,
केतुः (Ketuḥ) – Ketu,
केतुं (ketuṃ) – obstacle,
जये (jaye) – victory,
अर्पयेत् (arpayet) – grant.
Joint Meaning in English:
May Saturn bring peace, and may Ketu grant victory over obstacles.
Sanskrit Verse:
राहुर्मे राहयेद्रोगं ग्रहाः सन्तु करग्रहाः।
Word-by-Word Meaning:
राहुः (Rāhuḥ) – Rahu,
मे (me) – for me,
राहयेत् (rāhayet) – remove,
रोगं (rogaṃ) – diseases,
ग्रहाः (grahāḥ) – planets,
सन्तु (santu) – be,
करग्रहाः (karagrahāḥ) – holding the hand.
Joint(Combined) Meaning in English:
May Rahu remove my diseases, and may the planets hold my hand in protection.
Sanskrit Verse:
नवं नवं ममैश्वर्यं दिशन्त्वेते नवग्रहाः।
Word-by-Word Meaning:
नवं (Navaṃ) – new,
नवं (navaṃ) – renewed,
मम (mama) – for me,
ऐश्वर्यं (aiśvaryaṃ) – prosperity,
दिशन्तु (diśantu) – bestow,
एते (ete) – these,
नवग्रहाः (navagrahāḥ) – nine planets.
Joint(Combined) Meaning in English:
May these nine planets continuously bestow new and renewed prosperity upon me.
This stotra is a prayer to the nine planets (Navagrahas) to bestow their divine blessings. Each planet is invoked to provide specific boons, ranging from wisdom, peace, prosperity, to protection from obstacles. The stotra emphasizes the harmonious influence of these celestial bodies in one’s life.
Benefits of Navagraha Stuti Chanting:
Regular chanting of this stotra can align the individual with the positive influences of the Navagrahas. It is believed to bring peace, success, good health, and prosperity, while reducing the malefic effects of the planets. Chanting this stotra with devotion and sincerity can enhance one’s spiritual and material well-being.
नवग्रह स्तुति का समय और विधि
समय:
नवग्रह स्तुति सुबह के समय, स्नानादि के बाद की जाती है।
विधि:
- साफ और पवित्र स्थान पर दीपक जलाएं।
- नवग्रह यंत्र या नवग्रह की प्रतिमा स्थापित करें।
- मंत्रों का जाप करें और नवग्रहों का ध्यान करें।
- ग्रहों के लिए उपयुक्त दान करें, जैसे कि सूर्य के लिए गुड़, चंद्र के लिए चावल आदि।
नवग्रह स्तुति के लाभ Benifits of Navagraha Stuti
- ग्रहों की अनुकूलता प्राप्त होती है।
- जीवन में बाधाओं का निवारण होता है।
- मानसिक शांति और आध्यात्मिक उन्नति मिलती है।
- कुंडली दोष जैसे पितृ दोष, कालसर्प दोष आदि से राहत मिलती है।
नवग्रह स्तुति सरल है, लेकिन इसका प्रभाव बहुत व्यापक है। इसे श्रद्धा और भक्ति से करने पर यह जीवन को सकारात्मक दिशा में ले जा सकती है।
नवग्रह स्तुति पर पूछे जाने वाले प्रश्न FAQs of Navagraha Stuti
नवग्रह स्तुति क्या है?
नवग्रह स्तुति नौ ग्रहों की प्रशंसा में रचित एक प्रार्थना है। इसमें सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु की महिमा का वर्णन किया गया है। इसे भक्त अपने जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लाने के लिए पढ़ते हैं।
नवग्रह स्तुति का महत्व क्या है?
नवग्रह स्तुति का महत्व वैदिक ज्योतिष और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से बहुत अधिक है। ऐसा माना जाता है कि ग्रह हमारे जीवन पर गहरा प्रभाव डालते हैं। नवग्रह स्तुति के नियमित पाठ से ग्रहों के दुष्प्रभाव को कम किया जा सकता है और अनुकूल फल प्राप्त किए जा सकते हैं।
नवग्रह स्तुति कब और कैसे पढ़ी जानी चाहिए?
नवग्रह स्तुति को सुबह के समय स्नान के बाद साफ कपड़े पहनकर पढ़ना सबसे शुभ माना जाता है। इसे पूजा के दौरान या ग्रह संबंधित समस्या होने पर विशेष रूप से पढ़ा जा सकता है। पाठ करते समय शुद्ध उच्चारण और मन की एकाग्रता बनाए रखना आवश्यक है।
नवग्रह स्तुति के पाठ से कौन-कौन से लाभ मिल सकते हैं?
नवग्रह स्तुति के पाठ से ग्रह दोष कम होते हैं, मानसिक शांति मिलती है और बाधाओं का निवारण होता है। यह जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और सफलता लाने में मदद करती है। जिन लोगों को स्वास्थ्य, करियर, या पारिवारिक समस्याएं हो रही हैं, वे भी इसका लाभ उठा सकते हैं।
क्या नवग्रह स्तुति को विशेष पूजन विधि के साथ पढ़ना आवश्यक है?
विशेष पूजन विधि के बिना भी नवग्रह स्तुति को पढ़ा जा सकता है। लेकिन यदि ग्रह दोष अधिक है, तो इसे पूजा विधि के साथ पढ़ना अधिक प्रभावी होता है। इसके लिए किसी योग्य पंडित से सलाह लेना उचित रहता है।