नवग्रह नमस्कार स्तोत्रम् एक प्रमुख हिन्दू स्तोत्र है, जो नवग्रहों (सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु) की पूजा और उनकी अनुकम्पा प्राप्त करने के लिए उच्चारित किया जाता है। यह स्तोत्र विशेष रूप से उन व्यक्तियों के लिए लाभकारी माना जाता है, जिनके जीवन में ग्रहों का अशुभ प्रभाव हो।
नवग्रहों का महत्व Importance of Navagraha
नवग्रहों का हिंदू धर्म में बहुत बड़ा महत्व है। प्रत्येक ग्रह का व्यक्ति के जीवन पर अलग-अलग प्रभाव पड़ता है। इन ग्रहों की शांति के लिए उपासना और मंत्रोच्चारण किया जाता है। नवग्रह स्तोत्र इन ग्रहों की शांति और उनके सकारात्मक प्रभाव के लिए जपने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है।
नवग्रह नमस्कार स्तोत्रम् का रचनाकार
नवग्रह नमस्कार स्तोत्रम् को विभिन्न ग्रंथों में भगवान शिव के द्वारा रचित बताया जाता है। यह स्तोत्र भगवान शिव ने भगवान गणेश से सिखाया था, ताकि वे ग्रहों के प्रभाव को नियंत्रित कर सकें और जीवन में सुख-समृद्धि ला सकें।
नवग्रह नमस्कार स्तोत्रम् के पाठ का महत्व Importance of Navagraha Namaskara Stotram
- ग्रहों के दोषों का निवारण: यह स्तोत्र उन लोगों के लिए विशेष रूप से प्रभावी है, जिनकी जन्म कुंडली में किसी ग्रह का दोष हो, जैसे शनि का ढैय्या या मंंगल का कालसर्प योग।
- शांति और समृद्धि: ग्रहों की शांति के लिए यह स्तोत्र उच्चारित किया जाता है। इससे व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि, शांति और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।
- दुखों का निवारण: जो लोग किसी भी प्रकार के मानसिक, शारीरिक या आर्थिक परेशानियों का सामना कर रहे हैं, उनके लिए यह स्तोत्र विशेष रूप से लाभकारी है।
- नैतिक और मानसिक मजबूती: यह स्तोत्र व्यक्ति को मानसिक और नैतिक मजबूती प्रदान करता है, जिससे वह जीवन में आने वाली कठिनाइयों का सामना कर सकता है।
नवग्रह नमस्कार स्तोत्रम् का पाठ विधि
नवग्रह नमस्कार स्तोत्रम् का पाठ सुबह सूर्योदय के समय सबसे अधिक शुभ माना जाता है। इसे नियमित रूप से 108 बार जाप करना उत्तम होता है, लेकिन यदि समय कम हो तो 3, 5, या 11 बार भी इसका जाप किया जा सकता है।
नवग्रह नमस्कार स्तोत्रम् का पाठ करते समय ध्यान रखने योग्य बातें:
- स्वच्छ स्थान पर बैठें: पाठ करते समय स्वच्छ और शांत वातावरण का चयन करें।
- पवित्रता का ध्यान रखें: शरीर और मन दोनों को शुद्ध रखें।
- ध्यान और संकल्प: पाठ से पहले ध्यान करें और अपने सभी ग्रहों के दोषों को दूर करने का संकल्प लें।
- ग्रहों के अनुसार पूजा: हर ग्रह का अलग-अलग मंत्र और पूजा विधि होती है, लेकिन नवग्रह नमस्कार स्तोत्रम् में सभी ग्रहों का पूजन एक साथ किया जाता है।
नवग्रह नमस्कार स्तोत्रम् का सरल रूप:
ॐ सूर्याय नमः।
ॐ चन्द्राय नमः।
ॐ मङ्गलाय नमः।
ॐ बुधाय नमः।
ॐ गुरुाय नमः।
ॐ शुक्राय नमः।
ॐ शनैश्चराय नमः।
ॐ राहवे नमः।
ॐ केतवे नमः।
नवग्रह नमस्कार स्तोत्रम् का लाभ: Benifits of Navagraha Namaskara Stotram
- व्यक्तिगत ग्रह दोषों का निवारण: यह स्तोत्र खासतौर पर व्यक्तियों के ग्रह दोषों को समाप्त करने में मदद करता है।
- धन, समृद्धि और ऐश्वर्य: इसे पढ़ने से व्यक्ति की आर्थिक स्थिति में सुधार हो सकता है।
- मन की शांति: ग्रहों के प्रभाव से उत्पन्न मानसिक तनाव और चिंता को यह स्तोत्र शांत करता है।
- स्वास्थ्य में सुधार: यह शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को मजबूत करता है, साथ ही रोगों से रक्षा करता है।
- समय का सही उपयोग: ग्रहों के अशुभ प्रभाव से समय का सदुपयोग किया जा सकता है।
नवग्रह नमस्कार स्तोत्रम् Navagraha Namaskara Stotram
ज्योतिर्मण्डलमध्यगं गदहरं लोकैकभास्वन्मणिं
मेषोच्चं प्रणतिप्रियं द्विजनुतं छायपतिं वृष्टिदम्।
कर्मप्रेरकमभ्रगं शनिरिपुं प्रत्यक्षदेवं रविं
ब्रह्मेशानहरिस्वरूपमनघं सिंहेशसूर्यं भजे।
चन्द्रं शङ्करभूषणं मृगधरं जैवातृकं रञ्जकं
पद्मासोदरमोषधीशममृतं श्रीरोहिणीनायकम्।
शुभ्राश्वं क्षयवृद्धिशीलमुडुपं सद्बुद्धिचित्तप्रदं
शर्वाणीप्रियमन्दिरं बुधनुतं तं कर्कटेशं भजे।
भौमं शक्तिधरं त्रिकोणनिलयं रक्ताङ्गमङ्गारकं
भूदं मङ्गलवासरं ग्रहवरं श्रीवैद्यनाथार्चकम्।
क्रूरं षण्मुखदैवतं मृगगृहोच्चं रक्तधात्वीश्वरं
नित्यं वृश्चिकमेषराशिपतिमर्केन्दुप्रियं भावये।
सौम्यं सिंहरथं बुधं कुजरिपुं श्रीचन्द्रतारासुतं
कन्योच्चं मगधोद्भवं सुरनुतं पीतांबरं राज्यदम्।
कन्यायुग्मपतिं कवित्वफलदं मुद्गप्रियं बुद्धिदं
वन्दे तं गदिनं च पुस्तककरं विद्याप्रदं सर्वदा।
देवेन्द्रप्रमुखार्च्यमानचरणं पद्मासने संस्थितं
सूर्यारिं गजवाहनं सुरगुरुं वाचस्पतिं वज्रिणम्।
स्वर्णाङ्गं धनुमीनपं कटकगेहोच्चं तनूजप्रदं
वन्दे दैत्यरिपुं च भौमसुहृदं ज्ञानस्वरूपं गुरुम्।
शुभ्राङ्गं नयशास्त्रकर्तृजयिनं संपत्प्रदं भोगदं
मीनोच्चं गरुडस्थितं वृषतुलानाथं कलत्रप्रदम्।
केन्द्रे मङ्गलकारिणं शुभगुणं लक्ष्मी-सपर्याप्रियं
दैत्यार्च्यं भृगुनन्दनं कविवरं शुक्रं भजेऽहं सदा।
आयुर्दायकमाजिनैषधनुतं भीमं तुलोच्चं शनिं
छायासूर्यसुतं शरासनकरं दीपप्रियं काश्यपम्।
मन्दं माष-तिलान्न-भोजनरुचिं नीलांशुकं वामनं
शैवप्रीतिशनैश्चरं शुभकरं गृध्राधिरूढं भजे।
वन्दे रोगहरं करालवदनं शूर्पासने भासुरं
स्वर्भानुं विषसर्पभीति-शमनं शूलायुधं भीषणम्।
सूर्येन्दुग्रहणोन्मुखं बलमदं दत्याधिराजं तमं
राहुं तं भृगुपुत्रशत्रुमनिशं छायाग्रहं भावये।
गौरीशप्रियमच्छकाव्यरसिकं धूम्रध्वजं मोक्षदं
केन्द्रे मङ्गलदं कपोतरथिनं दारिद्र्यविध्वंसकम्।
चित्राङ्गं नरपीठगं गदहरं दान्तं कुलुत्थप्रियं
केतुं ज्ञानकरं कुलोन्नतिकरं छायाग्रहं भावये।
सर्वोपास्य-नवग्रहाः जडजनो जाने न युष्मद्गुणान्
शक्तिं वा महिमानमप्यभिमतां पूजां च दिष्टं मम।
प्रार्थ्यं किन्नु कियत् कदा बत कथं किं साधु वाऽसाधु किं
जाने नैव यथोचितं दिशत मे सौख्यं यथेष्टं सदा।
नित्यं नवग्रह-स्तुतिमिमां देवालये वा गृहे
श्रद्धाभक्तिसमन्वितः पठति चेत् प्राप्नोति नूनं जनः।
दीर्घं चायुररोगतां शुभमतिं कीर्तिं च संपच्चयं
सत्सन्तानमभीष्टसौख्यनिवहं सर्वग्रहानुग्रहात्।
नवग्रह नमस्कार स्तोत्रम् पर पूछे जाने वाले प्रश्न FAQs of Navagraha Namaskara Stotram
नवग्रह नमस्कार स्तोत्रम् क्या है?
नवग्रह नमस्कार स्तोत्रम् एक पवित्र संस्कृत स्तोत्र है जिसे नवग्रहों की पूजा और शांति के लिए किया जाता है। यह स्तोत्र विशेष रूप से उन ग्रहों के प्रति सम्मान और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए है जो हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं। इसमें सूर्य, चंद्रमा, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु जैसे नवग्रहों की स्तुति की जाती है।
नवग्रह नमस्कार स्तोत्रम् का पाठ क्यों किया जाता है?
नवग्रह नमस्कार स्तोत्रम् का पाठ खासकर जीवन में ग्रहों के दोषों को शांत करने और उनका सकारात्मक प्रभाव प्राप्त करने के लिए किया जाता है। यह स्तोत्र मानसिक शांति, समृद्धि और सुख-समृद्धि को बढ़ावा देने में मदद करता है। इसके माध्यम से हम नवग्रहों की कृपा प्राप्त करने की कोशिश करते हैं।
नवग्रह नमस्कार स्तोत्रम् का लाभ क्या हैं?
नवग्रह नमस्कार स्तोत्रम् का पाठ करने से जीवन में कई लाभ मिल सकते हैं। यह:
ग्रहों के दोषों को शांत करता है।
मानसिक और शारीरिक शांति लाता है।
समृद्धि और खुशहाली को बढ़ावा देता है।
किसी भी प्रकार की नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने में मदद करता है।
स्वास्थ्य, शिक्षा और करियर में सफलता प्राप्त करने में सहायक होता है।नवग्रह नमस्कार स्तोत्रम् का पाठ कैसे किया जाता है?
नवग्रह नमस्कार स्तोत्रम् का पाठ नियमित रूप से शांतिपूर्वक और विधिपूर्वक करना चाहिए। इसे सुबह के समय सूर्योदय से पहले करना उत्तम माना जाता है। इसके पाठ के समय शुद्ध और स्वच्छ स्थान पर बैठकर, भगवान के सामने दीपक जलाना चाहिए और फिर स्तोत्र का उच्चारण करना चाहिए। यदि संभव हो, तो ग्रहों के अनुसार रंगीन वस्त्र पहनना या ग्रहों के प्रतीक जैसे रत्नों का ध्यान रखना भी फायदेमंद हो सकता है।
क्या नवग्रह नमस्कार स्तोत्रम् का पाठ सिर्फ ग्रह दोष निवारण के लिए किया जा सकता है?
नवग्रह नमस्कार स्तोत्रम् का पाठ केवल ग्रह दोष निवारण के लिए नहीं किया जाता, बल्कि यह व्यक्तिगत और आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी अत्यंत लाभकारी है। इसके माध्यम से व्यक्ति जीवन के विभिन्न पहलुओं में संतुलन बनाए रख सकता है, जैसे कि मानसिक शांति, रिश्तों में सामंजस्य और कार्यक्षेत्र में सफलता। यह हर व्यक्ति की जीवन यात्रा को सुखमय और समृद्ध बनाने में मदद करता है।