नवग्रह भुजंग स्तोत्रम्(Navagraha Bhujanga Stotram) एक अत्यंत प्रभावशाली और अद्भुत स्तोत्र है, जो नवग्रहों (सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु, और केतु) की कृपा प्राप्त करने और उनकी अशुभताओं को दूर करने के लिए रचा गया है। यह स्तोत्र भुजंगप्रयात छंद में लिखा गया है, जिसमें मंत्रोच्चारण के दौरान एक सर्प के समान लहराती लय उत्पन्न होती है।
नवग्रहों को वैदिक ज्योतिष और हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्व दिया गया है। ऐसा माना जाता है कि ये ग्रह मनुष्य के जीवन में सुख-दुख, सफलता-असफलता, और स्वास्थ्य जैसे पहलुओं को नियंत्रित करते हैं। नवग्रह भुजंग स्तोत्रम् का पाठ व्यक्ति की कुंडली में ग्रह दोषों को दूर करने और जीवन में संतुलन बनाए रखने में सहायक होता है।
नवग्रह भुजंग स्तोत्रम् और रचना
नवग्रह भुजंग स्तोत्रम् की रचना महान ऋषि और विद्वानों द्वारा की गई मानी जाती है। यह स्तोत्र भुजंगप्रयात छंद में लिखा गया है, जिसमें हर श्लोक नवग्रहों की विशेषताओं, उनके मंत्रों और उनसे प्राप्त होने वाले आशीर्वाद का वर्णन करता है।
नवग्रह भुजंग स्तोत्रम् का महत्व Importance of Navagraha Bhujanga Stotram
- नवग्रह भुजंग स्तोत्रम् का नियमित पाठ करने से ग्रहों की अशुभता को दूर किया जा सकता है।
- यह स्तोत्र जीवन में मानसिक और शारीरिक शांति लाने में सहायक है।
- जिनकी कुंडली में शनि दोष, राहु-केतु दोष, या पितृ दोष हो, उनके लिए यह स्तोत्र अत्यंत लाभकारी है।
नवग्रह भुजंग स्तोत्रम् पाठ विधि
- सूर्योदय के समय स्नान करके शुद्ध वस्त्र पहनें।
- शांत मन से पूजा स्थान पर दीपक जलाएं।
- नवग्रह भुजंग स्तोत्र का पाठ करें।
- पाठ के बाद ग्रहों के अनुसार दान करें।
नवग्रह भुजंग स्तोत्रम् Navagraha Bhujanga Stotram
दिनेशं सुरं दिव्यसप्ताश्ववन्तं
सहस्रांशुमर्कं तपन्तं भगं तम्।
रविं भास्करं द्वादशात्मानमार्यं
त्रिलोकप्रदीपं ग्रहेशं नमामि।
निशेशं विधुं सोममब्जं मृगाङ्कं
हिमांशुं सुधांशुं शुभं दिव्यरूपम्।
दशाश्वं शिवश्रेष्ठभाले स्थितं तं
सुशान्तं नु नक्षत्रनाथं नमामि।
कुजं रक्तमाल्याम्बरैर्भूषितं तं
वयःस्थं भरद्वाजगोत्रोद्भवं वै।
गदावन्तमश्वाष्टकैः सम्भ्रमन्तं
नमामीशमङ्गारकं भूमिजातम्।
बुधं सिंहगं पीतवस्त्रं धरन्तं
विभुं चात्रिगोत्रोद्भवं चन्द्रजातम्।
रजोरूपमीड्यं पुराणप्रवृत्तं
शिवं सौम्यमीशं सुधीरं नमामि।
सुरं वाक्पतिं सत्यवन्तं च जीवं
वरं निर्जराचार्यमात्मज्ञमार्षम्।
सुतप्तं सुगौरप्रियं विश्वरूपं
गुरुं शान्तमीशं प्रसन्नं नमामि।
कविं शुक्लगात्रं मुनिं शौमकार्षं
मणिं वज्ररत्नं धरन्तं विभुं वै।
सुनेत्रं भृगुं चाभ्रगं धन्यमीशं
प्रभुं भार्गवं शान्तरूपं नमामि।
शनिं काश्यपिं नीलवर्णप्रियं तं
कृशं नीलबाणं धरन्तं च शूरम्।
मृगेशं सुरं श्राद्धदेवाग्रजं तं
सुमन्दं सहस्रांशुपुत्रं नमामि।
तमः सैंहिकेयं महावक्त्रमीशं
सुरद्वेषिणं शुक्रशिष्यं च कृष्णम्।
वरं ब्रह्मपुत्रं बलं चित्रवर्णं
महारौद्रमर्धं शुभं चित्रवर्णम्।
द्विबाहुं शिखिं जैमिनीसूत्रजं तं
सुकेशं विपापं सुकेतुं नमामि।
नवग्रह भुजंग स्तोत्रम् पर पूछे जाने वाले प्रश्न FAQs of Navagraha Bhujanga Stotram
नवग्रह भुजंग स्तोत्रम् क्या है?
नवग्रह भुजंग स्तोत्रम् एक प्राचीन वैदिक स्तोत्र है, जिसमें नवग्रहों (सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, गुरु, शुक्र, शनि, राहु और केतु) की स्तुति की जाती है। इस स्तोत्र के माध्यम से नवग्रहों की कृपा प्राप्त करने और जीवन में सुख-समृद्धि लाने की प्रार्थना की जाती है।
नवग्रह भुजंग स्तोत्रम् का पाठ कब और कैसे करना चाहिए?
नवग्रह भुजंग स्तोत्रम् का पाठ प्रातःकाल या सूर्यास्त के समय करना सबसे शुभ माना जाता है। पाठ से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और शांत मन से भगवान की आराधना करें। पाठ के दौरान दीपक जलाना और आसन पर बैठकर मंत्रों का उच्चारण करना शुभ होता है।
नवग्रह भुजंग स्तोत्रम् का पाठ करने के लाभ क्या हैं?
नवग्रह भुजंग स्तोत्रम् का नियमित पाठ करने से नवग्रहों की अशुभता समाप्त होती है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा आती है। यह स्तोत्र व्यक्ति को स्वास्थ्य, धन, समृद्धि और मानसिक शांति प्रदान करता है। इसके अलावा, ग्रह दोषों के कारण होने वाले कष्टों से मुक्ति पाने में यह अत्यंत प्रभावी है।
क्या नवग्रह भुजंग स्तोत्रम् सभी को पढ़ना चाहिए?
हां, नवग्रह भुजंग स्तोत्रम् को कोई भी पढ़ सकता है। विशेष रूप से उन लोगों को इसका पाठ करना चाहिए जिनकी कुंडली में नवग्रह दोष होते हैं या जिन्हें ग्रहों के अशुभ प्रभाव का सामना करना पड़ रहा है। फिर भी, यदि आप इसे सही विधि से पढ़ना चाहते हैं, तो किसी ज्योतिषी से सलाह लेना उचित है।
नवग्रह भुजंग स्तोत्रम् कहाँ से प्राप्त कर सकते हैं?
नवग्रह भुजंग स्तोत्रम् किसी भी धार्मिक ग्रंथ की पुस्तक में या ऑनलाइन विभिन्न आध्यात्मिक वेबसाइट्स पर उपलब्ध है। इसे मंदिरों या पूजा स्थलों पर भी प्राप्त किया जा सकता है। इसके अलावा, कई ऑडियो और वीडियो स्वरूप में भी यह स्तोत्र आसानी से उपलब्ध है।
नवग्रह भुजंग स्तोत्रम् केवल ग्रहों की शांति के लिए नहीं, बल्कि आत्मिक शांति और जीवन में सफलता के लिए भी अत्यंत प्रभावशाली है। इसका नियमित पाठ व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति, और समृद्धि का संचार करता है।