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मंगलवार, अक्टूबर 14, 2025

Narasimha Pancharatna Stotram

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Narasimha Pancharatna Stotram In Hindi

नरसिम्हा पंचरत्न स्तोत्रम्(Narasimha Pancharatna Stotram) केवल एक प्रार्थना नहीं, बल्कि भक्त और भगवान के बीच का आध्यात्मिक संबंध है। यह स्तोत्र भक्तों को यह सिखाता है कि किसी भी संकट में भगवान पर अटूट विश्वास और भक्ति से विजय प्राप्त की जा सकती है।

भवनाशनैकसमुद्यमं करुणाकरं सुगुणालयं
निजभक्ततारणरक्षणाय हिरण्यकश्यपुघातिनम्।
भवमोहदारणकामनाशनदुःखवारणहेतुकं
भजपावनं सुखसागरं नरसिंहमद्वयरूपिणम्।
गुरुसार्वभौममर्घातकं मुनिसंस्तुतं सुरसेवितम्
अतिशान्तिवारिधिमप्रमेयमनामयं श्रितरक्षणम्।
भवमोक्षदं बहुशोभनं मुखपङ्कजं निजशान्तिदं
भजपावनं सुखसागरं नरसिंहमद्वयरूपिणम्।
निजरूपकं विततं शिवं सुविदर्शनायहितत्क्षणम्
अतिभक्तवत्सलरूपिणं किल दारुतः सुसमागतम्।
अविनाशिनं निजतेजसं शुभकारकं बलरूपिणं
भजपावनं सुखसागरं नरसिंहमद्वयरूपिणम्।
अविकारिणं मधुभाषिणं भवतापहारणकोविदं
सुजनैः सुकामितदायिनं निजभक्तहृत्सुविराजितम्।
अतिवीरधीरपराक्रमोत्कटरूपिणं परमेश्वरं
भजपावनं सुखसागरं नरसिंहमद्वयरूपिणम्।
जगतोऽस्य कारणमेव सच्चिदनन्तसौख्यमखण्डितं
सुविधायिमङ्गलविग्रहं तमसः परं सुमहोज्वलम्।
निजरूपमित्यतिसुन्दरं खलुसंविभाव्य हृदिस्थितं
भजपावनं सुखसागरं नरसिंहमद्वयरूपिणम्।
पञ्चरत्नात्मकं स्तोत्रं श्रीनृसिंहस्य पावनम्।
ये पठन्ति मुदा‌ भक्त्या जीवन्मुक्ता भवन्तिते।

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