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रविवार, दिसम्बर 21, 2025

नाथ अब कैसे हो कल्याण – Naath Ab Kaise Ho Kalyaan

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नाथ अब कैसे हो कल्याण – प्रार्थना

Naath Ab Kaise Ho Kalyaan Lyrics

नाथ ! अब कैसे हो कल्याण ?

प्रभु-पद-पंकज-विमुख निरंतर रहते पामर प्राण ।

परसुखकातर महामलिन मन चाहत पद निर्वाण ॥

सत्य, अहिंसा, प्रेम, दया सब कर गये दूर प्रयाण ।

लगा हृदयमें द्वेष-घृणा-हिंसाका बेधक बाण ।।

भेदबुद्धिसे भरा हृदय सब भाँति हुआ पाषाण ।

आत्मभावना भूल वैरपर सदा चढ़ाता शाण ।।

लगा कामना-भूत भयानक, मिटा धर्म-परिमाण ।

उभयभ्रष्ट हुआ बनकर अब पशु बिनु पूँछ विषाण ।।

श्रुति–स्मृतिकी करता अबहेला, पढ़ता नहीं पुराण ।

प्रभो ! पतित इस अधम दीनका तुम्हीं करो अब त्राण ।।

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