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बुधवार, जून 18, 2025

लक्ष्मी जी की आरती

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लक्ष्मी जी की आरती

ओम जय लक्ष्मी माता आरती हिंदू धर्म में माँ लक्ष्मी की पूजा और आराधना के समय गाई जाती है। लक्ष्मी माता धन, समृद्धि और ऐश्वर्य की देवी मानी जाती हैं। उन्हें विष्णु जी की पत्नी के रूप में भी पूजा जाता है। हर धार्मिक अवसर, विशेष रूप से दीपावली पर लक्ष्मी माता की आरती का विशेष महत्व होता है। यह आरती माँ लक्ष्मी को प्रसन्न करने के उद्देश्य से की जाती है ताकि वह अपने भक्तों पर कृपा दृष्टि बनाए रखें और उनके जीवन में सुख-समृद्धि, धन और वैभव का संचार हो।

लक्ष्मी जी की पूजा का उल्लेख प्राचीन वैदिक ग्रंथों जैसे ऋग्वेद, श्रीसूक्त और पुराणों में मिलता है। लक्ष्मी जी को भगवान विष्णु की शक्ति और पत्नी के रूप में पूजा जाता है। समुद्र मंथन की कथा में माता लक्ष्मी का प्राकट्य हुआ था, जिसके बाद से उनकी पूजा धन और समृद्धि के प्रतीक के रूप में की जाने लगी।

लक्ष्मी जी की आरती का प्रचलित स्वरूप मध्यकाल में भक्ति आंदोलन के दौरान और अधिक लोकप्रिय हुआ। भक्ति कवियों और संतों ने अपनी रचनाओं में माता लक्ष्मी की महिमा का वर्णन किया, जिससे आरती का यह स्वरूप भक्तों के बीच प्रचलित हुआ। आज यह आरती भारत के हर कोने में गाई जाती है और इसे विभिन्न भाषाओं में अनुवादित भी किया गया है।

Lakshmi Ji Ki Aarti

ॐ जय लक्ष्मी माता, जय लक्ष्मी माता।
तुमको निश दिन सेवत, हर विष्णु विधाता ॥ ओम जय लक्ष्मी माता…”

ब्रह्माणी कमला तू ही है जग माता।
सूर्य चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॥

जय दुर्गा रूप निरंजन, सुख सम्पत्ति दाता ।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि सिद्धि धन पाता ॥ ओम जय लक्ष्मी माता…”

तू ही है पाताल बसन्ती, तू ही है शुभ दाता ।
कर्म प्रभाव प्रकाशक, जग निधि में त्राता ॥ ओम जय लक्ष्मी माता…”

जिस घर थारा वासा, जेहि में गुण आता।
कर न सके सोई करले, मन नहीं धड़काता ॥ जय”

तुम बिन यज्ञ न होवे, वस्त्र न होय राता ।
खान पान को वैभव, तुम बिन गुण दाता ॥ ओम जय लक्ष्मी माता…”

शुभ गुण सुन्दर मुक्ति, क्षीर निधि जाता।
रत्न चतुर्दश ताको, कोई नहीं पाता ॥ ओम जय लक्ष्मी माता…”

यह आरती लक्ष्मी जी की, जो कोई नर गाता।
उर आनन्द अति उमंगे, पाप उतर जाता ॥ ओम जय लक्ष्मी माता…”

Lakshmi Aarti Lyrics 2

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता।
तुमको निशिदिन सेवत, हर विष्णु विधाता॥

ॐ जय लक्ष्मी माता…

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता।
सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता॥

ॐ जय लक्ष्मी माता…

दुर्गा रूप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता।
जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥

ॐ जय लक्ष्मी माता…

तुम पाताल-निवासिनी, तुम ही शुभदाता।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता॥

ॐ जय लक्ष्मी माता…

जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता।
सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता॥

ॐ जय लक्ष्मी माता…

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता।
खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता॥

ॐ जय लक्ष्मी माता…

शुभ-गुण मंदिर सुन्दर, क्षीरोदधि जाता।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता॥

ॐ जय लक्ष्मी माता…

महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई नर गाता।
उर आनंद समाता, पाप उतर जाता॥

ॐ जय लक्ष्मी माता…


लक्ष्मी जी की आरती का महत्व

लक्ष्मी जी को वैदिक साहित्य में धन, समृद्धि, ऐश्वर्य और सुख की देवी माना गया है। उनकी कृपा से न केवल भौतिक सुख-समृद्धि प्राप्त होती है, बल्कि आध्यात्मिक उन्नति भी होती है। लक्ष्मी जी की आरती गाने से भक्तों का मन शुद्ध होता है और उनके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

आरती का अर्थ है “आलोक” या “प्रकाश”। यह पूजा का वह हिस्सा है, जिसमें दीपक जलाकर देवी-देवताओं की महिमा का गुणगान किया जाता है। लक्ष्मी जी की आरती गाने से घर में सुख-शांति और समृद्धि का वास होता है। यह परिवार के सभी सदस्यों को एकजुट करता है और भक्ति भाव को बढ़ाता है।

लक्ष्मी जी की आरती करने की विधि

लक्ष्मी जी की आरती करने के लिए कुछ सामान्य नियम और विधियाँ हैं, जिनका पालन करने से पूजा का पूर्ण फल प्राप्त होता है:

  1. शुद्धता और तैयारी:
    • पूजा से पहले स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
    • पूजा स्थल को साफ करें और माता लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
    • पूजा के लिए आवश्यक सामग्री जैसे दीपक, धूप, फूल, चंदन, कुमकुम, अक्षत, मिठाई और फल तैयार करें।
  2. पूजा प्रारंभ:
    • माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा करें, क्योंकि किसी भी शुभ कार्य से पहले गणेश जी की पूजा की जाती है।
    • माता लक्ष्मी को पुष्प, कुमकुम, चंदन और मिठाई अर्पित करें।
    • दीपक जलाएँ और धूपबत्ती प्रज्वलित करें।
  3. आरती:
    • घी या तेल का दीपक जलाएँ।
    • घंटी बजाते हुए “ॐ जय लक्ष्मी माता” आरती गाएँ।
    • दीपक को माता की मूर्ति या चित्र के सामने गोलाकार गति में घुमाएँ।
    • सभी भक्त एक साथ आरती में शामिल हों और भक्ति भाव से माता का ध्यान करें।
  4. प्रसाद वितरण:
    • पूजा के अंत में माता को भोग लगाएँ और प्रसाद सभी में वितरित करें।
    • माता लक्ष्मी से सुख-समृद्धि और परिवार की खुशहाली की प्रार्थना करें।

लक्ष्मी माता की पूजा का समय

लक्ष्मी पूजा विशेष रूप से शुक्रवार को शुभ मानी जाती है। इसके अलावा, दीपावली की रात को लक्ष्मी पूजन का अत्यधिक महत्व है। इस दिन घरों की साफ-सफाई करके दीप जलाए जाते हैं और माता लक्ष्मी का स्वागत किया जाता है ताकि घर में धन-धान्य की वृद्धि हो।

लक्ष्मी जी की आरती के लाभ

  1. आर्थिक समृद्धि: माता लक्ष्मी की कृपा से धन-संपत्ति में वृद्धि होती है और आर्थिक समस्याएँ दूर होती हैं।
  2. सुख-शांति: घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है, जिससे पारिवारिक कलह समाप्त होती है।
  3. आध्यात्मिक उन्नति: नियमित आरती करने से मन शांत होता है और आध्यात्मिक विकास होता है।
  4. सौभाग्य प्राप्ति: माता लक्ष्मी की कृपा से जीवन में सौभाग्य और खुशहाली आती है।

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