28.6 C
Gujarat
रविवार, अप्रैल 20, 2025

महालक्ष्मी अष्टक

Post Date:

महालक्ष्मी अष्टक

महालक्ष्म्यष्टक स्तोत्र एक प्रसिद्ध और प्रभावशाली स्तोत्र है, जो देवी महालक्ष्मी की आराधना के लिए समर्पित है। इसे धार्मिक ग्रंथों में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है। यह स्तोत्र देवी महालक्ष्मी के आठ रूपों की स्तुति करता है, जो धन, समृद्धि, ऐश्वर्य, और आध्यात्मिक प्रगति की देवी मानी जाती हैं।

महालक्ष्मी अष्टक

इन्द्र उवाच –

नमस्तेऽस्तु महामाये श्रीपीठे सुरपूजिते ।
शङ्खचक्र गदाहस्ते महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥ १ ॥

अर्थ: हे महामाया! जो श्रीपीठ पर विराजमान हैं और जिनकी पूजा देवता भी करते हैं, मैं आपको प्रणाम करता हूँ। शंख, चक्र और गदा धारण करने वाली देवी महालक्ष्मी को नमन।

नमस्ते गरुडारूढे कोलासुर भयङ्करि ।
सर्वपापहरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥ २ ॥

अर्थ: गरुड़ पर आरूढ़ होकर कोलासुर का संहार करने वाली, समस्त पापों को हरने वाली देवी महालक्ष्मी को मेरा प्रणाम।

सर्वज्ञे सर्ववरदे सर्व दुष्ट भयङ्करि ।
सर्वदुःख हरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥ ३ ॥

अर्थ: हे सर्वज्ञानी, वरदान प्रदान करने वाली, दुष्टों का भय समाप्त करने वाली, और सभी कष्टों को हरने वाली देवी महालक्ष्मी को नमन।

सिद्धि बुद्धि प्रदे देवि भुक्ति मुक्ति प्रदायिनि ।
मन्त्र मूर्ते सदा देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥ ४ ॥

अर्थ: हे देवी, जो सिद्धि और बुद्धि प्रदान करती हैं, जो भोग और मोक्ष का वरदान देती हैं, मंत्रस्वरूपिणी महालक्ष्मी को प्रणाम।

आद्यन्त रहिते देवि आदिशक्ति महेश्वरि ।
योगज्ञे योग सम्भूते महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥ ५ ॥

अर्थ: आद्य और अंत से परे, आदिशक्ति और महेश्वरी, योग से उत्पन्न योगमाया स्वरूपिणी महालक्ष्मी को नमन।

स्थूल सूक्ष्म महारौद्रे महाशक्ति महोदरे ।
महा पाप हरे देवि महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥ ६ ॥

अर्थ: हे स्थूल और सूक्ष्म रूप में प्रकट होने वाली, महाशक्ति और समस्त पापों को हरने वाली देवी महालक्ष्मी को नमन।

पद्मासन स्थिते देवि परब्रह्म स्वरूपिणि ।
परमेशि जगन्मातः महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥ ७ ॥

अर्थ: कमल के आसन पर विराजमान, परब्रह्म स्वरूपा, जगत की माता और परमेश्वरी देवी महालक्ष्मी को प्रणाम।

श्वेताम्बरधरे देवि नानालङ्कार भूषिते ।
जगस्थिते जगन्मातः महालक्ष्मि नमोऽस्तु ते ॥ ८ ॥

अर्थ: श्वेत वस्त्र धारण करने वाली, विविध आभूषणों से सुसज्जित, जगत की संरक्षक और माता महालक्ष्मी को नमन।

महालक्ष्मष्टकं स्तोत्रं यः पठेद् भक्तिमान् नरः ।
सर्व सिद्धि मवाप्नोति राज्यं प्राप्नोति सर्वदा ॥

एककाले पठेन्नित्यं महापाप विनाशनम् ।
द्विकालं यः पठेन्नित्यं धन धान्य समन्वितः ॥

त्रिकालं यः पठेन्नित्यं महाशत्रु विनाशनम् ।
महालक्ष्मी र्भवेन्-नित्यं प्रसन्ना वरदा शुभा ॥

[इन्त्यकृत श्री महालक्ष्म्यष्टक स्तोत्रं सम्पूर्णम्]

महालक्ष्म्यष्टक स्तोत्र का महत्त्व

यह स्तोत्र विशेष रूप से दीपावली, नवरात्रि, या शुक्रवार को पढ़ा जाता है, क्योंकि ये दिन देवी लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए अत्यंत शुभ माने जाते हैं। इसे श्रद्धापूर्वक पाठ करने से व्यक्ति के जीवन में धन, वैभव, और सुख-शांति आती है। इसके साथ ही, यह स्तोत्र नकारात्मक ऊर्जा और बाधाओं को दूर करने में सहायक माना गया है।

महालक्ष्म्यष्टक स्तोत्र पाठ विधि

  1. स्नान आदि कर शुद्ध होकर पूजन स्थान में बैठें।
  2. देवी लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र के सामने दीपक जलाएं।
  3. गुलाब या कमल का पुष्प अर्पित करें।
  4. महालक्ष्म्यष्टक स्तोत्र का श्रद्धा और एकाग्रता से पाठ करें।
  5. अंत में देवी से सुख-समृद्धि और कृपा की प्रार्थना करें।

महालक्ष्म्यष्टक स्तोत्र के लाभ

  1. आर्थिक परेशानियों का समाधान होता है।
  2. घर में सुख-शांति और समृद्धि बनी रहती है।
  3. नकारात्मक ऊर्जा और दुर्भाग्य दूर होते हैं।
  4. आत्मविश्वास और मानसिक शांति में वृद्धि होती है।

महालक्ष्म्यष्टक स्तोत्र के नियमित पाठ से व्यक्ति का जीवन धन, ऐश्वर्य, और आध्यात्मिक उन्नति से परिपूर्ण हो जाता है। देवी लक्ष्मी की कृपा से सभी प्रकार के संकट दूर हो जाते हैं और जीवन में सकारात्मकता आती है।

महालक्ष्मी अष्टकम पर आधारित अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न और उनके उत्तर FAQs for Mahalakshmi Ashtakam

  1. महालक्ष्मी अष्टकम का पाठ करने का मुख्य उद्देश्य क्या है?

    महालक्ष्मी अष्टकम का पाठ धन, संपत्ति, समृद्धि, और सौभाग्य प्राप्त करने के लिए किया जाता है।

  2. महालक्ष्मी अष्टकम का पाठ किस समय करना सबसे शुभ माना जाता है?

    इसका पाठ सुबह के समय स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनकर, देवी लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र के सामने करना सबसे शुभ होता है।

  3. महालक्ष्मी अष्टकम में किस देवी का गुणगान किया गया है?

    महालक्ष्मी अष्टकम में देवी महालक्ष्मी के विभिन्न रूपों और उनकी कृपा का वर्णन किया गया है।

  4. क्या महालक्ष्मी अष्टकम का पाठ किसी विशेष दिन करना अधिक लाभकारी है?

    हाँ, शुक्रवार के दिन या दीपावली के अवसर पर इसका पाठ विशेष रूप से फलदायी माना जाता है।

  5. महालक्ष्मी अष्टकम के पाठ के लिए कौन-कौन सी चीज़ें आवश्यक हैं?

    पाठ के लिए साफ आसन, दीपक, पुष्प, और देवी लक्ष्मी की मूर्ति या चित्र के साथ श्रद्धा और ध्यान का होना आवश्यक है।

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

सूर्य आरती

Surya Dev Aarti सूर्य आरती हिंदू धर्म में सूर्य देव...

विघ्ननिवारकं सिद्धिविनायक स्तोत्रम्

Vighna Nivarakam Siddhivinayaka Stotramविघ्ननिवारकं सिद्धिविनायक स्तोत्रम् भगवान गणेश को...

गौरिकृतं हेरम्ब स्तोत्रम्

Gauri Kritam Heramba Stotram गौरिकृतं हेरम्ब स्तोत्रम् भगवान गणेश को...

मनु स्मृति

Manu Smritiमनु स्मृति, जिसे मनुस्मृति या मानव धर्मशास्त्र भी...