Lalitha Stuti In Hindi
ललिता स्तुति(Lalitha Stuti) हिंदू धर्म में देवी ललिता त्रिपुरसुंदरी की महिमा का गान करने वाली एक प्रसिद्ध स्तुति है। इसे धार्मिक ग्रंथों और साधकों द्वारा अत्यधिक महत्व दिया जाता है। देवी ललिता त्रिपुरसुंदरी को आदिशक्ति, पराशक्ति और जगत जननी के रूप में पूजा जाता है। उनका नाम “ललिता” का अर्थ है “सरलता और सौंदर्य से युक्त”, और वे सृष्टि, पालन और संहार की शक्ति की प्रतीक हैं।
ललिता त्रिपुरसुंदरी का परिचय Lalitha Stuti Information
देवी ललिता त्रिपुरसुंदरी दस महाविद्याओं में से एक हैं और शाक्त परंपरा में उनकी विशेष पूजा होती है। वे शिव की अर्धांगिनी हैं और त्रिपुरा (तीनों लोकों) की रानी मानी जाती हैं। उनका स्वरूप अत्यंत आकर्षक, सौंदर्यमयी और अलौकिक तेज से परिपूर्ण है। वे अनंत शक्ति और कृपा की दात्री मानी जाती हैं।
ललिता स्तुति का महत्व Lalitha Stuti Importance
ललिता स्तुति में देवी के विभिन्न रूपों, गुणों और शक्तियों का वर्णन किया गया है। यह स्तुति साधक को आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करती है और उसे मनोबल, समृद्धि और शांति प्राप्त होती है। इसे नियमित रूप से पढ़ने और गाने से व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति और सकारात्मकता का संचार होता है।
ललिता स्तुति का स्वरूप
ललिता स्तुति के अंतर्गत मुख्य रूप से दो प्रकार के ग्रंथ आते हैं:
- ललिता सहस्रनाम: इसमें देवी के 1000 नामों का वर्णन है। यह सहस्रनाम विष्णु पुराण और ब्रह्मांड पुराण से लिया गया है।
- ललिता त्रिशती: इसमें देवी के 300 नाम शामिल हैं, जिनमें उनके स्वरूप और शक्तियों का वर्णन किया गया है।
ललिता स्तुति का पाठ विधि
ललिता स्तुति का पाठ विशेष रूप से नवरात्रि, पूर्णिमा और शुक्रवार के दिन किया जाता है। पाठ से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए। देवी की प्रतिमा या चित्र के समक्ष दीप जलाकर उनकी पूजा करें और फिर ध्यान लगाकर स्तुति का पाठ करें।
- मनोबल और मानसिक शांति: ललिता स्तुति का पाठ करने से मानसिक तनाव कम होता है और व्यक्ति को आत्मबल प्राप्त होता है।
- आध्यात्मिक विकास: यह स्तुति साधक को देवी की कृपा और आध्यात्मिक उन्नति की ओर अग्रसर करती है।
- सकारात्मक ऊर्जा: स्तुति के नियमित पाठ से घर और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है।
- विघ्नों का नाश: यह स्तुति सभी बाधाओं और विघ्नों को दूर करती है और जीवन में सफलता दिलाती है।
ललिता त्रिपुरसुंदरी की विशेषताएँ
- देवी का स्वरूप चतुर्भुज है, जिसमें वे शंख, चक्र, धनुष और बाण धारण करती हैं।
- उनका वाहन कमल पुष्प पर स्थित है।
- उनका वर्ण लालिमा युक्त और तेजस्वी है, जो अनंत प्रेम और शक्ति का प्रतीक है।
ललिता स्तुति का आध्यात्मिक महत्व Lalitha Stuti Importance
ललिता स्तुति न केवल भक्ति और श्रद्धा का प्रतीक है, बल्कि यह वेदांत और तंत्र साधना का भी एक अभिन्न हिस्सा है। यह स्तुति साधक को देवी के अद्वितीय स्वरूप और उनकी कृपा का अनुभव कराती है।
ललिता स्तुति Lalitha Stuti ललिता स्तुति
विकसितसन्मुखि चन्द्रकलामयि वैदिककल्पलते ।
भगवति मामव मानवशङ्करि देविवरे ललिते ।
कामविधायिनि पिङ्गललोचनि निर्जितमर्त्यगते ।
सुन्दरि मामव मन्मथरूपिणि देविवरे ललिते ।
सकलसुरासुरवेदसुसाधितपुण्यपुराणनुते ।
मामव विधिहरिहरनतकेतकि देविवरे ललिते ।
जयभगदायिनि सौम्यसुरैशिनि भक्तमतौ दयिते ।
सुनयनि मामव चम्पकमालिनि देविवरे ललिते ।
चन्दनमञ्जुले सिद्धमनोरमे वन्दितमञ्जुमते ।
भट्टिनि मामव रत्नकिरीटिनि देविवरे ललते ।
पाशशराङ्कुशसाभयधारिणि भक्तमनःसुरते ।
चित्ररथाखिलभासिनि मामव देविवरे ललिते ।
ललिता स्तुति पर पूछे जाने वाले प्रश्न FAQs for Lalitha Stuti
ललिता स्तुति क्या है?
ललिता स्तुति देवी ललिता त्रिपुरा सुंदरी की स्तुति है। यह स्तोत्र देवी की महिमा, उनके सौंदर्य, शक्ति और अनुग्रह का वर्णन करता है। इसे सनातन धर्म में अत्यधिक पवित्र और प्रभावशाली माना जाता है।
ललिता स्तुति का पाठ क्यों किया जाता है?
ललिता स्तुति का पाठ करने से व्यक्ति को मानसिक शांति, आध्यात्मिक शक्ति और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। इसे पढ़ने से भक्त के जीवन में सुख, समृद्धि और बाधाओं का निवारण होता है।
ललिता स्तुति का पाठ कब और कैसे करना चाहिए?
ललिता स्तुति का पाठ प्रातःकाल या संध्या के समय, स्नान के बाद स्वच्छ मन और शरीर से करना चाहिए। पूजा के स्थान पर दीप जलाकर और देवी का ध्यान करते हुए स्तुति का पाठ करना शुभ होता है।
क्या ललिता स्तुति का पाठ सभी कर सकते हैं?
हाँ, ललिता स्तुति का पाठ सभी व्यक्ति कर सकते हैं, चाहे वे किसी भी आयु, जाति या लिंग के हों। इसे पढ़ने के लिए केवल श्रद्धा और भक्ति की आवश्यकता होती है।
ललिता स्तुति का पाठ करने से कौन-कौन से लाभ मिलते हैं?
ललिता स्तुति का पाठ करने से मन की शांति, आत्मविश्वास, सकारात्मकता और मानसिक शक्ति बढ़ती है। यह व्यक्ति के जीवन में सुख-शांति और समृद्धि लाने में सहायक होती है। साथ ही, यह आध्यात्मिक जागरूकता को भी बढ़ावा देती है।