Lalitha Ashtakam In Hindi
ललिता अष्टकम्(Lalitha Ashtakam) एक प्रसिद्ध संस्कृत स्तोत्र है, जो देवी ललिता त्रिपुरसुंदरी को समर्पित है। यह स्तोत्र आठ श्लोकों का समूह है और इसका पाठ देवी के प्रति भक्तिपूर्ण भाव को प्रकट करता है। ललिता देवी को श्रीविद्या उपासना में सर्वोच्च देवी के रूप में पूजा जाता है। वह ब्रह्मांड की मातृस्वरूपा हैं और सभी शक्तियों की स्रोत मानी जाती हैं। ललिता अष्टकम् आदि शंकराचार्य द्वारा रचित माना जाता है। आदि शंकराचार्य ने अपने समय में वेदांत और भक्ति के संदेश को फैलाने के लिए अनेक स्तोत्रों की रचना की। यह स्तोत्र देवी ललिता की महिमा, उनकी करुणा, शक्ति और सौंदर्य का वर्णन करता है।
ललिता अष्टकम् अर्थ और भावार्थ
ललिता अष्टकम् के श्लोक देवी ललिता त्रिपुरसुंदरी के विभिन्न रूपों और उनकी दिव्य शक्तियों का गुणगान करते हैं। इसमें देवी को सर्वशक्तिमान, करुणामयी, और संसार की उत्पत्ति, स्थिति और विनाश की कारण स्वरूपा बताया गया है। प्रत्येक श्लोक में देवी के अलग-अलग गुणों, जैसे उनकी कृपा, सौंदर्य, और उनकी आध्यात्मिक शक्ति की व्याख्या की गई है।
ललिता अष्टकम् पाठ के लाभ Lalitha Ashtakam Benifits
- आध्यात्मिक शांति: ललिता अष्टकम् का पाठ करने से मन को शांति और संतोष मिलता है।
- सकारात्मक ऊर्जा: यह स्तोत्र व्यक्ति के चारों ओर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है।
- मनोकामना पूर्ण होती है: भक्त यह मानते हैं कि देवी ललिता का ध्यान और स्तुति करने से उनकी सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं।
- ज्ञान और भक्ति: यह स्तोत्र व्यक्ति को भक्ति और ज्ञान के मार्ग पर प्रेरित करता है।
ललिता अष्टकम् லலிதா அஷ்டகம் Lalitha Ashtakam
राधामुकुन्दपद- सम्भवघर्मबिन्दु
निर्मञ्छनोपकरणी- कृतदेहलक्षाम्।
उत्तुङ्गसौहृद- विशेषवशात् प्रगल्भां
देवीं गुणैः सुललितां ललितां नमामि।
राकासुधाकिरण- मण्डलकान्तिदण्डि-
वक्त्रश्रियं चकितचारु- चमूरुनेत्राम्।
राधाप्रसाधनविधान- कलाप्रसिद्धां
देवीं गुणैः सुललितां ललितां नमामि।
लास्योल्लसद्भुजग- शत्रुपतत्रचित्र-
पट्टांशुकाभरण- कञ्चुलिकाञ्चिताङ्गीम्।
गोरोचनारुचि- विगर्हणगौरिमाणं
देवीं गुणैः सुललितां ललितां नमामि।
धूर्ते व्रजेन्द्रतनये तनुसुष्ठुवाम्यं
मा दक्षिणा भव कलङ्किनि लाघवाय।
राधे गिरं शृणु हितामिति शिक्षयन्तीं
देवीं गुणैः सुललितां ललितां नमामि।
राधामभिव्रजपतेः कृतमात्मजेन
कूटं मनागपि विलोक्य विलोहिताक्षीम्।
वाग्भङ्गिभिस्तमचिरेण विलज्जयन्तीं
देवीं गुणैः सुललितां ललितां नमामि।
वात्सल्यवृन्दवसतिं पशुपालराज्ञ्याः
सख्यानुशिक्षणकलासु गुरुं सखीनाम्।
राधाबलावरज- जीवितनिर्विशेषां
देवीं गुणैः सुललितां ललितां नमामि।
यां कामपि व्रजकुले वृषभानुजायाः
प्रेक्ष्य स्वपक्षपदवी- मनुरुद्ध्यमानाम् ।
सद्यस्तदिष्टघटनेन कृतार्थयन्तीं
देवीं गुणैः सुललितां ललितां नमामि।
राधाव्रजेन्द्रसुत- सङ्गमरङ्गचर्यां
वर्यां विनिश्चितवती- मखिलोत्सवेभ्यः।
तां गोकुलप्रियसखी- निकुरम्बमुख्यां
देवीं गुणैः सुललितां ललितां नमामि।
नन्दनमूनि ललितागुणलालितानि
पद्यानि यः पठति निर्मलदृष्टिरष्टौ।
प्रीत्या विकर्षति जनं निजवृन्दमध्ये
तं कीर्तिदापतिकुलोज्ज्वल-कल्पवल्ली।
ललिता अष्टकम् पर पूछे जाने वाले प्रश्न FAQs for Lalitha Ashtakam
ललिता अष्टकम् क्या है?
ललिता अष्टकम् एक प्रसिद्ध स्तोत्र है जो देवी ललिता त्रिपुरसुंदरी की महिमा का वर्णन करता है। इसे आठ श्लोकों में रचा गया है और इसमें देवी की कृपा, सुंदरता, और दैवीय शक्ति का गुणगान किया गया है। यह स्तोत्र भक्ति और साधना के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
ललिता अष्टकम् का पाठ कब और क्यों किया जाता है?
ललिता अष्टकम् का पाठ प्रातःकाल या सायंकाल किया जाता है, विशेषकर नवरात्रि और अन्य शुभ अवसरों पर। इसका पाठ करने से देवी ललिता की कृपा प्राप्त होती है, मन को शांति मिलती है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
ललिता अष्टकम् का मूल रचयिता कौन हैं?
ललिता अष्टकम् के रचयिता आदि शंकराचार्य माने जाते हैं। उन्होंने इस स्तोत्र की रचना देवी ललिता त्रिपुरसुंदरी की महिमा का विस्तार से वर्णन करने और भक्तों के लिए एक मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु की।
ललिता अष्टकम् का पाठ करते समय किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
ललिता अष्टकम् का पाठ करते समय मन को शांत और एकाग्र रखना चाहिए। साफ वस्त्र पहनकर और पूजा स्थल को शुद्ध करके पाठ करना चाहिए। इसे श्रद्धा और भक्ति के साथ पढ़ने से इसका पूर्ण लाभ मिलता है।
ललिता अष्टकम् के पाठ से क्या लाभ होते हैं?
ललिता अष्टकम् का पाठ करने से मानसिक शांति, आध्यात्मिक उन्नति, और देवी की कृपा प्राप्त होती है। यह पाठ जीवन में संतुलन, सुख-समृद्धि और बाधाओं को दूर करने में सहायक होता है। साथ ही, यह आत्मिक शक्ति और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है।