Kurma Puran in Hindi
कूर्म पुराण हिंदू धर्म के अठारह महापुराणों में से एक है। यह पुराण भगवान विष्णु के कूर्म (कछुआ) अवतार पर आधारित है, जिसमें सृष्टि, धर्म, भक्ति, तीर्थ, राजा-महाराजाओं की गाथाएँ और धार्मिक अनुष्ठानों का वर्णन किया गया है। यह पुराण वैष्णव संप्रदाय के अनुयायियों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है।
कुर्म अवतार
कूर्म (संस्कृत: कूर्म, शाब्दिक अर्थ ‘कछुआ’) हिंदू धर्म के प्रमुख देवता विष्णु का दूसरा अवतार है। वैदिक साहित्य जैसे यजुर्वेद में कूर्म का उल्लेख सप्तऋषि कश्यप के पर्याय के रूप में होता है। कूर्म को विशेष रूप से उत्तर-वैदिक साहित्य जैसे पुराणों में प्रमुखता से देखा जाता है।
कूर्म पुराण की संरचना
कूर्म पुराण में दो भाग होते हैं :
- पूर्वभाग (पूर्वखंड)
- उत्तरभाग (उत्तरखंड)
इसमें लगभग 17,000 श्लोक हैं, लेकिन विभिन्न संस्करणों में श्लोकों की संख्या में भिन्नता पाई जाती है।
कूर्म पुराण की विषय-वस्तु
1. सृष्टि एवं ब्रह्मांड का निर्माण
इस पुराण में सृष्टि की उत्पत्ति, ब्रह्मा, विष्णु, महेश तथा अन्य देवी-देवताओं की उत्पत्ति का वर्णन किया गया है। इसमें बताया गया है कि किस प्रकार भगवान विष्णु के कूर्म अवतार ने सृष्टि के संतुलन को बनाए रखा।
2. समुद्र मंथन की कथा
इस पुराण का एक महत्वपूर्ण भाग समुद्र मंथन की कथा है। जब देवताओं और असुरों ने अमृत प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन किया, तब भगवान विष्णु ने कूर्म (कछुए) का रूप धारण कर मंदार पर्वत को अपनी पीठ पर संभाला था।
3. तीर्थों और व्रतों का महत्व
कूर्म पुराण में विभिन्न तीर्थ स्थलों का महत्त्व बताया गया है, जैसे कि प्रयागराज, काशी, गया, बद्रीनाथ, केदारनाथ आदि। साथ ही, इसमें व्रतों का विस्तृत वर्णन मिलता है, जो जीवन में पुण्य अर्जन के लिए आवश्यक माने जाते हैं।
4. राजाओं और वंशों का वर्णन
इसमें चंद्रवंश और सूर्यवंश के राजाओं, विशेष रूप से राजा हरिश्चंद्र, राजा ययाति, राजा मान्धाता आदि का उल्लेख किया गया है।
5. धार्मिक एवं नैतिक शिक्षाएँ
यह पुराण धर्म, नीति, सदाचार और मोक्ष प्राप्ति के साधनों का विस्तार से वर्णन करता है। इसमें यमराज के लोक, पाप-पुण्य के फल और मृत्यु के बाद आत्मा की गति का विवरण भी दिया गया है।
6. योग और भक्ति मार्ग
कूर्म पुराण में योग के महत्व को बताया गया है। इसमें ध्यान, समाधि, जप, यज्ञ, दान और भक्ति से मोक्ष प्राप्ति की विधियों का विस्तार से उल्लेख किया गया है।
समुद्र मंथन और कुर्म अवतार की भूमिका
समुद्र मंथन की कथा में, जिसे क्षीर सागर मंथन के रूप में भी जाना जाता है, कूर्म की महत्वपूर्ण भूमिका है। देवताओं और असुरों के बीच अमृत प्राप्त करने के लिए हुए इस मंथन में, मंदार पर्वत को मथानी के रूप में प्रयोग किया गया था। जब यह पर्वत समुद्र में डूबने लगा, तब विष्णु ने कूर्म अवतार लेकर अपने विशाल कछुए के रूप में पर्वत को अपने कवच पर धारण किया और मंथन को सफल बनाया।
कूर्म और अकुपारा
कूर्म का पर्याय अकुपारा भी है, जो विश्व-कछुए के रूप में प्रसिद्ध है। इस विश्व-कछुए ने अपने कवच पर पूरी पृथ्वी को धारण किया हुआ है। कूर्म को विष्णु के दशावतार में दूसरा स्थान प्राप्त है, जो उनके दस प्रमुख अवतारों में से एक है।
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