कमला अष्टकम्
कमला अष्टकम् एक अत्यंत प्रसिद्ध स्तोत्र है, जिसकी रचना आदि शंकराचार्य जी द्वारा की गई मानी जाती है। यह स्तोत्र देवी कमला, अर्थात् देवी लक्ष्मी की स्तुति में समर्पित है। “कमला” शब्द स्वयं ही ‘कमल में निवास करने वाली’ का द्योतक है — देवी लक्ष्मी को अक्सर कमल पुष्प पर आसीन दिखाया जाता है।
यह अष्टक (आठ श्लोकों वाला स्तोत्र) केवल देवी लक्ष्मी के बाह्य ऐश्वर्य और भौतिक धन की देवी के रूप में वर्णन नहीं करता, बल्कि उनके आध्यात्मिक स्वरूप, उनकी करुणा, शुभता, लोक-कल्याणकारी रूप और भक्तों पर पड़ने वाली उनकी कृपादृष्टि को अत्यंत गूढ़, काव्यात्मक और तत्वदर्शी दृष्टि से वर्णित करता है।
Kamala Ashtakam
न्यङ्कावरातिभयशङ्काकुले धृतदृगङ्कायतिः प्रणमतां
शङ्काकलङ्कयुतपङ्कायताश्मशितटङ्कायितस्वचरिता।
त्वं कालदेशपदशङ्कातिपातिपतिसङ्काश वैभवयुता
शं काममातरनिशं कामनीयमिह सङ्काशयाशु कृपया।
आचान्तरङ्गदलिमोचान्तरङ्गरुचिवाचां तरङ्गगतिभिः
काचाटनाय कटुवाचाटभावयुतनीचाटनं न कलये।
वाचामगोचरसदाचारसूरिजनताचातुरीविवृतये
प्राचां गतिं कुशलवाचां जगज्जननि याचामि देवि भवतीम्।
चेटीकृतामरवधूटीकराग्रधृतपेटीपुटार्घ्यसुमनो-
वीटीदलक्रमुकपाटीरपङ्कनवशाटीकृताङ्गरचना।
खेटीकमानशतकोटीकराब्जजजटाटीरवन्दितपदा
या टीकतेऽब्जवनमाटीकतां हृदयवाटीमतीव कमला।
स्वान्तान्तरालकृतकान्तागमान्तशतशान्तान्तराघनिकराः
शान्तार्थकान्तवकृतान्ता भजन्ति हृदि दान्ता दुरन्ततपसा।
यां तानतापभवतान्तातिभीतजगतां तापनोदनपटुं
मां तारयत्वशुभकान्तारतोऽद्य हरिकान्ताकटाक्षलहरी।
यां भावुका मनसि सम्भावयन्ति भवसम्भावनापहृतये
त्वं भासि लक्ष्मि सततं भाव्ययद्भवनसम्भावनादिविधये।
जम्भारिसम्पदुपलम्भादिकारणमहं भाव्यमङ्घ्रियुगलं
सम्भावये श्रुतिषु सम्भाषितं वचसि सम्भाष्य तस्य तव च।
दूरावधूतमधुधारागिरोच्चकुचभारानताङ्गलतिका-
साराङ्गलिप्तघनसारार्द्रकुङ्कुमरसा राजहंसगमना।
वैराकरस्मरविकारापसंसरणवाराशिमग्रमनसः
श्रीराविरस्तु धुरि ताराय मे गुरुभिरारधिता भगवती।
श्रीवासधूपकनदावासदीपरुचिरावासभूपरिसरा
श्रीवासदेशलसदावापकाशरदभावाभकेशनिकरा।
श्रीवासुदेवरमणी वामदेवविधिदेवाधिपावनपरा
श्रीवासवस्तुनरदेवाहतस्तुतिसभावा मुदेऽस्तु सुतराम्।
भाषादिदेवकुलयोषामणिस्तवनघोषाञ्चितस्वसविधा
दोषाकुले जगति पोषाकुला सपदि शेषाहि शायिदयिता।
दोषालयस्य मम दोषानपोह्य गतदोषाभिनन्द्यमहिमा
शेषाशनाहिरिपुशेषादिसम्पद विशेषां ददातु विभवान्।
कमला अष्टकम् का उद्देश्य:
- देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करना
- सांसारिक और आध्यात्मिक सुख की प्राप्ति
- भय, शंका, पाप और दुखों का नाश
- भक्त को आत्मज्ञान और मोक्ष की ओर अग्रसर करना
- जीवन में ऐश्वर्य, सुख, समृद्धि और शांति लाना
कमला अष्टकम् का पाठ कैसे करें?
- ब्रह्ममुहूर्त (प्रातःकाल) या संध्या के समय इसका पाठ श्रेष्ठ माना गया है।
- स्वच्छ स्थान, शांत चित्त और श्रद्धा भाव से पढ़ें।
- देवी लक्ष्मी के चित्र/मूर्ति के सामने दीपक और पुष्प अर्पित करें।
- यदि संभव हो, तो शुक्ल पक्ष के शुक्रवार को विशेष रूप से इसका पाठ करें।
- पाठ के अंत में देवी लक्ष्मी से व्यक्तिगत प्रार्थना करें।
कमला अष्टकम् से लाभ:
- धन-संपत्ति में वृद्धि
- पारिवारिक सुख और शांति
- गृहक्लेश और मानसिक तनाव से मुक्ति
- जीवन में सद्गति और आध्यात्मिक उन्नति
- समस्त प्रकार के पापों का नाश और पुण्य की प्राप्ति