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मंगलवार, फ़रवरी 4, 2025

कामाक्षी अष्टकम्

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Kamakshi Ashtakam In Hindi

कामाक्षी अष्टकम्(Kamakshi Ashtakam) एक प्रसिद्ध स्तोत्र है जो माँ कामाक्षी देवी को समर्पित है। यह स्तोत्र देवी कामाक्षी की स्तुति और उनकी कृपा की प्रार्थना के लिए रचा गया है। माँ कामाक्षी को शक्ति और करुणा की देवी माना जाता है और उनका प्रमुख मंदिर तमिलनाडु के कांचीपुरम में स्थित है। “कामाक्षी” का अर्थ है “वह जिनकी आंखों में प्रेम और करुणा का वास है।”

यह अष्टकम आदि शंकराचार्य द्वारा रचित माना जाता है। उनके द्वारा रचित इस स्तोत्र में देवी की महिमा, सौंदर्य, शक्ति, और उनकी कृपा के विभिन्न रूपों का वर्णन किया गया है।

कामाक्षी अष्टकम्

“अष्टकम्” का अर्थ है आठ श्लोकों का समूह। कामाक्षी अष्टकम् में आठ श्लोक हैं, जिनमें देवी कामाक्षी के विभिन्न गुणों, स्वरूपों और उनके अनुग्रह की प्रार्थना की गई है।

श्रीकाञ्चीपुरवासिनीं भगवतीं श्रीचक्रमध्ये स्थितां
कल्याणीं कमनीयचारुमकुटां कौसुम्भवस्त्रान्विताम्।
श्रीवाणीशचिपूजिताङ्घ्रियुगलां चारुस्मितां सुप्रभां
कामाक्क्षीं करुणामयीं भगवतीं वन्दे परां देवताम्।
मालामौक्तिककन्धरां शशिमुखीं शम्भुप्रियां सुन्दरीं
शर्वाणीं शरचापमण्डितकरां शीतांशुबिम्बाननाम्।
वीणागानविनोदकेलिरसिकां विद्युत्प्रभाभासुरां
कामाक्षीं करुणामयीं भगवतीं वन्दे परां देवताम्।
श्यामां चारुनितम्बिनीं गुरुभुजां चन्द्रावतंसां शिवां
शर्वालिङ्गितनीलचारुवपुषीं शान्तां प्रवालाधराम्।
बालां बालतमालकान्तिरुचिरां बालार्कबिम्बोज्ज्वलां
कामाक्षीं करुणामयीं भगवतीं वन्दे परां देवताम्।
लीलाकल्पितजीवकोटिनिवहां चिद्रूपिणीं शङ्करीं
ब्रह्माणीं भवरोगतापशमनीं भव्यात्मिकां शाश्वतीम्।
देवीं माधवसोदरीं शुभकरीं पञ्चाक्षरीं पावनीं
कामाक्षीं करुणामयीं भगवतीं वन्दे परां देवताम्।
वामां वारिजलोचनां हरिहरब्रह्मेन्द्रसम्पूजितां
कारुण्यामृतवर्षिणीं गुणमयीं कात्यायनीं चिन्मयीम्।
देवीं शुम्भनिषूदिनीं भगवतीं कामेश्वरीं देवतां
कामाक्षीं करुणामयीं भगवतीं वन्दे परां देवताम्।
कान्तां काञ्चनरत्नभूषितगलां सौभाग्यमुक्तिप्रदां
कौमारीं त्रिपुरान्तकप्रणयिनीं कादम्बिनीं चण्डिकाम्।
देवीं शङ्करहृत्सरोजनिलयां सर्वाघहन्त्रीं शुभां
कामाक्षीं करुणामयीं भगवतीं वन्दे परां देवताम्।
शान्तां चञ्चलचारुनेत्रयुगलां शैलेन्द्रकन्यां शिवां
वाराहीं दनुजान्तकीं त्रिनयनीं सर्वात्मिकां माधवीम्।
सौम्यां सिन्धुसुतां सरोजवदनां वाग्देवतामम्बिकां
कामाक्षीं करुणामयीं भगवतीं वन्दे परां देवताम्।
चन्द्रार्कानललोचनां गुरुकुचां सौन्दर्यचन्द्रोदयां
विद्यां विन्ध्यनिवासिनीं पुरहरप्राणप्रियां सुन्दरीम्।
मुग्धस्मेरसमीक्षणेन सततं सम्मोहयन्तीं शिवां
कामाक्षीं करुणामयीं भगवतीं वन्दे परां देवताम्।

कामाक्षी अष्टकम् का महत्व और फल

कामाक्षी अष्टकम् का पाठ करने से भक्तों को मानसिक शांति, भौतिक सुख और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। यह स्तोत्र व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाता है और उसके दुखों को दूर करता है।

साधना में उपयोग

  1. कामाक्षी अष्टकम् को नित्य प्रातःकाल या संध्याकाल में पाठ करना चाहिए।
  2. पाठ से पूर्व माँ कामाक्षी की मूर्ति या तस्वीर के सामने दीपक और पुष्प अर्पित करना शुभ माना जाता है।
  3. इसे ध्यानपूर्वक और श्रद्धा के साथ गाया या पढ़ा जाए तो अधिक लाभ मिलता है।

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