Shri Kali Chalisa
श्री काली चालीसा एक भक्ति भजन है जो हिंदू धर्म में माँ काली की स्तुति और महिमा का वर्णन करता है। यह चालीसा माँ काली के भक्तों द्वारा उनकी कृपा, शक्ति और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए पढ़ी और गाई जाती है। माँ काली को हिंदू धर्म में शक्ति, विनाश और परिवर्तन की देवी माना जाता है। वे दुष्टों का संहार करने वाली और भक्तों की रक्षा करने वाली मानी जाती हैं। श्री काली चालीसा में 40 छंद (चौपाइयाँ) होती हैं, जो माँ काली के विभिन्न रूपों, गुणों और चमत्कारों का वर्णन करते हैं।
श्री काली चालीसा की रचना भक्तों द्वारा माँ काली की भक्ति और उनके प्रति श्रद्धा को व्यक्त करने के लिए की गई है। यह चालीसा विशेष रूप से नवरात्रि, काली पूजा, या अन्य शुभ अवसरों पर पढ़ी जाती है। इसका पाठ करने से भक्तों को मानसिक शांति, भय का नाश, और माँ की कृपा प्राप्त होती है। यह चालीसा सरल हिंदी भाषा में लिखी गई है, ताकि सभी भक्त इसे आसानी से पढ़ और समझ सकें।
श्री काली चालीसा
|| दोहा ||
जय काली जगदम्ब जय, हरनि ओघ अघ पुंज।
वास करहु निज दास के, निशदिन हृदय-निकुंज ॥
जयति कपाली कालिका, कंकाली सुख दानि ।
कृपा करहु वरदायिनी, निज सेवक अनुमानि ॥
॥ चौपाई ॥
जय, जय, जय काली कंकाली, जय कपालिनी, जयति कराली।
शंकर प्रिया, अपर्णा, अम्बा, जय कपर्दिनी, जय जगदम्बा।
आर्या, हला, अम्बिका, माया, कात्यायनी उमा जगजाया।
गिरिजा गौरी दुर्गा चण्डी, दाक्षाणायिनी शाम्भवी प्रचंडी।
पार्वती मंगला भवानी, विश्वकारिणी सती मृडानी।
सर्वमंगला शैल नन्दिनी, हेमवती तुम जगत वन्दिनी ।
ब्रह्मचारिणी कालरात्रि जय, महारात्रि जय मोहरात्रि जय।
तुम त्रिमूर्ति रोहिणी कालिका, कूष्माण्डा कार्तिकी चण्डिका।
तारा भुवनेश्वरी अनन्या, तुम्हीं छिन्नमस्ता शुचिधन्या ।
धूमावती षोडशी माता, बगला मातंगी विख्याता।
तुम भैरवी मातु तुम कमला, रक्तदन्तिका कीरति अमला।
शाकम्भरी कौशिकी भीमा, महातमा अग जग की सीमा।
चन्द्रघण्टिका तुम सावित्री, ब्रह्मवादिनी मां गायत्री।
रूद्राणी तुम कृष्ण पिंगला, अग्निज्वाल तुम सर्वमंगला।
मेघस्वना तपस्विनि योगिनी, सहस्त्राक्षि तुम अगजग भोगिनी।
जलोदरी सरस्वती डाकिनी, त्रिदशेश्वरी अजेय लाकिनी।
पुष्टि तुष्टि धृति स्मृति शिव दूती, कामाक्षी लज्जा आहूती।
महोदरी कामाक्षि हारिणी, विनायकी श्रुति महा शाकिनी।
अजा कर्ममोही ब्रह्माणी, धात्री वाराही शर्वाणी।
स्कन्द मातु तुम सिंह वाहिनी, मातु सुभद्रा रहहु दाहिनी।
नाम रूप गुण अमित तुम्हारे, शेष शारदा बरणत हारे।
तनु छवि श्यामवर्ण तव माता, नाम कालिका जग विख्याता।
अष्टादश तब भुजा मनोहर, तिनमहँ अस्त्र विराजत सुन्दर।
शंख चक्र अरू गदा सुहावन, परिघ भुशण्डी घण्टा पावन।
शूल बज्र धनुबाण उठाये, निशिचर कुल सब मारि गिराये।
शुंभ निशुंभ दैत्य संहारे, रक्तबीज के प्राण निकारे।
चौंसठ योगिनी नाचत संगा, मद्यपान कीन्हैउ रण गंगा।
कटि किंकिणी मधुर नूपुर धुनि, दैत्यवंश कांपत जेहि सुनि-सुनि।
कर खप्पर त्रिशूल भयकारी, अहै सदा सन्तन सुखकारी।
शव आरूढ़ नृत्य तुम साजा, बजत मृदंग भेरी के बाजा।
रक्त पान अरिदल को कीन्हा, प्राण तजेउ जो तुम्हिं न चीन्हा।
लपलपाति जिव्हा तव माता, भक्तन सुख दुष्टन दुःख दाता।
लसत भाल सेंदुर को टीको, बिखरे केश रूप अति नीको।
मुंडमाल गल अतिशय सोहत, भुजामाल किंकण मनमोहत।
प्रलय नृत्य तुम करहु भवानी, जगदम्बा कहि वेद बखानी।
तुम मशान वासिनी कराला, भजत तुरत काटहु भवजाला।
बावन शक्ति पीठ तव सुन्दर, जहाँ बिराजत विविध रूप धर।
विन्धवासिनी कहूँ बड़ाई, कहँ कालिका रूप सुहाई।
शाकम्भरी बनी कहँ ज्वाला, महिषासुर मर्दिनी कराला।
कामाख्या तव नाम मनोहर, पुजवहिं मनोकामना द्रुततर।
चंड मुंड वध छिन महं करेउ, देवन के उर आनन्द भरेउ।
सर्व व्यापिनी तुम माँ तारा, अरिदल दलन लेहु अवतारा।
खलबल मचत सुनत हुँकारी, अगजग व्यापक देह तुम्हारी।
तुम विराट रूपा गुणखानी, विश्व स्वरूपा तुम महारानी।
उत्पत्ति स्थिति लय तुम्हरे कारण, करहु दास के दोष निवारण।
माँ उर वास करहू तुम अंबा, सदा दीन जन की अवलंबा।
तुम्हारो ध्यान धेरै जो कोई, ता कहँ भीति कतहुँ नहिं होई।
विश्वरूप तुम आदि भवानी, महिमा वेद पुराण बखानी।
अति अपार तव नाम प्रभावा, जपत न रहन रंच दुःख दावा।
महाकालिका जय कल्याणी, जयति सदा सेवक सुखदानी।
तुम अनन्त औदार्य विभूषण, कीजिये कृपा क्षमिये सब दूषण।
दास जानि निज दया दिखावहु, सुत अनुमानित सहित अपनावहु।
जननी तुम सेवक प्रति पाली, करहु कृपा सब विधि माँ काली।
पाठ करै चालीसा जोई, तापर कृपा तुम्हारी होइ ।
|| दोहा ||
जय तारा, जय दक्षिणा, कलावती सुखमूल।
शरणागत ‘भक्त’ है, रहहु सदा अनुकूल ॥
श्री काली चालीसा का अर्थ और महत्व
- माँ काली का स्वरूप:
चालीसा में माँ काली के भयंकर और करुणामयी दोनों रूपों का वर्णन है। उनका भयंकर रूप दुष्टों का नाश करता है, जबकि करुणामयी रूप भक्तों की रक्षा और उनके दुखों को हरता है। माँ काली का काला रंग अंधकार (अज्ञान) को नष्ट करने और ज्ञान का प्रकाश फैलाने का प्रतीक है। - माँ की शक्ति:
माँ काली को आदि शक्ति, चामुण्डा, चण्डिका, और भवानी जैसे नामों से संबोधित किया गया है। वे रक्तबीज जैसे राक्षसों का संहार करने वाली और सृष्टि की रचयिता मानी जाती हैं। चालीसा में उनकी शक्ति को बार-बार उजागर किया गया है। - भक्ति और लाभ:
चालीसा का नियमित पाठ करने से भक्तों को भय, दुख, और दरिद्रता से मुक्ति मिलती है। यह चालीसा मन को शुद्ध करती है और भक्तों को माँ की कृपा से सुख, समृद्धि, और सफलता प्राप्त होती है। - आध्यात्मिक महत्व:
माँ काली की भक्ति से भक्तों का आत्मविश्वास बढ़ता है और वे जीवन की कठिनाइयों का सामना करने में सक्षम होते हैं। चालीसा में माँ को आदि माया और शिव की शक्ति के रूप में वर्णित किया गया है, जो आध्यात्मिक जागृति का प्रतीक है।
काली चालीसा का पाठ विधि
- शुद्धता:
चालीसा पढ़ने से पहले स्नान कर शरीर और मन को शुद्ध करें। स्वच्छ स्थान पर माँ काली की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। - पूजा सामग्री:
माँ काली को लाल फूल, सिन्दूर, लाल चुनरी, और प्रसाद (जैसे फल, मिठाई, या गुड़) अर्पित करें। दीपक और धूप जलाएँ। - संकल्प:
मन में माँ काली का ध्यान करें और अपनी मनोकामना या उद्देश्य का संकल्प लें। - पाठ:
पूर्ण श्रद्धा और भक्ति के साथ चालीसा का पाठ करें। प्रत्येक चौपाई को स्पष्ट और भावपूर्ण ढंग से पढ़ें। - आरती और प्रसाद:
पाठ के बाद माँ काली की आरती करें और प्रसाद सभी में वितरित करें।
काली चालीसा का पाठ करने के लाभ
- धार्मिक आस्था में वृद्धि: देवी काली की कृपा से भक्तों की धार्मिक आस्था और विश्वास मजबूत होता है।
- सकारात्मक ऊर्जा का संचार: पाठ से सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और व्यक्ति के चारों ओर नकारात्मकता दूर होती है।
- साहस और आत्मबल: देवी काली की स्तुति से व्यक्ति के भीतर साहस और आत्मबल का विकास होता है, जो कठिन परिस्थितियों से लड़ने में मदद करता है।
- विघ्न-बाधाओं से मुक्ति: यह पाठ जीवन के सभी प्रकार के विघ्न-बाधाओं को दूर करने वाला है।
- अज्ञात भय से मुक्ति: काली चालीसा का पाठ व्यक्ति को सभी प्रकार के अज्ञात भय से मुक्ति दिलाता है।
श्री काली चालीसा की सावधानियाँ
- चालीसा का पाठ श्रद्धा और विश्वास के साथ करें। मन में कोई नकारात्मक विचार न लाएँ।
- माँ काली की पूजा में सात्विकता और शुद्धता का विशेष ध्यान रखें।
- यदि पूजा के नियमों का पालन न कर सकें, तो केवल मन में माँ का ध्यान कर चालीसा पढ़ना भी प्रभावकारी होता है।
श्री काली चालीसा पर पूछे जाने वाले प्रश्न
श्री काली चालीसा क्या है?
श्री काली चालीसा देवी काली की स्तुति में लिखा गया एक धार्मिक स्तोत्र है, जिसमें 40 छंद होते हैं। इसे पढ़ने से भक्त देवी काली की कृपा प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन में शांति, शक्ति और सुरक्षा का अनुभव कर सकते हैं।
श्री काली चालीसा का पाठ कब और कैसे करना चाहिए?
श्री काली चालीसा का पाठ किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन इसे विशेष रूप से मंगलवार और शनिवार के दिन करना शुभ माना जाता है। इसे एकांत और शांत जगह पर, साफ मन और शुद्ध शरीर के साथ पाठ करना चाहिए। प्रातःकाल या संध्याकाल इसका आदर्श समय माना जाता है।
श्री काली चालीसा पढ़ने के क्या लाभ हैं?
श्री काली चालीसा का नियमित पाठ करने से मानसिक शांति, साहस, और नकारात्मक शक्तियों से सुरक्षा प्राप्त होती है। यह भक्तों को जीवन की कठिनाइयों से उबरने में मदद करता है और दुश्मनों से रक्षा करता है। इसके अतिरिक्त, यह पाठ भक्तों को आत्मविश्वास और आंतरिक शक्ति प्रदान करता है।
क्या श्री काली चालीसा को किसी विशेष उद्देश्य के लिए पढ़ा जाता है?
हां, श्री काली चालीसा को नकारात्मक ऊर्जा, भय, और जीवन की बाधाओं से मुक्ति पाने के लिए पढ़ा जाता है। इसे विशेष रूप से कठिन समय में मानसिक और आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त करने के लिए किया जाता है। कई लोग इसे बुरी शक्तियों से बचाव और शत्रुओं से रक्षा के लिए भी पढ़ते हैं।
क्या श्री काली चालीसा का पाठ केवल काली भक्त ही कर सकते हैं?
नहीं, श्री काली चालीसा का पाठ कोई भी व्यक्ति कर सकता है, जो देवी काली की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त करना चाहता है। हालांकि, यदि पाठ सच्ची श्रद्धा और समर्पण के साथ किया जाए, तो इसका प्रभाव और भी अधिक होता है। देवी काली अपने सभी भक्तों को प्रेम और सुरक्षा प्रदान करती हैं, चाहे वह किसी भी पंथ या धर्म के हों।