26.5 C
Gujarat
मंगलवार, नवम्बर 4, 2025

Jwalamukhi Ashtaka Stotram

Post Date:

Jwalamukhi Ashtaka Stotram

ज्वालामुखी अष्टक स्तोत्र एक अत्यंत शक्तिशाली स्तोत्र है जो माँ ज्वालामुखी देवी को समर्पित है। यह स्तोत्र अष्टक है, अर्थात इसमें आठ श्लोक होते हैं। यह स्तोत्र माँ ज्वालामुखी की अग्निरूपिणी, उग्र एवं सर्वदोषनाशिनी शक्ति का स्तवन करता है। भक्त इस स्तोत्र का पाठ माँ के तेजस्वी स्वरूप का ध्यान करते हुए करते हैं ताकि उनके जीवन से अज्ञान, भय, संकट और पाप नष्ट हो जाएं।

ज्वालामुखी अष्टक स्तोत्र

जालन्धरावनिवनीनवनीरदाभ-
प्रोत्तालशैलवलयाकलिताधिवासाम्।
आशातिशायिफलकल्पनकल्पवल्लीं
ज्वालामुखीमभिमुखीभवनाय वन्दे।

ज्येष्ठा क्वचित् क्वचिदुदारकला कनिष्ठा
मध्या क्वचित् क्वचिदनुद्भवभावभव्या।
एकाप्यनेकविधया परिभाव्यमाना
ज्वालामुखी सुमुखभावमुरीकरोतु।

अश्रान्तनिर्यदमलोज्वलवारिधारा
सन्धाव्यमानभवनान्तरजागरूका।
मातर्ज्वलज्ज्वलनशान्तशिखानुकारा
रूपच्छटा जयति काचन तावकीना।
मन्ये विहारकुतुकेषु शिवानुरूपं
रूपं न्यरूपि खलु यत्सहसा भवत्या।
ततसूचनार्थमिह शैलवनान्तराले
ज्वालामुखीत्यभिधया स्फुटमुच्यतेऽद्य।

सत्या ज्वलत्तनु-समुद्गत-पावकार्चि
र्ज्वालामुखीत्यभिमृशन्ति पुराणमिश्राः।
आस्तां वयं तु भजतां दुरितानि दग्धुं
ज्वालात्मना परिणता भवतीति विद्मः।

यावत्त्वदीयचरणाम्बुजयोर्न राग
स्तावत् कुतः सुखकराणि हि दर्शनानि।
प्राक्पुण्यपाकबलतः प्रसृते तु तस्मिन्
नास्त्येव वस्तु भुवने सुखकृन्न यत् स्यात्।

आत्मस्वरूपमिह शर्मसरूपमेव
वर्वर्ति किन्तु जगदम्ब न यावदेतत्।
उद्घाट्यते करुणया गुरुतां वहन्त्या
तावत् सुखस्य कणिकापि न जायतेऽत्र।

आस्तां मतिर्मम सदा तव पादमूले
तां चालयेन्न चपलं मन एतदम्ब।
याचे पुनः पुनरिदं प्रणिपत्य मात-
र्ज्वालामुखि प्रणतवाञ्छितसिद्धिदे त्वाम्।

ज्वालामुखी अष्टक स्तोत्र का महत्त्व :

  • इस स्तोत्र के पाठ से मनुष्य के भीतर की नकारात्मकता, भय और अनिष्ट शक्तियाँ समाप्त होती हैं।
  • यह स्तोत्र देवी की तेजस्विता, रौद्रता एवं कृपा का गुणगान करता है।
  • देवी के भक्त इसे विशेषकर नवरात्रों, संकट काल, भूत-प्रेत बाधा या मानसिक अस्थिरता के समय पढ़ते हैं।
  • यह स्तोत्र व्यक्ति को आत्मिक बल, निर्भयता और चैतन्य ऊर्जा प्रदान करता है।

ज्वालामुखी अष्टक स्तोत्र पाठ की विधि :

  1. प्रातः काल या संध्या समय स्नान करके शुद्ध वस्त्र पहनें।
  2. देवी की मूर्ति, चित्र या ज्वालाजी का ध्यान करें।
  3. दीपक में घी/तेल जलाकर, कुमकुम, चावल, पुष्प अर्पित करें।
  4. ध्यानपूर्वक स्तोत्र का पाठ करें।
  5. पाठ के अंत में माँ से क्षमा और आशीर्वाद माँगें।

ज्वालामुखी अष्टक स्तोत्र पाठ के लाभ :

  • भय, अकाल मृत्यु, भूतबाधा, अंधकार, संकट, रोग आदि से रक्षा।
  • मानसिक शांति, तेजस्विता, चित्त की एकाग्रता, इच्छाशक्ति में वृद्धि।
  • कार्यों में सफलता और शत्रुओं पर विजय।
  • आत्मबल में अत्यधिक वृद्धि और ध्यान में गहराई।
पिछला लेख
अगला लेख

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

धन्वन्तरिस्तोत्रम् | Dhanvantari Stotram

धन्वन्तरिस्तोत्रम् | Dhanvantari Stotramॐ नमो भगवते धन्वन्तरये अमृतकलशहस्ताय,सर्वामयविनाशनाय, त्रैलोक्यनाथाय...

दृग तुम चपलता तजि देहु – Drg Tum Chapalata Taji Dehu

दृग तुम चपलता तजि देहु - राग हंसधुन -...

हे हरि ब्रजबासिन मुहिं कीजे – He Hari Brajabaasin Muhin Keeje

 हे हरि ब्रजबासिन मुहिं कीजे - राग सारंग -...

नाथ मुहं कीजै ब्रजकी मोर – Naath Muhan Keejai Brajakee Mor

नाथ मुहं कीजै ब्रजकी मोर - राग पूरिया कल्याण...
error: Content is protected !!