श्री जगन्नाथ जी की आरती Jagannath Aarti
श्री जगन्नाथ जी हिंदू धर्म में प्रमुख रूप से पूजनीय देवता हैं, जिन्हें भगवान विष्णु का एक रूप माना जाता है। “जगन्नाथ” का अर्थ होता है “जगत के स्वामी“। यह नाम भगवान विष्णु के उन रूपों में से एक को दर्शाता है, जो संसार की रक्षा और उसके संचालन का कार्य करते हैं। श्री जगन्नाथ की प्रमुख रूप से पूजा पुरी, ओडिशा के जगन्नाथ मंदिर में होती है, जो चार धामों में से एक है। इस मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में हुआ था और यह हिन्दू धर्म के प्रमुख तीर्थ स्थलों में से एक है।
जगन्नाथ मंदिर Jagannath Temple
पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर अत्यधिक प्रसिद्ध है और यहां हर वर्ष लाखों श्रद्धालु आते हैं। यहां भगवान जगन्नाथ अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ प्रतिष्ठित हैं। मंदिर का निर्माण गंग वंश के राजा अनंतवर्मन चोडगंग देव द्वारा कराया गया था। इस मंदिर की वास्तुकला अद्वितीय है और इसकी ऊंची शिखर संरचना दूर से ही दिखाई देती है।
रथ यात्रा Rath Yatra
भगवान जगन्नाथ की सबसे प्रसिद्ध वार्षिक घटना रथ यात्रा है, जो जून या जुलाई के महीने में आयोजित होती है। इस यात्रा में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा को विशाल रथों पर बिठाकर नगर की सड़कों पर ले जाया जाता है। यह यात्रा पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है और इसे देखने के लिए लाखों श्रद्धालु पुरी आते हैं। रथ यात्रा का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व बहुत गहरा है। इसे भगवान के भक्तों के लिए भगवान के करीब आने का एक अवसर माना जाता है।
भगवान जगन्नाथ की मूर्ति Lord Jagannath Statue
जगन्नाथ की मूर्ति लकड़ी की बनी होती है, जिसे हर 12 या 19 वर्ष के बाद नवीकरण किया जाता है। इसे “नवकलेवर” कहा जाता है। इस प्रक्रिया में पुरानी मूर्तियों को नए रूप में प्रतिस्थापित किया जाता है। यह आयोजन एक बड़ा और महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है, जिसमें बहुत सारे विधि-विधान होते हैं।
धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व
भगवान जगन्नाथ का धार्मिक महत्व केवल उनके विष्णु रूप तक सीमित नहीं है। ओडिशा की संस्कृति और परंपरा में उनका स्थान अत्यधिक महत्वपूर्ण है। जगन्नाथ संस्कृति ओडिशा के लोगों की धार्मिक आस्था, सांस्कृतिक पहचान, और सामाजिक जीवन का अभिन्न हिस्सा है। भगवान जगन्नाथ की पूजा सभी वर्गों और जातियों के लोग समान रूप से करते हैं, जिससे यह समता और भाईचारे का प्रतीक बन गया है।
श्री जगन्नाथ जी की आराधना न केवल ओडिशा में, बल्कि पूरे भारत में होती है, और उनकी महिमा का गुणगान पूरे विश्व में किया जाता है। उनकी पूजा में निष्ठा, प्रेम और समर्पण का भाव होता है, और उनका दर्शन सभी को शांति और समृद्धि प्रदान करता है।
श्री जगन्नाथ जी की आरती Shri Badrinathji Aarti
आरती श्री जगन्नाथ मंगलकारी,
परसत चरणारविन्द आपदा हरी।
निरखत मुखारविंद आपदा हरी,
कंचन धूप ध्यान ज्योति जगमगी।
अग्नि कुण्डल घृत पाव सथरी। आरती..
देवन द्वारे ठाड़े रोहिणी खड़ी,
मारकण्डे श्वेत गंगा आन करी।
गरुड़ खम्भ सिंह पौर यात्री जुड़ी,
यात्री की भीड़ बहुत बेंत की छड़ी। आरती ..
धन्य-धन्य सूरश्याम आज की घड़ी। आरती ..
श्री बद्रीनाथजी की आरती-2 Shri Badrinathji Aarti
पवन मंद सुगंध शीतल हेम मंदिर शोभितम्
निकट गंगा बहत निर्मल श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम्।
शेष सुमिरन करत निशदिन धरत ध्यान महेश्वरम्।
शक्ति गौरी गणेश शारद नारद मुनि उच्चारणम्।
जोग ध्यान अपार लीला श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम्।
इंद्र चंद्र कुबेर धुनि कर धूप दीप प्रकाशितम्।
सिद्ध मुनिजन करत जै जै बद्रीनाथ विश्व्म्भरम्।
यक्ष किन्नर करत कौतुक ज्ञान गंधर्व प्रकाशितम्।
श्री लक्ष्मी कमला चंवरडोल श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम्।
कैलाश में एक देव निरंजन शैल शिखर महेश्वरम्।
राजयुधिष्ठिर करत स्तुति श्री बद्रीनाथ विश्व्म्भरम्।
श्री बद्रजी के पंच रत्न पढ्त पाप विनाशनम्।
कोटि तीर्थ भवेत पुण्य प्राप्यते फलदायकम्।