हे स्वामी अनन्य अवलम्बन मेरे जीवन आधार लीरिक्स
He Svaamee Anany Avalamban Mere Jeevan Aadhaar Lyrics
हे स्वामी ! अनन्य अवलम्बन, मेरे जीवन-आधार ।
तेरी दया अहैतुक पर निर्भर कर आन पड़ा हूँ द्वार ।। १ ।।
जाऊँ कहाँ, जगतमें तेरे सिवा न शरणद है कोई।
भटका, परख चुका सबको, कुछ मिला न, अपनी पत खोई ॥ २ ॥
रखना दूर, किसीने मुझसे अपनी नजर नहीं जोड़ी।
अति हित किया सत्य समझाया, सत्र मिथ्या प्रतीति तोड़ी ॥ ३ ॥
हुआ निराश, उदास, गया विश्वास जगतके भोगोंका ।
जिनके लिये खो दिया जीवन, पता लगा उन लोगोंका ।॥ ४ ॥
अब तो नहीं दीखता मुझको तेरे सिवा सहारा और ।
जल-जहाजका कौआ जैसे पाता नहीं दूसरी ठौर ॥ ५ ॥
करुणाकर ! करुणा कर सत्वर अब तो दे मंदिर-पट खोल ।
बाँकी झाँकी नाथ ! दिखाकर तनिक सुना दे मीठे बोल ।। ६ ।।
गूँज उठे प्रत्येक रोममें परम मधुर वह दिव्य स्वर ।
इत्-तंत्री बज उठे साथ ही मिला उसीमें अपना सुर ॥ ७ ॥
तन पुलकित हो, सु-मन-जलजकी खिल जायें सारी कलियाँ ।
चरण मृदुल बन मधुप उसीमें करते रहें रंगरलियाँ ।। ८ ।।
हो जाऊँ उन्मत्त, भूल जाऊँ तन-मनकी सुधि सारी ।
देखूँ फिर कण-कणमें तेरी छबि नव-नीरद-घन प्यारी ॥ ९ ॥
हे स्वामिन् ! तेरा सेवक बन तेरे बल होऊँ बलवान ।
पाप-ताप छिप जायें हो भयभीत मुझे तेरा जन जान ॥१०॥



