26.5 C
Gujarat
मंगलवार, नवम्बर 4, 2025

गोदावरी स्तोत्रम्

Post Date:

Godavari Stotram

गोदावरी स्तोत्रम्(Godavari Stotram) एक प्रसिद्ध संस्कृत स्तोत्र है, जो मां गोदावरी नदी की महिमा का गुणगान करता है। हिंदू धर्म में गोदावरी नदी को गंगा के समान पवित्र माना गया है और इसे “दक्षिण गंगा” भी कहा जाता है। यह स्तोत्र गोदावरी के दिव्य स्वरूप, उसकी महिमा और आध्यात्मिक महत्व को दर्शाता है। इसे पाठ करने से भक्तों को पापों से मुक्ति, शुद्धता, समृद्धि और मोक्ष की प्राप्ति होती है।

गोदावरी नदी का धार्मिक महत्व

गोदावरी नदी भारत की दूसरी सबसे लंबी नदी है और इसे ऋषियों व देवताओं की पवित्र नदी माना जाता है। यह नदी महाराष्ट्र, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़ और ओडिशा से होकर बहती है। हिंदू शास्त्रों में कहा गया है कि:

  • गोदावरी में स्नान करने से पापों का नाश होता है।
  • यह ऋषियों और साधकों के लिए ध्यान और तपस्या का प्रमुख स्थान रहा है।
  • त्र्यंबकेश्वर (नासिक, महाराष्ट्र) में यह नदी शिवलिंग को स्नान कराती है, जिससे इसे विशेष आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त होती है।
  • कुंभ मेला का आयोजन हर 12 वर्ष में गोदावरी के तट पर नासिक में किया जाता है।

गोदावरी स्तोत्रम् का महत्व

गोदावरी स्तोत्रम् गोदावरी नदी की पवित्रता, दिव्यता और उसकी कृपा का गुणगान करता है। इसे पाठ करने से भक्तों को निम्नलिखित लाभ मिलते हैं:

  1. पापों से मुक्ति – यह स्तोत्र भक्तों को पूर्व जन्म व इस जन्म के पापों से मुक्त करने में सहायक है।
  2. आध्यात्मिक शुद्धि – गोदावरी का स्मरण और स्तुति करने से मन और आत्मा शुद्ध होती है।
  3. सकारात्मक ऊर्जा का संचार – यह नकारात्मकता को दूर कर सकारात्मकता को बढ़ावा देता है।
  4. स्वास्थ्य और समृद्धि – गोदावरी देवी की कृपा से आरोग्य और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
  5. मोक्ष की प्राप्ति – यह स्तोत्र भगवान विष्णु, शिव और देवी गोदावरी के आशीर्वाद से मोक्ष प्राप्त करने में सहायता करता है।

Godavari Stotram

या स्नानमात्राय नराय गोदा गोदानपुण्याधिदृशिः कुगोदा।
गोदासरैदा भुवि सौभगोदा गोदावरी साऽवतु नः सुगोदा।

या गौपवस्तेर्मुनिना हृताऽत्र या गौतमेन प्रथिता ततोऽत्र।
या गौतमीत्यर्थनराश्वगोदा गोदावरी साऽवतु नः सुगोदा।

विनिर्गता त्र्यम्बकमस्तकाद्या स्नातुं समायान्ति यतोऽपि काद्या।
काऽऽद्याधुनी दृक्सततप्रमोदा गोदावरी साऽवतु नः सुगोदा।

गङ्गोद्गतिं राति मृताय रेवा तपःफलं दानफलं तथैव।
वरं कुरुक्षेत्रमपि त्रयं या गोदावरी साऽवतु नः सुगोदा।

सिंहे स्थिते वागधिपे पुरोधः सिंहे समायान्त्यखिलानि यत्र।
तीर्थानि नष्टाखिललोकखेदा गोदावरी साऽवतु नः सुगोदा।

यदूर्ध्वरेतोमुनिवर्गलभ्यं तद्यत्तटस्थैरपि धाम लभ्यम्।
अभ्यन्तरक्षालनपाटवोदा गोदावरी साऽवतु नः सुगोदा।

यस्याः सुधास्पर्धि पयः पिबन्ति न ते पुनर्मातृपयः पिबन्ति।
यस्याः पिबन्तोऽम्ब्वमृतं हसन्ति गोदावरी साऽवतु नः सुगोदा।

सौभाग्यदा भारतवर्षधात्री सौभाग्यभूता जगतो विधात्री।
धात्री प्रबोधस्य महामहोदा गोदावरी साऽवतु नः सुगोदा।

पाठ करने की विधि

गोदावरी स्तोत्रम् का पाठ करने के लिए भक्तों को निम्नलिखित विधि अपनानी चाहिए:

  1. स्नान के बाद पवित्र मन से पाठ करें।
  2. गोदावरी नदी के तट पर या घर के पूजा स्थान में इसे श्रद्धा भाव से पढ़ें।
  3. इसका पाठ विशेष रूप से गोदावरी अमावस्या, माघ पूर्णिमा और कुंभ मेले के समय करना शुभ माना जाता है।
  4. जल पात्र में गंगाजल या गोदावरी जल रखकर पाठ करें और बाद में इसे अपने ऊपर छिड़कें।
  5. इस स्तोत्र का 11 या 21 बार पाठ करने से विशेष लाभ प्राप्त होते हैं।

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

Share post:

Subscribe

Popular

More like this
Related

धन्वन्तरिस्तोत्रम् | Dhanvantari Stotram

धन्वन्तरिस्तोत्रम् | Dhanvantari Stotramॐ नमो भगवते धन्वन्तरये अमृतकलशहस्ताय,सर्वामयविनाशनाय, त्रैलोक्यनाथाय...

दृग तुम चपलता तजि देहु – Drg Tum Chapalata Taji Dehu

दृग तुम चपलता तजि देहु - राग हंसधुन -...

हे हरि ब्रजबासिन मुहिं कीजे – He Hari Brajabaasin Muhin Keeje

 हे हरि ब्रजबासिन मुहिं कीजे - राग सारंग -...

नाथ मुहं कीजै ब्रजकी मोर – Naath Muhan Keejai Brajakee Mor

नाथ मुहं कीजै ब्रजकी मोर - राग पूरिया कल्याण...
error: Content is protected !!