श्री गंगा मां की आरती Ganga Mata Ki Aarti
आरती श्री गंगा जी की एक महत्वपूर्ण धार्मिक अनुष्ठान है जो गंगा नदी के सम्मान और महिमा के लिए किया जाता है। गंगा नदी हिंदू धर्म में पवित्र मानी जाती है और इसे माँ का दर्जा दिया गया है। हिंदू मान्यता के अनुसार, गंगा जी स्वर्ग से धरती पर अवतरित हुई थीं ताकि लोगों के पापों का हरण कर उन्हें मुक्ति का मार्ग दिखा सकें। गंगा आरती एक भावपूर्ण और भव्य धार्मिक क्रिया है जो भक्तों द्वारा विशेष रूप से गंगा के तटों पर की जाती है।
गंगा मां की आरती का महत्त्व:
गंगा जी की आरती का मुख्य उद्देश्य गंगा नदी के प्रति आस्था और सम्मान प्रकट करना है। माना जाता है कि गंगा की धारा में स्नान करने और आरती में शामिल होने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। गंगा जल को अमृत के समान पवित्र माना जाता है, और इसकी आराधना से मानसिक, शारीरिक और आध्यात्मिक शुद्धि प्राप्त होती है। गंगा जी की आरती विशेष रूप से हरिद्वार, ऋषिकेश और वाराणसी में प्रसिद्ध है, जहाँ हर दिन सूर्यास्त के समय भक्तजन एकत्र होते हैं और मां गंगा की स्तुति करते हैं।
गंगा मां की आरती की प्रक्रिया:
गंगा आरती एक विधिवत प्रक्रिया होती है जिसमें शंखनाद, दीप, धूप और मंत्रों का उच्चारण होता है। प्रमुख तौर पर इसका आयोजन शाम को सूर्यास्त के समय किया जाता है। आरती के दौरान गंगा तट पर दीप जलाए जाते हैं, और आरती के विशेष दीपदान से नदी को अर्पित किया जाता है। इस दौरान भक्तजन “ओम जय गंगे माता” जैसे आरती के मंत्र गाते हैं और वातावरण में एक दिव्य और भक्ति से भरा माहौल बनता है।
गंगा मां की आरती के प्रमुख स्थल:
- हरिद्वार: हर की पौड़ी पर गंगा आरती विशेष रूप से प्रसिद्ध है। यहाँ हर शाम को भक्तों की भारी भीड़ गंगा आरती में शामिल होती है। यह आरती हरिद्वार के प्रमुख आकर्षणों में से एक है और यहाँ की आरती का दृश्य देखने योग्य होता है।
- ऋषिकेश: त्रिवेणी घाट पर होने वाली गंगा आरती का भी विशेष महत्त्व है। यहाँ का शांत और आध्यात्मिक वातावरण आरती को और भी अधिक प्रभावशाली बनाता है।
- वाराणसी: दशाश्वमेध घाट पर होने वाली गंगा आरती विश्व प्रसिद्ध है। यहाँ की आरती का दृश्य अत्यंत भव्य और मनमोहक होता है, जहाँ गंगा के किनारे सैकड़ों दीप जलाए जाते हैं और भक्तजन मंत्रोच्चार के साथ माँ गंगा का गुणगान करते हैं।
गंगा मां की आरती के दौरान उच्चारित मंत्र:
गंगा जी की आरती के दौरान कुछ विशेष मंत्रों का उच्चारण किया जाता है, जैसे:
- “ओम जय गंगे माता”
- “गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वति, नर्मदे सिंधु कावेरी जलेऽस्मिन सन्निधिं कुरु”
- “श्री गंगा स्तोत्रम्”
इन मंत्रों के साथ दीपक घुमाकर गंगा की स्तुति की जाती है और अंत में दीपों को गंगा जल में प्रवाहित किया जाता है। भक्तगण इस समय अपने हाथ जोड़कर गंगा से प्रार्थना करते हैं और आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
गंगा मां की गंगा आरती का आध्यात्मिक महत्त्व:
गंगा जी की आरती से न केवल भक्तों की आस्था प्रकट होती है, बल्कि यह उनके आत्मिक शुद्धिकरण का माध्यम भी है। आरती के माध्यम से गंगा को उनके अविरल और अमूल्य योगदान के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया जाता है। यह धार्मिक अनुष्ठान भक्तों को अपने पापों से मुक्ति पाने और जीवन में शांति और सौभाग्य प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है।
श्री गंगा मां की आरती Ganga Mata Ki Aarti
ॐ गंगे माता, श्री जय गंगे माता।
जो नर तुमको ध्याता, मनवांछित फल पाता ।। चन्द्र सी ज्योति तुम्हारी जल निर्मल आता।
शरण पड़े जो तेरी, सो नर तर जाता ॥ पुत्र सगर के तारे सब जग की ज्ञाता।
कृपा दृष्टि तुम्हारी, त्रिभुवन सुख दाता ॥ एक ही बार जो तेरी शरणागति आता।
यम की त्रास मिटाकर, परम गति पाता ।। आरती मातु तुम्हारी जो जन नित गाता।
दास वही सहज में मुक्ति को पाता । ॐ जय गंगे माता ।।