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बुधवार, जनवरी 22, 2025

Shiva Panchakshari Stotram शिव पञ्चाक्षरि स्तोत्रम्

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शिव पञ्चाक्षरि स्तोत्रम्(Shiva Panchakshari Stotram) भगवान शिव की स्तुति में रचित एक अत्यंत पवित्र और प्रभावशाली स्तोत्र है। यह स्तोत्र संस्कृत भाषा में रचित है और इसके पांच श्लोक भगवान शिव के पंचाक्षर मंत्र “ॐ नमः शिवाय” को समर्पित हैं। यह स्तोत्र भगवान शिव के अद्वितीय स्वरूप, उनके कल्याणकारी स्वभाव और ब्रह्मांडीय महिमा का वर्णन करता है। इसे आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा रचित माना जाता है।

शिव पञ्चाक्षरि स्तोत्रम् Shiva Panchakshari Stotram

ॐ नमः शिवाय शिवाय नमः ॐ
ॐ नमः शिवाय शिवाय नमः ॐ

नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय
भस्माङ्गरागाय महेश्वराय ।
नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय
तस्मै “न” काराय नमः शिवाय ॥ १ ॥

इस श्लोक में भगवान शिव को नागराज के हार धारण करने वाले, तीन नेत्रों वाले और भस्म से सुशोभित महेश्वर के रूप में वर्णित किया गया है। इसमें “न” अक्षर की महिमा का वर्णन है।

मन्दाकिनी सलिल चन्दन चर्चिताय
नन्दीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय ।
मन्दार मुख्य बहुपुष्प सुपूजिताय
तस्मै “म” काराय नमः शिवाय ॥ २ ॥

इस श्लोक में भगवान शिव को मंदाकिनी के पवित्र जल और चन्दन से सुशोभित, नंदीश्वर और प्रमथगणों के अधिपति के रूप में पूजा गया है। इसमें “म” अक्षर की महिमा बताई गई है।

शिवाय गौरी वदनाब्ज बृन्द
सूर्याय दक्षाध्वर नाशकाय ।
श्री नीलकण्ठाय वृषभध्वजाय
तस्मै “शि” काराय नमः शिवाय ॥ ३ ॥

इस श्लोक में भगवान शिव को गौरी के मुखकमल को प्रकाशित करने वाले, दक्ष यज्ञ का नाश करने वाले और नीलकंठ के रूप में सम्मानित किया गया है। यह “शि” अक्षर को समर्पित है।

वशिष्ठ कुम्भोद्भव गौतमार्य
मुनीन्द्र देवार्चित शेखराय ।
चन्द्रार्क वैश्वानर लोचनाय
तस्मै “व” काराय नमः शिवाय ॥ ४ ॥

यह श्लोक वशिष्ठ, अगस्त्य और गौतम जैसे ऋषियों द्वारा पूजित भगवान शिव की महिमा का वर्णन करता है। इसमें “व” अक्षर का महत्व बताया गया है।

यज्ञ स्वरूपाय जटाधराय
पिनाक हस्ताय सनातनाय ।
दिव्याय देवाय दिगम्बराय
तस्मै “य” काराय नमः शिवाय ॥ ५ ॥

अंतिम श्लोक भगवान शिव को यज्ञ स्वरूप, सनातन और दिगम्बर के रूप में वर्णित करता है। इसमें “य” अक्षर को समर्पित किया गया है।

पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेच्छिव सन्निधौ ।
शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ॥

पंचाक्षर मंत्र “ॐ नमः शिवाय” का महत्व

शिव पञ्चाक्षरि स्तोत्रम् में “ॐ नमः शिवाय” मंत्र के हर अक्षर की महिमा बताई गई है। यह मंत्र पंचतत्त्वों (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश) का प्रतिनिधित्व करता है। भगवान शिव को समर्पित यह मंत्र साधक को आत्मिक शांति और मोक्ष प्रदान करता है।

शिव पञ्चाक्षरि स्तोत्रम् का पाठ करने के लाभ

  1. आध्यात्मिक उन्नति: यह स्तोत्र आत्मा को शुद्ध करता है और साधक को आत्मज्ञान की ओर ले जाता है।
  2. कष्टों का निवारण: इसका नियमित पाठ सभी प्रकार के कष्टों को दूर करता है।
  3. शिव की कृपा प्राप्ति: इस स्तोत्र के माध्यम से भगवान शिव की असीम कृपा प्राप्त होती है।
  4. शांति और सौभाग्य: यह स्तोत्र मानसिक शांति और सौभाग्य प्रदान करता है।
  5. मोक्ष प्राप्ति: शिव पञ्चाक्षरि स्तोत्रम् मोक्ष प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है।

पाठ करने का समय और विधि

  1. इस स्तोत्र का पाठ प्रातःकाल या सन्ध्याकाल में करना शुभ माना जाता है।
  2. पाठ से पहले स्नान कर स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  3. भगवान शिव की मूर्ति या शिवलिंग के समक्ष दीपक जलाएं और बिल्वपत्र अर्पित करें।
  4. पूरे ध्यान और श्रद्धा के साथ इसका पाठ करें।

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