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गुरूवार, मार्च 6, 2025

एक श्लोकी नवग्रह स्तोत्रम्

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एक श्लोकी नवग्रह स्तोत्रम्(Eka Sloki Navagraha Stotram) नवग्रहों को समर्पित है, जिनका भारतीय ज्योतिष और आध्यात्मिक परंपराओं में अत्यधिक महत्व है। इस एक श्लोक में नौ ग्रहों का स्थान और उनके प्रभाव का वर्णन किया गया है। यह स्तोत्र भगवान नवग्रहों की आराधना के लिए है, जो हमारे जीवन की विभिन्न ऊर्जा और शक्तियों का प्रतिनिधित्व करते हैं।

एक श्लोकी नवग्रह स्तोत्रम् श्लोक का अर्थ Eka Sloki Navagraha Stotram With Meaning 1

आधारे प्रथमे सहस्रकिरणं ताराधवं स्वाश्रये
माहेयं मणिपूरके हृदि बुधं कण्ठे च वाचस्पतिम्।
भ्रूमध्ये भृगुनन्दनं दिनमणेः पुत्रं त्रिकूटस्थले
नाडीमर्मसु राहु-केतु-गुलिकान्नित्यं नमाम्यायुषे।

  1. “आधारे प्रथमे सहस्रकिरणं”
    • “आधार” का तात्पर्य मूलाधार चक्र से है, जो शरीर का सबसे निचला चक्र है।
    • “सहस्रकिरण” सूर्य को संदर्भित करता है, जो हजारों किरणों से प्रकाशित है।
    • यहाँ बताया गया है कि सूर्य ऊर्जा का आधार है और मूलाधार चक्र से संबद्ध है।
  2. “ताराधवं स्वाश्रये”
    • “ताराधव” चंद्रमा का नाम है।
    • चंद्रमा स्वाधिष्ठान चक्र (नाभि के पास स्थित चक्र) का प्रतिनिधित्व करता है।
  3. “माहेयं मणिपूरके”
    • “माहेय” मंगल का नाम है।
    • यह मणिपूरक चक्र (नाभि के पास स्थित) में स्थित है, जो शक्ति और आत्मविश्वास का केंद्र है।
  4. “हृदि बुधं”
    • बुध ग्रह हृदय से जुड़ा हुआ है।
    • यह चक्र अनाहत चक्र (हृदय चक्र) के लिए जिम्मेदार है, जो प्रेम, करुणा और संवाद का केंद्र है।
  5. “कण्ठे च वाचस्पतिम्”
    • “वाचस्पति” बृहस्पति का एक नाम है।
    • यह कंठ चक्र (विशुद्ध चक्र) से जुड़ा है, जो संचार और अभिव्यक्ति का केंद्र है।
  6. “भ्रूमध्ये भृगुनन्दनं”
    • “भृगुनन्दन” शुक्र का नाम है।
    • शुक्र भ्रूमध्य (आज्ञा चक्र) से संबद्ध है, जो ज्ञान और अंतर्ज्ञान का केंद्र है।
  7. “दिनमणेः पुत्रं त्रिकूटस्थले”
    • “दिनमणेः पुत्र” शनि ग्रह को संदर्भित करता है, जो सूर्य का पुत्र है।
    • यह त्रिकूटस्थल (मस्तिष्क) से जुड़ा हुआ है और संतुलन और धैर्य का प्रतीक है।
  8. “नाडीमर्मसु राहु-केतु-गुलिकान्”
    • राहु, केतु और गुलिक नाड़ियों (ऊर्जा प्रवाह) और मर्म (संवेदनशील बिंदुओं) से जुड़े हैं।
    • ये हमारे जीवन में आने वाले अदृश्य प्रभावों और कर्मों को नियंत्रित करते हैं।
  9. “नित्यं नमाम्यायुषे”
    • जीवन की आयु और ऊर्जा के लिए प्रतिदिन इन नवग्रहों को नमन किया जाता है।

एक श्लोकी नवग्रह स्तोत्रम् का महत्व Importance of Eka Sloki Navagraha Stotram

यह श्लोक हमें यह सिखाता है कि हमारे शरीर और चक्रों में ग्रहों की ऊर्जा का प्रभाव है। हर ग्रह किसी न किसी चक्र और जीवन के एक पहलू का प्रतिनिधित्व करता है। इस स्तोत्र का नियमित जाप करने से:

  • नवग्रहों की कृपा प्राप्त होती है।
  • स्वास्थ्य, समृद्धि और मानसिक शांति बनी रहती है।
  • जीवन में आने वाले ग्रह दोषों का निवारण होता है।

एक श्लोकी नवग्रह स्तोत्रम् की पूजा और पाठ का तरीका

  1. प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
  2. शांत मन और श्रद्धा के साथ इस स्तोत्र का पाठ करें।
  3. नवग्रहों की मूर्ति या चित्र के सामने दीप जलाएं।
  4. ध्यान करें कि यह पाठ आपके चक्रों और ऊर्जा केंद्रों को जागृत कर रहा है।

एक श्लोकी नवग्रह स्तोत्रम् पर पूछे जाने वाले प्रश्न FAQs for Eka Sloki Navagraha Stotram

  1. एक श्लोकी नवग्रह स्तोत्रम् क्या है?

    एक श्लोकी नवग्रह स्तोत्रम् एक संक्षिप्त स्तुति है, जिसमें नवग्रहों (सूर्य, चंद्र, मंगल, बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि, राहु और केतु) की महिमा और उनके प्रभाव का वर्णन किया गया है। इसे नवग्रहों को प्रसन्न करने और उनके सकारात्मक प्रभाव प्राप्त करने के उद्देश्य से पढ़ा जाता है।

  2. एक श्लोकी नवग्रह स्तोत्रम् का पाठ कब और कैसे किया जाता है?

    इस स्तोत्र का पाठ प्रातःकाल या संध्या के समय, शांत वातावरण में किया जाना चाहिए। इसे पढ़ते समय स्वच्छ वस्त्र पहनें और मन को एकाग्र रखें। यदि आप विशेष ग्रह दोष से पीड़ित हैं, तो संबंधित ग्रह के दिन (जैसे मंगलवार को मंगल के लिए) इसका पाठ करना लाभकारी होता है।

  3. एक श्लोकी नवग्रह स्तोत्रम् का लाभ क्या है?

    इस स्तोत्र का पाठ करने से नवग्रहों की कृपा प्राप्त होती है, जो जीवन में सुख, समृद्धि और शांति लाने में सहायक है। यह ग्रह दोषों के निवारण, स्वास्थ्य समस्याओं, और कार्यों में आने वाली बाधाओं को दूर करने में मदद करता है।

  4. क्या एक श्लोकी नवग्रह स्तोत्रम् को बिना गुरु की सहायता के पढ़ सकते हैं?

    हां, यह स्तोत्र सरल और संक्षिप्त है, जिसे बिना गुरु की सहायता के पढ़ा जा सकता है। लेकिन अगर आप इसे अधिक प्रभावी बनाना चाहते हैं, तो किसी ज्ञानी व्यक्ति या गुरु से इसका सही उच्चारण और विधि सीख सकते हैं।

  5. क्या एक श्लोकी नवग्रह स्तोत्रम् सभी के लिए उपयुक्त है?

    हां, यह स्तोत्र सभी के लिए उपयुक्त है। चाहे कोई ग्रह दोष हो या न हो, इसे पढ़ने से सकारात्मक ऊर्जा और नवग्रहों की कृपा प्राप्त होती है। इसका कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं होता, इसलिए इसे सभी लोग पढ़ सकते हैं।

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