दुर्गा सप्तश्लोकी(Durga Saptashloki) देवी दुर्गा के आठ अवतारों का स्तुतिपाठ है, जिसमें देवी के विभिन्न रूपों की महिमा का वर्णन किया गया है। यह सप्तश्लोकी दुर्गा की पूजा में विशेष महत्व रखती है और इसे एक साथ पढ़ने से भक्तों को शक्ति, साहस, और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
यह सप्तश्लोकी देवी दुर्गा के तीन प्रमुख रूपों – महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती की पूजा करती है। इसमें देवी दुर्गा के विभिन्न शक्तियों और गुणों की महिमा का विस्तार से वर्णन है। विशेष रूप से यह श्लोक हर संकट, भय और बाधाओं को दूर करने के लिए प्रभावी माने जाते हैं।
दुर्गा सप्तश्लोकी का महत्व – Importance of Durga Saptashloki
दुर्गा सप्तश्लोकी का जाप करने से भक्तों को मानसिक शांति, शारीरिक स्वास्थ्य, और आर्थिक समृद्धि प्राप्त होती है। यह श्लोक विशेष रूप से संकटों और दुखों को दूर करने में प्रभावी हैं। इसे नवरात्रि के दिनों में नियमित रूप से पढ़ने से जीवन में सुख, समृद्धि, और समरस्ता आती है।
इसके अलावा, दुर्गा सप्तश्लोकी का जाप मानसिक और शारीरिक दृष्टि से भी व्यक्ति को मजबूत बनाता है। यह श्लोक देवी के प्रत्येक रूप की महिमा को दर्शाते हैं और उनके भक्तों के जीवन में रिद्धि, सिद्धि, और समृद्धि लाने में मदद करते हैं।
दुर्गा सप्तश्लोकी – Durga Saptashloki
ज्ञानिनामपि चेतांसि देवी भगवती हि सा।
बलादाकृष्य मोहाय महामाया प्रयच्छति।
दुर्गे स्मृता हरसि भीतिमशेषजन्तोः
स्वस्थैः स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि।
दारिद्र्यदुःखभयहारिणि का त्वदन्या
सर्वोपकारकरणाय सदार्द्रचित्ता।
सर्वमङ्गलमाङ्गल्ये शिवे सर्वार्थसाधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरि नारायणि नमोऽस्तु ते।
शरणागतदीनार्तपरित्राणपरायणे।
सर्वस्यार्तिहरे देवि नारायणि नमोऽस्तु ते।
सर्वस्वरूपे सर्वेशे सर्वशक्तिसमन्विते।
भयेभ्यस्त्राहि नो देवि दुर्गे देवि नमोऽस्तु ते।
रोगानशेषानपहंसि तुष्टा
रुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान्।
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां
त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति।
सर्वाबाधाप्रशमनं त्रैलोक्यस्याखिलेश्वरि।
एवमेव त्वया कार्यमस्मद्वैरिविनाशनम्।
सप्तश्लोकी दुर्गा स्तोत्रम् से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
सप्तश्लोकी दुर्गा स्तोत्रम् क्या है?
उत्तर: सप्तश्लोकी दुर्गा स्तोत्रम् माता दुर्गा की सात विशेष स्तुतियों का संग्रह है। इसे देवी महात्म्य से लिया गया है और यह विशेष रूप से शक्ति की आराधना के लिए उपयोग किया जाता है। यह स्तोत्र माता के सात रूपों की महिमा का वर्णन करता है और भक्तों को भय, दुख और संकटों से मुक्त करने में सहायक माना जाता है।
सप्तश्लोकी दुर्गा स्तोत्रम् का पाठ कब और कैसे करना चाहिए?
उत्तर: सप्तश्लोकी दुर्गा स्तोत्रम् का पाठ किसी भी दिन किया जा सकता है, लेकिन नवरात्रि, अष्टमी और नवमी जैसे शुभ दिनों में इसका विशेष महत्व होता है। पाठ करने से पहले स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें और माता दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर के सामने दीप जलाकर श्रद्धा से स्तोत्र का पाठ करें। इसे प्रातःकाल या संध्या के समय करना शुभ माना जाता है।
सप्तश्लोकी दुर्गा स्तोत्रम् का पाठ करने के क्या लाभ हैं?
उत्तर: सप्तश्लोकी दुर्गा स्तोत्रम् का पाठ करने से भक्तों को आत्मविश्वास, सकारात्मक ऊर्जा और मानसिक शांति मिलती है। यह शत्रुओं से रक्षा करता है, आर्थिक समस्याओं का समाधान करता है और परिवार में सुख-शांति बनाए रखने में मदद करता है। इसे भक्तिभाव से पढ़ने पर सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है।
सप्तश्लोकी दुर्गा स्तोत्रम् में कौन-कौन से श्लोक शामिल हैं?
उत्तर: सप्तश्लोकी दुर्गा स्तोत्रम् में सात प्रमुख श्लोक शामिल हैं, जो देवी महात्म्य से लिए गए हैं। इनमें “शिव उवाच”, “दुर्गे स्मृता हरसि”, “या देवी सर्वभूतेषु”, और अन्य श्लोक माता दुर्गा की शक्ति, करुणा और कृपा का वर्णन करते हैं। इन श्लोकों का उच्चारण शुद्धता और भक्ति के साथ करना चाहिए।
क्या सप्तश्लोकी दुर्गा स्तोत्रम् को विशेष उद्देश्य के लिए पढ़ा जा सकता है?
उत्तर: हां, सप्तश्लोकी दुर्गा स्तोत्रम् को विशेष उद्देश्य के लिए पढ़ा जा सकता है। यदि कोई व्यक्ति स्वास्थ्य, धन, शिक्षा, या किसी अन्य समस्या से परेशान है, तो इसे नियमित रूप से पाठ करने से माता की कृपा से समस्या का समाधान हो सकता है। इसके अलावा, यह स्तोत्र नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने और आध्यात्मिक उन्नति के लिए भी उपयोगी है।