Durga Pushpanjali Stotram
“दुर्गा पुष्पांजलि स्तोत्रम्” एक पवित्र स्तोत्र है, जो नवरात्रि और दुर्गा पूजा के अवसर पर देवी दुर्गा को पुष्प अर्पित करते समय उच्चारित किया जाता है। यह स्तोत्र विशेष रूप से सप्तमी, अष्टमी और नवमी तिथियों पर पूजा के दौरान प्रयोग में लाया जाता है, विशेषकर बंगाल और अन्य पूर्वी भारत के क्षेत्रों में।
पुष्पांजलि का अर्थ और महत्व
पुष्पांजलि शब्द दो संस्कृत शब्दों से मिलकर बना है:
- पुष्पम्: फूल
- अञ्जलि: हाथ जोड़कर अर्पण करना
अतः, पुष्पांजलि का अर्थ है “हाथ जोड़कर फूलों का अर्पण”। यह देवी दुर्गा को श्रद्धा और भक्ति के साथ फूल अर्पित करने की एक विधि है, जिससे भक्त देवी की कृपा प्राप्त करने की आशा करते हैं।

दुर्गा पुष्पांजलि स्तोत्रम्
भगवति भगवत्पदपङ्कजं भ्रमरभूतसुरासुरसेवितम् ।
सुजनमानसहंसपरिस्तुतं कमलयाऽमलया निभृतं भजे ॥
ते उभे अभिवन्देऽहं विघ्नेशकुलदैवते ।
नरनागाननस्त्वेको नरसिंह नमोऽस्तुते ॥
हरिगुरुपदपद्मं शुद्धपद्मेऽनुरागाद्-
विगतपरमभागे सन्निधायादरेण ।
तदनुचरि करोमि प्रीतये भक्तिभाजां
भगवति पदपद्मे पद्यपुष्पाञ्जलिं ते ॥
केनैते रचिताः कुतो न निहिताः शुम्भादयो दुर्मदाः
केनैते तव पालिता इति हि तत् प्रश्ने किमाचक्ष्महे ।
ब्रह्माद्या अपि शंकिताः स्वविषये यस्याः प्रसादावधि
प्रीता सा महिषासुरप्रमथिनी च्छिन्द्यादवद्यानि मे ॥
पातु श्रीस्तु चतुर्भुजा किमु चतुर्बाहोर्महौजान्भुजान्
धत्तेऽष्टादशधा हि कारणगुणाः कार्ये गुणारम्भकाः ।
सत्यं दिक्पतिदन्तिसंख्यभुजभृच्छम्भुः स्वय्म्भूः स्वयं
धामैकप्रतिपत्तये किमथवा पातुं दशाष्टौ दिशः ॥
प्रीत्याऽष्टादशसंमितेषु युगपद्द्वीपेषु दातुं वरान्
त्रातुं वा भयतो बिभर्षि भगवत्यष्टादशैतान् भुजान् ।
यद्वाऽष्टादशधा भुजांस्तु बिभृतः काली सरस्वत्युभे
मीलित्वैकमिहानयोः प्रथयितुं सा त्वं रमे रक्ष माम् ॥
स्तुतिमितस्तिमितः सुसमाधिना नियमतोऽयमतोऽनुदिनं पठेत् ।
परमया रमयापि निषेव्यते परिजनोऽरिजनोऽपि च तं भजेत् ॥
रमयति किल कर्षस्तेषु चित्तं नराणामवरजवरयस्माद्रामकृष्णः कवीनाम् ।
अकृतसुकृतिगम्यं रम्यपद्यैकहर्म्यं स्तवनमवनहेतुं प्रीतये विश्वमातुः ॥
इन्दुरम्यो मुहुर्बिन्दुरम्यो मुहुर्बिन्दुरम्यो यतः साऽनवद्यं स्मृतः ।
श्रीपतेः सूनूना कारितो योऽधुना विश्वमातुः पदे पद्यपुष्पाञ्जलिः ॥
पुष्पांजलि विधि
- पूजा की तैयारी: पूजा स्थल को स्वच्छ करें और देवी दुर्गा की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।
- स्नान और वस्त्र: स्वयं स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें।
- पूजा सामग्री: चंदन, गंध, पुष्प, बिल्व पत्र, दीपक, धूप आदि तैयार रखें।
- मंत्र उच्चारण: उपरोक्त पुष्पांजलि मंत्रों का उच्चारण करते हुए देवी को पुष्प अर्पित करें।
- प्रार्थना: देवी से अपनी मनोकामनाओं की पूर्ति और आशीर्वाद की प्रार्थना करें।
दुर्गा पुष्पांजलि स्तोत्रम् का लाभ
- आध्यात्मिक शुद्धि: पुष्पांजलि से मन और आत्मा की शुद्धि होती है।
- देवी की कृपा: देवी दुर्गा की कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन में सुख, समृद्धि और शांति आती है।
- पापों का नाश: पुष्पांजलि से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।